तुझे क्या लेना दुनिया से | tujhe kya lena duniya se
तुझे क्या लेना दुनिया से
तू खुश अपने जहाँ से, तुझे क्या लेना दुनिया से।
तू मस्त मगन खुद में, तुझे क्या लेना मुझ से।
तू भूली बिसरी मेरी दुनिया, क्यों याद करे मुझे।
तू खुश अपने जहान में, तुझे क्या लेना दुनिया से।।
आया सावन झूम के, क्या लेना जेठ आषाढ़ से।
भाया पावन प्रेम किसी का, क्या लेना देना पवन से।
मधुर सपने औझल, जो साजन बने तन के।
तुझे क्या लेना दुनिया से, तू खुश है अपने जहान से।।
तू भूली मधुर यादें, क्या लेना गुजरी बातों से।
तू भूली आँसु की रातें, क्या लेना विरह वेदना से।
जो गुजरा गया गुजर वो, भूला बिसरा यादों से।
क्या लेना दुनिया से, तुझे क्या लेना दुनिया से।।
रहे खुश तु, बन सावन तु खुश रखे अपनी दुनिया को।
कहे मन यही, खुश रहे तु अपनी दुनिया में।
भूले तू मुझे, भूले बिझङे कल को।
तुझे लेना दुनिया से।।
तु बङे आगे, मस्त होके, रहे खुश संसार में।
तु रहे खुश अपने संसार में।
तु खुश अपने जहान में।
तुझे क्या लेना दुनिया से।।
-कवितारानी।
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