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जग बिसरा हूँ / jag bisra hun

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  जग बिसरा हूँ बङ गया दिन हो गयी शाम, रात अँधेरी अँधेरा शाम, के जग भुल गया, के रात में गुम हो गया। गुम हो गया, गुम हो गया, तु आजा बतला दे, जाना कहाँ रहना कहाँ। के बिसरा हूँ रात का तारा, आ पास मेरे दे दे सहारा, के पार हो जाऊँ भव सागर को, जो पाऊँ साथ तेरा, जग बिसरा हूँ मैं रात का तारा। ढुँढ रहा हूँ रात का सहारा, हर गली हर मोङ पर पुछा। कहाँ रहने लगा यार दिवाना, रात अँधेरी चढ़ गयी, चढ़ गये तारे, कुछ वो थे हारे कुछ हम थे हारे, भुला बिसरा याद करुँ। साथ जीने मरने की बात ना करुँ, कि जग बिसरा हूँ मैं का तारा। खोज रहा हूँ जीने का सहारा, जग बिसरा हूँ मैं रात का तारा, घूम रहा हूँ मैं हारा हारा... जग बिसरा हूँ मैं रात का तारा। -कवितारानी।  

फिर से फैल / fir se fail

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फिर से फैल फिर हासिये पर आके ना पा सका, किस्मत के आगे फिर हार गया। मेहनत ने मेरी की थी लङाई, रंग मेहनत का चङा ना भाई। हार गया हूँ फिर, फैल हो गया हूँ मंजिल पाने में। ना रास्ता बचा ना हिम्मत, बस दुख है और आँसु- आँसु। फिर लकीर पर करने से कुछ कदम का फासला रहा, फिर से दरवाजे तक आके किस्मत लौट गयी। फिर से अधुरे ख्वाब रह गये, फिर से अधुरे सपने रह गये। क्या करुं कुछ समझ नहीं आता, कहाँ जाऊँ कुछ समझ नहीं आता। दुखङा मन का सुनाऊँ कहाँ किसे, जिसे अपना मन सुनाऊँ उसे रुलाऊँ कैसे। फिर मन उदास आज, आँखों में उमङ रहा सैलाब आज। फिर से डर सताने लगा आगे का, कैसे सपनों बिन जिऊंगा समझ नहीं आता। क्या कमी थी मेहनत में, काया में बुध्दि हीन हूँ। क्या मुझे में नहीं वो क्षमता, के पा सकुं मुकाम अपना। बता दो मुझे करुँ क्या, बता दे मुझे जाऊँ कहाँ। बनाया मुट्टी का पानी-पानी मैं, खङा होना चाहुँ भी तो डह जाऊँ मैं। सपना है दौङ लगाने के, आसमां छुने के, किस्मत से लङ मिट्टी की मुरत बनाऊँ कैसे। कब ये दरिया दुखों का सुकेगा, इन आँखों का पानी रुठेगा। कब मुझे भी जीने का वक्त मिलेगा, सपनों का घर यार मिलेगा। सोंचा था इस बार पार हो...

फिर बात पुरानी / phir bat purani

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फिर बात पुरानी फिर बात पुरानी, आँखों की कहानी, फिर सागर आया, तुफान वही, जानें क्यों फिर से, सैलाब आया, आँखों में मेरे, क्यों नीर ना माया, फिर बात वही है, ख्वाब वही, सपनों में भी वो, लङकी हसीन, की जग जग घुमुं, उसको ढुढुँ, हर शाम सुहानी, होगी वो लङकी दिवानी, होगी वो संग मेरे, उसकी कहानी, फिर बात पुरानी, सुनों मेरी जुबानी, सपनें वही है, और वही है पानी, जाने कब कहाँ वो, मेरा हो गया, दिल जिगर में, उसका घर हो गया, जाने कब वो मेरी, रुह में समाया, फिर बात पुरानी, आँखों की जुबानी, ना में मिल पाया, ना वो मिल पायी, जग जग घूम रहा, फिर घुम रहा, फिर  घुम रहा, बात वही है, बस आँखों में पानी, यार हसीन है, होंठो पर मनाही, जग बिसरा हुँ, अकेले में रोता हूँ, कहीं जग जाये, उसकी आँखों का पानी, तो दुर हुआ, भुल गया, सपनों में उसके खो मैं गया, फिर बात पुरानी, आँखों की जुबानी, कह रहा फिर से, मेरी आँखों का पानी, मेरी आँखों का पानी... - कवितारानी।

एक और मौका / ek oar moka

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  एक और मौका आगे बढ़ने की चाह में आज बरबाद हुआ, हर पल सोंच कल की सताती, हर दिन पुराना हुआ। हर साँस में बैचेनी बढ़ने अब लगी, आज का आलम हर कल की दस्तक देता है, आज का बिताया दिन कल की सुरत दिखाता है, नाकामी की एक और मिशाल जोङ मैं चला, जीवन के सफर में एक और असफलता जोङ में चला। जाने कौन सा मुकाम सोंच रखा ऊपर वाले ने, आज फिर पिछे रहने का ङर सताता है, क्या पता कौनसी मंजिल मिलेगी मुझे, कौन जाने कहाँ होगा ठिकाना मेरा, मुझे बस चैन के दो पल चाहिए, जीने को मुझे बस प्यार चाहिए, सुकुन ना मिले तो भी जी लेंगे, पर इस बेदर्दी दुनिया में जीने को एक यार चाहिए। अब अकेले घुटने लगा है दम मेरा, हर पल का हाल सुनाने को दिलदार मिले मेरा, उसकी खातिर काट लेंगे जीवन बाकि, और ना ज्यादा ख्वाहिशें होंगी बिन साकी, चैन के लिए एक नौकरी ढुँढता हुँ, इस उलझन भरे जीवन में एक दो पल अपने चाहिए। चलो एक और बार मौका दो मुझे, मैं ज्यादा नहीं बस दो पल चाहता हूँ। जिन्दगी का सुकुन चाहता हूँ, ना दौलत की भुख रखता हूँ, ना शौरत की चाह रखता हूँ, मैं तो बस प्रेम सुकुन की आस रखता हूँ। जीवन में शांति की प्यास रखता हूँ, मुझे जीने का मौका ...

जिसे हम ढुँढ रहे थे / dund rhe the jise

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 जिसे हम ढुँढ रहे थे देख जिसे हमेशा साँसे बढ़ जाती थी, मंद-मंद मुश्कान होंठो पर चढ़ जाती थी, वो यार मेरी कब जिद् पर चढ़ गयी,  वक्त ले रहा था अंगङाई, हर वक्त वो रहने लगी घबराई, प्यार मेरा भी जब परवान था चढ़ने लगा, यार मेरा मुझ पर था मरने लगा, एक दिन जैसे रब की महरबानियाँ हुई, घर के बाहर अचानक उससे मुलाकात हुई, संसनाहट जैसे रगो में भर गई, उसकी बातें मुझमें थी हिम्मत भर गई, कह दिया दिल के हालात उसको, कह दिया धीरे-धीरे रोज सब उसको, जाने क्यों ना वो मुर्झाई थी, मेरे पास और वो आयी थी, लब्ज ना प्यार का मुँह से उसके निकला, हर दम मैंने अपने दिल को मसला, हर कोशिश मैंने जब आजमाई थी, आखिर मेरे हारने कि बारी आयी थी, छोङ दिया उसे कह दिया उसे की दुर मैं हो जाऊँगा, तू ना छोङ हॅसना मैं दुनिया छोङ जाऊँगा, तेरी एक मुस्कान पर ही तो मर मिटे थे, अब उसे छिन दुनिया से हम क्यों रुठे थे, मन किया मनुहार किया, जत्न किया हर प्रयत्न किया, दुनियादारी वो मुझे समझा रही थी, नियम कोयदों को गा रही थी, दिल में एक जगह जो मैंने बना रखी थी खो रहा था, अब मैं उससे दुर दो रहा था, देख जिसे हमेशा साँस बङ जाती थी, मन्द मन...

दोस्ती के रंग /dosti ke rang

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दोस्ती के रंग  रंग वफा का दोस्त ने था कल दिखाया, दंभ भर-भर कर गुस्सा अपना दिखाया, जो कुछ सुना उससे सब बस उधार का था, दोस्त समझा था जिसको वो नादान मुर्ख था। कितने ही काम बिगाङे थे उसने, कितनी ही गलतियाँ की थी उसने, सब को भुला कर सही राह मैनें थी दिखाई उसे, उसने भी बदले में जान लुटाई थी मुझपर, पर कल कितना उसे मेरे खिलाफ भङकाया, कितना उसे मेरे से भिङवाया, जाने क्या वो माजरा था, मिलने ना जाना तो बस बहाना था। कारण वो छोटे से लगे जो बताये उसने, दलिलें वो खोखली लगी जो बतायी उसने, जाने कौन थे वो जो कल दोस्ती पर पहाङ लाये, पर मुझे अपने भाई से काफी दुर छोङ आये। आज अपनी दोस्ती की चरम सीमा को मैनें पाया, खास समझने लगा था एक और को, पर हकीकत को अब पाया, वो बहुत बङी बातें करता था, दोस्ती की कस्में भी खाने लगा था, जाने क्या बात सोंची उसने, नियति ने रंग दिखाया यहाँ अपने, नतिजे हैं आये दोस्ती की परख के, फैल हुई थी दोस्ती और मिशालें, अब फिर ना कोशिश करुँगा खास किसी को बनाने की, ना ही किसी को अपना मानुँगा, ना एतबार कर सकुँगा, अब बस अकेले रहुँगा, इश्वर का धन्यवाद की उन्होने मित्रता की परख ली, और धन्यवा...

motivational thoughts / 2nd book introduction

परिचय नमस्कार मित्रों, मैं कवितारानी अपने लेखन कार्य से जुङी हुई हूँ । मैं अपने कार्य के प्रति सजगता रखने का भरपुर प्रयास करती हूँ, फिर भी मानवीय प्रवृति है कि कोई त्रुटि रह जाती है। ऐसी किसी भी गलती से अनभिज्ञ में एक सजग कवियित्री होने के नाते आपसे पूर्व में ही क्षमा चाहूँगी। मेरी कविताऐं स्वप्रेरित है, इन्हें कहीं से किसी भी प्रकार से नहीं लिया गया है। इनके प्रकाशन की समस्त जिम्मेदारी और अधिकार मेरा स्वयं का है। मेरी कोशिश व आकांक्षा है कि मेरे एकान्त में जीये हुए लम्हों को मे दुनिया के सामने सबकी अनुभूति के लिए रखुँ।  जैसा कि हम सब जानते है कि आज के सोशल साइट के जमाने में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वो किसी पुस्तक को अपने संवेगों को जगाने और स्वप्रेरणा के लिये पढ़े, परन्तु ऐसा भी ज्ञात नहीं होता है कि अब कोई पाठक बचे ही ना हो। जैसा की हमने देखा कि आपने हमारी पहली पुस्तक (प्रेम एक चाहत) को भरपुर स्नेह दिया। इस बार मैं कवितारानी और मेरे पतिदेव रविकान्त चीता आपके लिए लेकर आये हैं बहुत ही प्यारी, मनमोहक, प्रेरणास्पद कवितायें।  इस पुस्तक में हमने हमारी हस्तलिखित कविताओं के क...

दो पल चैन / do pal chain

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Click here to see video   दो पल चैन तु दे दे दो पल का चैन... के जग जीया, मैं जीया... हाँ जीया... जग जीया... जग जीया, तु शाम का तारा, मैं जग का हारा, तु शाम का तारा मैं जग हारा, ढूँढू तुझे...  तु खोया कहाँ, कहाँ खोया... आ पास आ, आ दे दे दो पल का चैन, के जग बिसरा हूँ मैं, के रात भटका हूँ मैं, आ पास आ दे दे हाथ तेरा, साथ तेरा, के पार हो जाऊँ... भव सागर को, आ जा पास... पास मेरे, तुझे बताऊँ मेरे ख्वाब, मेरी जिन्दगी की सारी आस, आ बैठ मेरे पास, तुझे सीने लगाऊँ... गोदी में सो जाऊँ, तुझे सपनों के मेरे संसार घूमाऊँ, आ पास बैठ मेरे, मुझे दे दे... दो पल तेरे... दो पल तेरे, कि तु ख्वाब है, तु मेरी जिन्दगी, तु ही मेरा सुकून. तुझसे ही मेरा है हर जुनून के जग अंधेरा बङ गया... मैं सपनों में फिर खो गया, आ पास मेरे... दे दे मुझे... दो पल तेरे, जग बिसरा हूँ रात का तारा, तु भौर सुहानी... मैं आवारा, आ पास मेरे... आ पास मेरे... दे दे दो पल का चैन... दो पल चैन।। - कवितारानी।

एक ख्वाब था हसीन / ek khavb tha hasin

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  एक ख्वाब था हसीन  देखा एक ख्वाब था हसीन, कर रहे थे उसी पर क्यों यकीन, साथ था वो पास था वो सोच रहा था कुछ। मेरे लिए बनायी थी एक महल सी चीज, देख रहा हूँ कैसे करती है पुरे ख्वाबों की जमीन, देगा सारी कायनात वो मुझे। कैसे कहुँ अब होगा ख्वाब वो पुरा, कैसे कब होगा मेरा अधुरा सपना पुरा। आज भी यकिन है आयेगा कोई तो ये, सोंच के ही बैठे रहते यहाँ। यार वो हसीन होगा, अधुरा सपना होगा, ख्वाब वो पुरा होगा, एक दिन, एक दिन। कैसे कहुँ के ख्वाब है तेरा ही दीदार है, देख रहा हूँ जो देख ले तु भी ऐ मेरे नसीब। एक सोनी है कुङी मेरे संग मेरे, यह भी देखा एक ख्वाब था हसीन, होगा पुरा भी कभी ये ख्वाब हसीन, देखा एक ख्वाब था हसीन।। - कवितारानी।

बेदर्दी जिन्दगी कब तक / bedardi zindagi kab tak

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बेदर्दी जिन्दगी कब तक  बेदर्दी जिन्दगी कितने इम्तेहान लेगी, सर्दी में साँस और गर्मी में आस लेगी, अपनों का सितम और बेगानों का दर्द देगी, बेदर्दी जिन्दगी और कितने इम्तेहार लेगी, चुप के जहान से कब तक रोने का हाल देगी, दिल में प्यार और बाहों को विरान करेगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी, छुपा के रखे दर्द को कब तक निकलेगी, हर आँखों में प्यार और जुबान पर इनकार देगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी, मौत का आलम और अपनों का वार देगी, मुर्झाये हुए इस चहरे को कब रोनक देगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक सितम देगी, रोज निहारते है उसकी राह कब वो हर देगी, मन का मनुहार और दिलों का प्यार देगी, नौकरी के साथ पैसों का हार देगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी, कब तक प्यास को बढ़ाती रहेगी, कब तक मेरे एतबार करेगी, जीने की लालसा छोङने का हाल करेगी, लगता है ये समय से पहले मेरी जान लेगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी, हर दिन नया रुप लाती रहेगी, हर पल नया अजुबा पैस करेगी, हर नये तरीके तरीके से अपना सितम देगी, हर बार मन को पानी से भर देगी, बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी, आँसु नहीं ये आँखों के शोले भ...

मुझे आजाद जीने दो / mujhe aazad jeene do

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  मुझे आजाद जीने दो आजाद हूँ मुझे जीने दो, बांधो ना यूं बंधनों में, जकङो ना किसी वादों में, करो ना इतनी उम्मीदें मुझसे, मुझे बस जीने दो, आजाद हूँ मुझे आजाद जीने दो।। ना जाने कौनसा पल आखरी होगा, ना जाने कौनसा दिन आखरी होगा, बस आज की उम्मीद करता हूँ, बस वर्तमान में जीता हूँ, मुझे वर्तमान में जीने दो, मैं आजाद हूँ मुझे आजादी से जीने दो। थोपो ना अपनी बातें मुझपे, दबाओ ना अपने मुताबिक जीने को, गलतियों को मेरी इतनी हवा मत दो, माफी जो मांग ली मैंने, मुझे कल पर पछताने के बजाय, मुझे आज पर ध्यान लगाने दो, आजाद हूँ मुझे आजाद जीने दो। खता क्या हुई मैंने भुला दिया है, क्या थे दुख सब बिसरा दिया है, बस आज ना हो कल सी गलतियाँ इतना याद रखने दो, मुझे कल की नाकामी से ऊपर तो उठने दो, आजाद हूँ आजादी से सोंचने दो। क्या खता मेरी थी, क्या सारे गुनाहों का कारण भी मैं ही था, क्या आपकी गलतियों से आप बच जाओगे, चलो कर लो मनमानी मैं नहीं कहुँगा, पर फिर मेरी जिन्दगी मैं ना आना दुबारा, मैं ना मौका दुँगा ना रास्ता आने का, क्योंकि मैं कहीं जगहों पर आजाद हूँ। मैं सोंचता सबकी हूँ. मैं सुनता सबकी हूँ, मैं सब को आगे जा...

आके कुछ सलाह दो / aake kuchh salah do

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  आके कुछ सलाह दो आओ संभाल लो टुट गया हूँ, कैसे कहुँ तुम्हें कि अंग-अंग से रुठ गया हूँ। कैसे करुँ आगे जीने की चाह, जीने के हर रंग भुल गया हूँ और भुल गया हूँ हर राह।। आके एक बार गले लगा लो, बिखर गया हूँ हाथ थाम लो, जीना ना मंजुर अब सपने बिन, दिन रात करता मेहनत अब ना जीना सपने बिन, आके राह बतला दो, जा सकुं थोङा और आगे कुछ समझा दो। कहीं जीवन दोङ ना छोङ दूँ, कहीं गलती से इस काया को ना छोङ दूँ, आके एक बार आगे भी बतला दो, जीना मुश्किल है सपनों बिन जिऊँ कैसे बतला दो। एक ख्वाब है सपनों को पुरा करने का, जुनुन उसी में जीने का, दिन रात एक कर पागल सा हो गया था, क्यों ना मिला मेहनत का सिला, क्यों ना मुझे सफलता का रस मिला। हॅसने का एक मौका मुझे भी दो, जीना है सपनों संग एक मुकाम मुझे भी दो, आके जरा मुश्किल घङी में हाथ थाम लो, एक दिन खुश रहने का मौका मुझे भी दो। आगे की बनाई है रणनीति, पर मैं टुटा-टुटा, आगे की सोंच बढ़ाये है कदम, पर जग से, रब से मैं रुठा-रुठा, एक बार आके एक कदम मेरे साथ बढ़ा दो, अकेले रह गया हूँ साथ आके कुछ पल बिता दो। दे दो कुछ अच्छी यादें की ये पल जी लूँ, आके जरा कुछ अच्छा मुझे ब...

मैं सुनी हुँ / suni

  rkc                                                                                        lquh ,d vulqus la?k’kZ dh dgkuh   Rkc 1/17/2020     ;g dgkuh ck y fookg dq#fr ij vk/kkfjr gS] blesa ,d ckfydk ds thou pfj+= dks iznf”kr fd;k x;k gS tks vius lekt] ifjokj] fjfr;ksa dh ijokg fd;s fcuk vkxs c<-rh gSA   dz-la-        fo’k;     ...