कसौटी जिन्दगी में | kasoti jindagi mein
कसौटी जिन्दगी में
कसौटी है जिन्दगी की, जिन्दगी की कमी है।
मिला मुझे कुछ-कुछ की गमी है।।
चाहा मैंने जिसे वो मिला किसी ओर को।
किसी और की चाहत मुझको मिली।।
रही कमी जीने में जिसकी कमी है।
रह गई प्यास बाकि यही गमी है।।
तेरी चाहतों की लगी झङी है, जब देखुँ मुङकर मैं।
वहीं तू खङी है।
रही जिन्दगी में मेरे कमी है, कसौटी जिन्दगी की ये।
जिन्दगी की कमी है।।
छोङ पिछे जग वो आगे बङ आया मैं।
यादों को भुलाते-भुलाते भागा चला आया।
आयी ना खुशियाँ यही एक कमी है।
मिली ना चाहत मेरी यही एक गमी है।।
मेरी जिन्दगी की ये कैसी घङी है।
चाहा जिसे मन से वो दूर खङे हैं।
रही जिन्दगी मेरे बन के तू कमी है।
मिलकर रह ना पाया साथ तेरे यही गमी है।।
कसौटी जिन्दगी की, जिन्दगी में कमी है।
मिला मुझे कुछ और कुछ और की मुझे गमी है।।
बस कसौटी जिन्गी में है।।
-कवितारानी।

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