सब फरेब है | Sab fareb hai
सब फरेब है
चलैया मैं चलैया, चलैया भर मन में फरेब मैं ।
चला ना कहीं सिक्का ये रखे ऐब है ।
कहैया मैं कहैया, सब जग सुनैया ।
सुनेया ना बनिया रे, सिक्का मेरा खोटा रखे ऐब ये ।।
मोह के धागे बांधे, बांधी है डोर मैले में ।
खिंचे जाये चीज सारी अनमोल ये ।।
पाना जो चाहूँ कुछ, कुछ लेना चाहूँ ।
छुना पाऊँ लेना चाऊँ भरी ऐब ये, लगे सब फरेब है ।।
मैला खिचें मोह, खिंचे धागे नयनों के तीर ये ।
पास जाऊँ लगे सब फरेब ये, सिक्का मेरा खोटा रखे ऐब ये ।।
सुनैया मैं सुनैया, प्रेम की पीड़ा अनमोल है ।
लगे मन में रोग ये, लगे मन को रोग ये ।।
चलैया मैं चलैया, चलैया भर मन में फरेब मैं ।
चला ना खोटा सिक्का, सिक्का ये रखे ऐब ये ।।
गया था दूर कभी, दूर हूँ बहुत अभी ।
अभी है जीवन मजबूत ये, जग में सब लगे फरेब है ।।
छोड़ी-कोड़ी जोड़ी मोह की माया जोड़ी ।
जुड़ी नहीं मन की प्रीत रे, चला ना खोटा सिक्का रखे ऐब ये ।।
खोटा मैं सिक्का रखुं ऐब में,
रखुं सब फरेब मैं ।।
Kavitarani1
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