खामोशी | khamoshi
खामोशी
मुझे खोमोशियाँ जगाती है ।
याद नहीं कब शांत जगह रहा मैं,
पता नहीं कहाँ गया था मैं ।
शौर में ही दिन गुजरें है ।
मैं शांति में नहीं रहा हूँ ।
शायद इसीलिए शांति अन्दर से खाती है ।
खामोशियाँ डराती है ।
कोई बोलता तक पंसद ना आता,
शौर मेरे समय को खाता,
चिल्लाहटें आस-पास रही है,
मेरे आस-पास खामोशी नहीं रही है ।
इसीलिए आदत नहीं है ।
खामोशी घबराहट लगातार है ।
पर शांति की तलाश में था मैं ।
और शांति में जीना चाहता था मैं ।
आगे बढ़ने के लिये शांत होना जरूरी है ।
मुझे इसकी आदत जरूरी है ।
मुझे ख्वामोशी जगाये रखे ।
शांत कर आगे बढ़ये रखे ।
इस नयी जगह का मैं आदी होऊँ ।
ध्यान लगाऊं आगे बढूँ ।
मुझे खामोशी की जरूरत है ।
खामोशी मुझे जगाती है ।।
Kavitarani1
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