जाओ तुम / Jao tum



जाओ तुम


जाओ जी आपसे क्या शिकायत करें।

गम तो अपनों ने गहरे दिये, आपसे क्या बगावत करें।।


गये  कई छोङ तुम भी छोङ जाओ।

साथ अपनों ने कभी ना दिया, तुम भी छोङ जाओ।।


आये याद तो भी दुबारा ना मिलना।

अच्छा वक्त गुजरा, दुबारा वक्त ना बरबाद करना।।


जाओ जी अपनी फितरत कहीं ओर आजमाओ।

हम जो पक्का रिश्ता चाहते हैं हमें ना आजमाओ।।


यकिन करो हम ना बुलायेंगे अब।
जिन्दगी से सिखा है कैसे दुर रखें गम।।


मौज-मस्ती की अपनी आदत कहीं और ले जाओ।

खुशी मिले जिससे उसके पास जाओ।।


रहने दो बहानें और समझाइश करना।

हम समझतें हैं भटकाव के बाद क्या है करना।।


अपनी याददाश्त की पर्ची बनाओ तुम।

मुझे सब याद है मुझे याद ना दिलाओ तुम।।


सफर इतना ही था समझ जाना तुम।

समझ गया हूँ मैं उसे ना जानना तुम।।


जाओ आजाद हो मेरी ओर से तुम।

खुश रहो जहाँ रहो यही कहना है तुमसे बस।।


-कवितारानी।


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