आओ साथ चलें / Aao sath chale



आओ साथ चलें


बङे सहज ही मिल जाता हूँ, भाव नहीं रखता हूँ।

कुछ चुनिंदा साथ रखता हूँ, कुछ ही को दिल में रखता हूँ।

जानता हूँ मिट जाऊँगा, समय के चक्र में पिस जाऊँगा।

फिर भी बेहतर को बढ़ता हूँ, खुशी के लिये लङता हूँ।।


बङे सरल हैं भाव मेरे, बङी आसान दुनिया है।

बहुत कुछ सपनें हैं, कुछ ही मेरे दिल में हैं।

वो जो सजाये रखे हैं, वो गुलदस्ते अब पुराने हैं।

कुछ नये फुल चुनें हैं, वो थोङे मतवाले हैं।।


आसान नहीं सफर मेरा, इसलिये अकेला चलता हूँ।

एक प्यार भरी मुस्कान के लिये, दर-दर घुमता हूँ।

वो जो लोग मिले सफर में, दिल की दीवारों पर हैं।

कभी आये दिल तक तो, उन सबको दिखाने हैं।।


कमजोर नहीं हूँ मैं, बस ऐसा समझा जाता हूँ।

मेरे सहज भाव से अक्षर छोङ दिया जाता हूँ।

बुरा मानता नहीं किसी का, कौन जग में साथ है।

रहा अकेला अब तक जो, जानता हूँ एकान्त ही बसेरा है।।


मिले जो सफर में, उनसे ये कहना है।

ना मिले मुकाम साथ तो भी, हॅसके साथ चलना है।

लिखा भाग्य का कौन मिटाता है, अपना मन साफ है जग भी गाता है।

चलो जो साथ तो कुछ बताता हूँ, रहो पास तो साथ मुस्कुराता हूँ।।


चलो जो साथ चल सको, कल फिर नया सवेरा है।

आये दिन नयी बात है, आये दिन नया स्वाद है।

सहज ही समझ आता हूँ, कुछ ही को बुलाता हूँ।

विचारों का ये मैल है, या ऊपर वाले का खैल है।।


-कवितारानी।


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