सब फरेब है | Sab fareb hai
सब फरेब है चलैया मैं चलैया, चलैया भर मन में फरेब मैं । चला ना कहीं सिक्का ये रखे ऐब है । कहैया मैं कहैया, सब जग सुनैया । सुनेया ना बनिया रे, सिक्का मेरा खोटा रखे ऐब ये ।। मोह के धागे बांधे, बांधी है डोर मैले में । खिंचे जाये चीज सारी अनमोल ये ।। पाना जो चाहूँ कुछ, कुछ लेना चाहूँ । छुना पाऊँ लेना चाऊँ भरी ऐब ये, लगे सब फरेब है ।। मैला खिचें मोह, खिंचे धागे नयनों के तीर ये । पास जाऊँ लगे सब फरेब ये, सिक्का मेरा खोटा रखे ऐब ये ।। सुनैया मैं सुनैया, प्रेम की पीड़ा अनमोल है । लगे मन में रोग ये, लगे मन को रोग ये ।। चलैया मैं चलैया, चलैया भर मन में फरेब मैं । चला ना खोटा सिक्का, सिक्का ये रखे ऐब ये ।। गया था दूर कभी, दूर हूँ बहुत अभी । अभी है जीवन मजबूत ये, जग में सब लगे फरेब है ।। छोड़ी-कोड़ी जोड़ी मोह की माया जोड़ी । जुड़ी नहीं मन की प्रीत रे, चला ना खोटा सिक्का रखे ऐब ये ।। खोटा मैं सिक्का रखुं ऐब में, रखुं सब फरेब मैं ।। Kavitarani1 166