प्रेम जीवन | prem jivan
प्रेम जीवन
करुणालय की कराह आती,
मन को भाव विभोर कर गाती,
आती ना समझ एक पल जीवन धारा,
तन का जीवन लगता जैसे मन का हारा।
ये गाथा जीवन की लगती भारी,
आह आती दिल से, कि काया गारी,
मन का मौजी भी बोझ रखता,
प्रेम जीवन जीकर हर कोई मरता।
मर मर के जीया, मन का हारा,
प्रेम रस पीकर अमर कर दिया दर्द सारा,
सारा जग अब लगता अंधियारा,
प्रेम जीवन संघर्ष ही गा रहा।
प्रेम पीङा भारी भाई,
प्रेम ही जीवन सार भी,
प्रेम ही सब दुखों कारण है,
प्रेम जीवन कठोर है,
प्रेम जीवन कठिन है।।
-कवितारानी।

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