सुध है / Sudh hai
Click here to see this in video
सुध है
सुधबुध है मोहे, होंश है ।
जग से रिझा,तुझ से खिझ है ।
सुधबुध है...
मोर अगंना, नाच रहा ।
शांत जग, हॅस रहा है ।
हवायें है मध्यम, चिड़ियों का गीत है ।
देख रहा जग को, होंश है ।
सुधबुध है..,
सांझ सुबह छत पर बैठा ।
मन बावरा कहीं खोया है ।
खोयी है, गति है ।
जग से रिझा, खिंचा जाता ।
सपने पाने की कोशिश ।
सुधबुध है...
अपनी धुन में मोर नांचे ।
गाये तराने नाच - नाच के ।
देख हिया उलझा है ।
शांत है सुबह, ओझल तारे ।
जाने को राहे सुलभ है ।
चढ़ता रवि, बढ़ता दिन भी ।
काम के बोझ में जीवन है ।
सुधबुध है...।।
Kavitarani1
221
Good
जवाब देंहटाएं