होय सब जो राम राखा | hoy sab jo ram rakha

 

होय वही जो राम राखा


माई म्हारी छोङ गी जद, छोङ ग्यो उंजाळो ।

जग म ढोल पीट लोग, खैव मई बैचारो ।।


आफत आई दुख बणक, जग म नी कोई सहारो ।

छोङ दुनियादारी रवि गायो, राम भजण ह प्यारो ।।


खोई खेव बेबस्यो, तो खोई खैव लाचारो ।

मूं जाणु नादान नी जो, होव सब जो ह राम प्यारो ।।


जीवण म होय सब जो भाग म लिख्यो म्हारो ।

होव सब जो सब जो राम न लिख्यो, होव सब राम को प्यारो ।।


पोथी पढ़-पढ़ जग मुड्यो, प्रेम की बात न सुझ ।

भूल दिया बाती तेल, यो लो जल् क बुझ् ।।


फुल खिल्यो ताजो ताजो, मुरझाणों ह इन एक दिण ।

ह अंधेरो रात न भल्, मटणो ह इण रात क बिण ।।


रास्तो ह लम्बो घणों, इण काटणो ह चलत-चलत ।

सोंच काही की विचार कई फेर हो जाव सब रित् ।।


जो मिले राम भाग माथे, जप ल राम नाम न ।

होय सब भाग माथे, होय सब जो राम राख ।।


- कवितारानी।

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