सुध है / Sudh hai


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सुध है 


सुधबुध है मोहे, होंश है ।

जग से रिझा,तुझ से खिझ है ।

सुधबुध है...

मोर अगंना, नाच रहा ।

शांत जग, हॅस रहा है ।

हवायें है मध्यम, चिड़ियों का गीत है ।

देख रहा जग को, होंश है ।

सुधबुध है..,

सांझ सुबह छत पर बैठा ।

मन बावरा कहीं खोया है ।

खोयी है, गति है ।

जग से रिझा, खिंचा जाता ।

सपने पाने की कोशिश ।

सुधबुध है...

अपनी धुन में मोर नांचे ।

गाये तराने नाच - नाच के ।

देख हिया उलझा है ।

शांत है सुबह, ओझल तारे ।

जाने को राहे सुलभ है ।

चढ़ता रवि, बढ़ता दिन भी ।

काम के बोझ में जीवन है ।

सुधबुध है...।।


Kavitarani1 

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