रोश (anger)

रोश । धरा,अनल धधकती रोज। धाराओं में दुधती ओज। नित खोज में जीवन शोध। किससे कहूँ क्या मन में रोश।। धीर धरा-का ध्वस्त खास। तन पर तेज पड़ता प्रकाश। मन पर बोझ ना आता रास। रोश भरा जीवन आज।। शुष्क, शांत पवन निराश। बाधाओ से घिरा राज़। आशाओं को उपवन की आस। रहा मन में बन रोश आज।। नव यौवन,नव परिवर्तन को। बैठा फिर पतंगा क्षितिज को। खोज रहा आराम आज। भर रोश कर रहा पल-पल का नाश ।। -कविता रानी।