जीवन साथी | Jivan sathi




जीवन साथी 


तुम आये नहीं अब तक,

ओ जीवन साथी मेरे ।

क्यों आये नहीं अब तक ?

कब से मैं, बैठा रूका तुम्हारे लिये ।

कब से मैं, राह तखता तुम्हारे लिये ।

मन में छुपाया हूँ प्यार बहुत सारा ।।


मन में आने नहीं दिया कोई, 

कोई बनाया ना सहारा ।

मेरा सहारा बनों तुम,

 कब से राह निहारूँ मैं ?

पूछूँ जग से, क्यों आये नहीं तुम ?

तुम आये नहीं अब तक,

ओ जीवन साथी मेरे ।

कब से रोज तकता मैं सवेरे ।

प्रेम का सागर भर - भर छलकता ।

प्रेम का बना गुड्डा - गुड़िया को तकता ।

मिट्टी का बना नम ही रहता ।

सुखी जाये मिट्टी अब, नम तु कर जा ।

कब से मैं बैठा रूका तुम्हारे लिये ।

आओ साजना बात करें बैठे साथ ।

रह गई जिन्दगी, रहते उदास ।

मुस्कान बन आओ, मन पर छाओ आज ।

मेरी दुनिया बन, मुझको भाओ आज ।

इंतजार में कट गई उमरिया ।

दिन कटे, रात कटी, भौर-शाम कटी हाँ ।

तुम आये नहीं अब तक, ओ जीवन साथी मेरे ।

क्यों आयें नहीं अब तक  ।।


Kavitarani1 

53

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya