जो सुनी ना तुने / Jo suni na tune
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जो सुनी ना तुने
लब्ज ठहरे से लगते है।
रूकी सी लगती जिन्दगी ।
जो तुने ना सुनी,
अनसुनी मेरी जिन्दगी।
और कहूँ किससे,
कोई मन के पास नहीं।
ये तुझसे राजी है,
तुझसे ही है रूठा भी।
कहने को कुछ नहीं,
पर बातें है बहुत सारी।
जो तुने सुनी तो आती,
अनसुनी खो जाती कहीं।
एक अलग रिश्ता है तुझसे ,
ऐसी अपेक्षा किसी से नहीं।
जो रूठी है तु मुझसे,
रूठी है जिन्दगी मुझसे।
खुशियाँ अनजाने पास है,
दुःख खोये रहते कहीं।
जो सुनी तुने मेरी,
बातें जग जाती मेरी।
हूँ नही बच्चा अब मैं,
बस नादानियाँ हो जाती।
सामने तेरे आने से,
बचकानियाँ जग जाती है।
जो सुनी ना तुने,
सब बातें अनसुनी रह जाती है।
लब्ज ठहर जाते है,
जिन्दगी रूठ जाती है।।
Kavitarani1
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