कब आओगे मित मेरे | kab aoge mit mere
कब आओगी मित मेरे
जेठ गया तपते - तपते,
आषाढ़ सुना बिता,
बित है कोरा सावन,
बित गये दिन-रेना,
बिते दिन रेना ।
कितने सावन बिते,
कितने दिन रिते ।
कितने महिने छुटे,
कितने बरस जीते ।
अब यादों के सहारे जीना हुआ मुश्किल ।
जीना हुआ मुश्किल ।
कब आओगे,
मेरे मित तुम कब आओगे ।
गिन - गिन काटे दिन अब,
कब आओगे मित मेरे ।
कहाँ से लाऊँ सपने,
कहाँ से लाऊँ यादे मैं ।
सुखे पतझड़ के गिरते मेरे आँसु से सुखे ।
सुख गई है बातें अब याद नहीं कोई यादें ।
अब आओ तुम तो समझ सकूँ ।
कुछ दिन - साल है जो जी सकूँ ।
मैं पूँछू इस हवा से,
कहाँ है मित मेरा रे ।
कब आओगे मित मेरे ।
कब आओगे मित मेरे ।।
Kavitarani1
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