मैंने सपने देखना छोड़ दिया | mene sapne dekhna chhod diya hai


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 मैंने सपने देखना छोड़ दिया 


किसी की पलकों पर नजर ठहराना ।

नम होठों को गुलाब कि पखुडियाँ कहना ।

गालों की लाली को चूमने की चाह करना ।

अधरों के स्पर्श में झूमनें की आस करना ।

किसी की बाहों में सोते रहना ।

किसी को कस कर बाहों में भरना ।

किसी की जुल्फों से सर को ढकना ।

काली रात और तारों से बात करना ।

प्यार भरी मुस्कान पर मरना ।

किसी के लिये दिन भर आह भरना ।

और किसी के लिये जीते है यह कहना ।

मैंने अपनी दुनिया से ये सब दुर कर लिया। 

जो कभी उभर आते थे सपने बन ।

मैंने उन सपनों को देखना छोड़ दिया। ।


शानदार बंगलो में रहना और कारों की सेर करना ।

चिंताओं को दूर रख सबको खुश रखना। 

जो छुट गये पिछे उनकी मदद करना ।

जो काम आये कहीं उनकी सहायता करना ।

वो बने मेरे खास दिल से ये बात करना ।

वो बने मेरी आस यही सबसे कहना ।

निश्चित नये शिखरों को चुमते रहना ।

बाधाओं से कई लाखो फुट दुर रहना ।

हँसना और लोगों को हॅसाते रहना ।


जो देते रहे दुख उन्हें माफ करना ।

कोई ना हो नाराज ऐसी आस करना ।

परिवार को और मजबूत करते रहना ।

हर परेशानी को साथ पार करना ।

मैंने दिल से इतना बंद कर दिया। 

बार-बार मिली हार ने इनपे ध्यान देना छोड़ दिया। 

कभी मिलेगी भी ये चीजे सोचना छोड़ दिया। 

मैंने ऐसे सपनें देखना छोड़ दिया। ।


किसी दुख से कोसो दुर रहूँगा। 

किसी को कभी कैसे भी दुख ना दूगाँ। 

कहीं कोई नाराज ना हो ध्यान रखुगाँ। 

आगे से कोई गलती ना हो ध्यान रखुगाँ ।

जो पुछे कुछ हमेशा जवाब दूगाँ। 

कोई कितना भी अकड़े मैं विनम्र रहुगाँ। 

कोई कितना ही टिसे मैं माफ करूगाँ। 

मैं साफ मन और साफ तन जीऊगाँ। 

किसी एक का ही मैं वर रहूँगा। 

किसी अनजान को दुख ना दूगाँ। 

कहीं रूक अपनी मंजिल को तकूगाँ ।

सोचना कम कर ज्यादा जीऊगाँ। 

ये जो सब सोचता था अब सब भूल गया ।

जिंदगी की उठा पटक में मैं खो गया ।

इतना उलझा उठा पटक में कि ।

मैंने सपने देखना छोड़ दिया ।।


 Kavitarani1

 24,25




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