याद आती है / Yaad aati hai
याद आती है
जब घनें काले बादल घिर आते हैं।
बिजलियाँ गिरती, बादल गरजते जाते हैं।
आँधियों से पेङ भयानक से हिलते हैं।
अकेले में रह मुझे डर लगता है।
सोंचु किसी की भी सब हट जाता है।
बचपन की गलियों-आँगन में मन चला जाता है।
आती है सदायें इन तुफानों सी फिर।
फिर याद तेरी आती है।।
सोंचना चाहूँ किसी अपनें की।
जो रहे साथ, रहे आस-पास उस सपने की।
मेरे हर मिले शख्स से बस नफरत की याद आती है।
जो कभी दुखाये दिल और भाये फिर ऐसी बस तु आती है।
याद आती है तेरी यही आँखे भर आती है।।
घनी धुप में आँचल तलाशता हूँ।
कहीं छाँव मिले ऐसा आसरा देखता हूँ।
कुछ ठण्डी फुहार देख खींचा चला भी जाता हूँ।
कुछ शीतलता पाकर और कठोर दण्ड पाता हूँ।
पछताता हूँ फिर लु से जब जल ही जाता हूँ।
ना कठोर बन पाता ना छाँव का आनन्द ले पाता हूँ।
फिर कहीं लौट बचपन याद आता है।
वो कठोर बातें और प्यार याद आता है।
फिर तु मुस्कुराती है और गालों पर नमीं आ जाती है।
फिर तुम्हारी याद छा जाती है।
फिर सारी मुस्कीलें भूला दी जाती है।।
-कवितारानी।

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