तेरे भरोसे जीता हूँ / Tere bharoshe jeeta hun

 



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तेरे भरोसे जीता हूँ 


मैं अनाथ, अकेला, मन के बोझ तले दबा हुआ । 

रोज एक-एक कर दिन गुजार रहा हूँ ।

एक ईश्वर का सहारा मान के चलता आया ।

आज भी उन्हीं को ताक रहा हूँ ।

सुबह ही प्रार्थना की कि पैसे खत्म हो गये ।

शाम को मेरा खाता भर दिया है ।

जब कभी उदास बैठ ध्यान किया । 

सामने जैसे मेरे आ जाते है ।

कृपा करते हो मुझ पर राम ।

मुझे सुधार कर रखते हो राम ।

पालन हार हो मेरे प्रभु । 

जैसे साथ हमेशा चलते हो मेरे प्रभु ।

देख रहा था मुरत को ।

लग रहा जैसे पुरा ध्यान मुझ पर हो ।

सोच रहा था हाथ फैलाने की ।

कि आप मेरे कहने से पहले कृपा करते हो ।

मैं अचरज मैं जीता हूँ,

कष्टों के, गम के आँसु पीता रहा हूँ । 

कृपा आपकी पाते रहा हूँ,

कैसे कहूँ फिर मैं अकेला रहा हूँ ।

कृपा की बाट जोहता रहता हूँ । 

मैं तेरे दर पर बाट तेरी जोहता हूँ ।

मैं प्रभु और किसी के नहीं,

बस तेरे भरोसे जीता हूँ ।।


Kavitarani1  

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