वही गर्मी है | Vahi garmi hai




वही गर्मी है 


फर्श मार्बल का है, 

मजबुत मकान है ।

पंखे नये है, 

हवायें दे रहे है ।

अभी आराम महसुस कर ही रहा था ।

अभी बचपन को भूल ही रहा था ।

कि मौसम हुआ महरबान ।

लगने लगी उमस, बङी गर्मी ।

और याद आ गया वो जहान ।

वही गर्मी, वही मकान ।

वो खेलू की छत, 

वो मिट्टी की दीवारें, 

वो सीमेंट का उखड़ा फर्श ।

वो चार पाई, 

वो असंग की सुगंध ।

वो लू के थपेड़े,

वो जुगाड़ी पंखे की हवा ।

वो मेरा आराम करना ।

बिना शिकायत पढ़ते रहना ।

ठीक वैसे - जैसे पढ़ रहा अभी ।

वही गर्मी है ।

ये वैसे ही गर्मी है ।


Kavitarani1 

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