गंगा मैया / Ganga maiya
गंगा मैया।
पाप नाशनी,
ताप नाशनी,
कलरव करती तेरी धारा।
नित वाहिनी,
पितृ वाहिनी,
सधानिरा तेरी धारा।
शीतल पेय,
औषध लेय,
निर्मल करती काया।
जय गंगा मैया।
जय जय गंगा मैया। ।
देव हो,
दानव हो,
सबको तुमने अपनाया।
वरदान हो,
अभिशाप हो,
सब तुझमें समाया।
नर हो,
नारी हो,
सबको नारायण मिलाया।
तुझमें शक्ति,
तुझमें भक्ति,
कौन तुझ बिन पूरा हो पाया।
जय गंगा मैया।
जय जय गंगा मैया। ।
हो उदास,
या भर उल्लास,
जो कोई तेरे तट आया।
भर उमंग,
हो नव संचार,
एक पथ बढ़कर पाया।
शांत मन,
शीतल तन,
हर मानव हर्षाया।
तेरी कृपा अपार,
तेरी माया अपार,
गाँव-गाँव घर-घर मेें तुझे पाया।
जय गंगा मैया।
जय जय गंगा मैया। ।
हो भाव ब्याह का,
हो बाव गाँव की,
हो चरी घर की,
हो रस्म मंदिर की।
ना निर्मल तुझसे कोई पाया,
ना पवित्र तुझसे कोई पाया,
ना भेद तेरा समझ आया,
ना मैल दूर तक समझ आया।
क्या है महिमा?
क्या है गरिमा?
सब तुझसे,
सब तुझमें, मैया।
जय गंगा मैया।
जय जय गंगा मैया। ।
- कविता रानी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें