हारा नहीं मैं / Hara nhi main
हारा नहीं मैं
हारा नहीं मैं,
बस अटक गया हूँ ।
जीवन की इस दौड़ में,
मैं यूँ ही रूक गया हूँ ।।
मंजिल ये नहीं मेरी जहाँ बैठा हूँ ।
जाना है दूर तक जाने क्यूँ ऐंठा हूँ ।।
एक जुनून की कमी हो गयी है,
एक प्यास की जरूरत आन पड़ी है ।
आराम परस्त लग रहा हूँ ।
लग रहा है की ज्यादा ठहर गया हूँ ।।
अब समय आ गया ,
अब मन उतर गया ।
अब यहाँ रूकना नहीं मुझे,
अब आगे बढ़ना है मुझे ।।
वो मुकाम मेरा इंतजार कर रहा ,
वो सपना मुझे कह रहा ।
बहुत है तु रूक लिया,
अब उठ आगे बढ़ कह रहा ।।
हारा नहीं मैं,
बस अटक गया हूँ ।
जीवन की दौड़ भाग में,
फस गया हूँ ।
हारा नहीं मैं,
बस थोङा सा रूक गया हूँ।।
Kavitarani1
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