स्व उल्लेखनीय हो | swa ullekhit ho



स्व उल्लेखनीय हो 


हो खुबसुरत यही खुब है।

शब्दों से परिचय ना हो।

चाँद चाँदनी से चमकता।

महक की जरूरत ना हो।।


हो बिसाद यही साज है।

सुरो से परिचय ना हो।

रवि किरणों से रोशन।

स्वर्ग की आभा ना हो।।


हो बेमिसाल यही मिसाल है।

सालों से गिनती ना हो।

फुल ताजगी से भरा।

खुशबु की पूर्ति ना हो।।


हो सुरीली यही गीत है।

संगीत से परिचय ना हो।

अप्सरा रूप से भरी।

नृत्य की जरूरत ना हो।।


हो गार्गी यही खुब है।

ज्ञान से बखान ना हो।

वेद ज्ञान से सुजता।

व्याख्या की जरूरत ना हो।।


हो अद्भूत यही खुब है।

दर्शकों की जरूरत ना हो।

प्रियसी प्रेम से पावन।

प्रेम बखान की जरूरत ना हो।।


-कवितारानी।

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