उड़ने दो / udne do
कविता उन परिस्तिथियों को बताती जिसमें किसी राही को बङी समस्याओं और रुकावटों में जीना पङा हो।
उड़ने दो
माना पाला बड़ा प्यार से,
रखा हमेशा दुलार से,
दर्द से दुर रखा -रखा साथ लाड़ से,
अपना उसे अब करने दो,
उग आये पंख, तो उड़ने दो ।
है खुला आसमां सारा,
लगता है बड़ा प्यारा,
रखा आपने भी इसे प्यार से,
फर्ज निभाया प्यार से,
अब उग आये है पंख इसे,
तो ना उन्हे ना व्यर्थ होने दो,
चाह है उड़ने की तो उड़ने दो ।
दुर से वो याद करेगी,
मन को भायेगी प्यार करेगी,
चाहोगे आप भी,
कभी आये मिले,
और कुछ पल साथ रह,
वो अपना जीवन जीये,
अब हो गई बड़ी आ गये पंख,
अब उसे उड़ने दो ।
क्या हक हमारा आजादी पर,
जो मिला हमें वही आजादी पर,
जो है उसका उसे पाने दो,
जीवन सघंर्ष हो या बसर जाने दो,
है पंख उसके अपने अब,
तो अब उसे उसकी मर्जी से,
उड़ने दो ।।
Kavitarani1
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