करवा चौथ की कहानी / karwa chauth ki kahani
करवा चौथ की कहानी
ये कहानी बङी निराली है,
सबको मुझे सुनानी है,
इसमें त्याग निखर आया है,
सबको बहुत कुछ सिखाया है।
मैं महफिलें छोङ आया,
सारी यारी दोस्ती छोङ आया,
रस्में जो निभानी थी,
कस्में जो निभानी थी।
ये कहानी है रिश्तों कि,
अपनों कि दिलों कि,
नजदिकीयों कि बंधनों कि,
अपने एक दुसरे कि।
इस कहानी का एक किरदार मैं,
अपनेपन का हकदार मैं,
पलभर के दिदार को,
सेंकङो मील दुर आया।
इस कहानी का एक किरदार आप,
सुबह से भुखे प्यासे आप,
राह तकते अपने चाँद का आप,
कठोर व्रत करते आप।
समय संग दिदार पाया,
आखिर मिलन का वक्त आया,
ये मिलन एक सुखद सार सा,
कहानी में घुले प्यार सा।
क्या दुं उपहार में,
मेरे लिए किए उपवास में,
मैं रास्ते भर जेबे और मन टटोलता आया,
मैं प्यार भरा मन और एक निशानी लाया।
और कुछ ना ज्यादा चाहुं मैं,
तन मन से तुझे चाहुं मैं,
रिश्ता अटुट रहे हमारा,
इश्वर का रहे सहारा।
ये करवा चौथ पावन हो,
भरा जीवन और योवन हो,
कोई आस ना अधुरी रहे,
मन मस्त मगन तन स्वस्थ रहे।।
- कवितारानी।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें