जैसा तुम कहो / jaisa tum kaho


 


जैसा तुम कहो 


प्यार नी होना फिर, बात नी होनी ।

कहने दे जो तुझको है कहनी ।

अब वापस में आऊँ और कहूँ बात जो तुम्हें सुननी ।

जैसे तुम कहो अब वो बात नी होनी ।

सुन ली बहुत, अब सुननी नहीं ।

दूर-दूर, रह-रह दूरी ही रखनी ।

बनायी थी जो बात अब बिगड़ गई ।

जैसा तुम कहो, अब मुझे नहीं कहनी ।

सीधी-साधी चल रही, चलने ना दी ।

मासुमियत मेरी, तेरे दिल में नी गयी ।

दोस्तों के चक्कर में खोई रही ।

अच्छे से रहते - रहते बुरी हुई ।

यही तुम्हें पंसद तो यही सही ।

जैसे तुम कहो, वैसे ही होनी ।

अब बात खत्म बस यही कहनी ।।


Kavitarani1 

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