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कोई मेरी परवाह करता है

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कोई मेरी परवाह करता -विडियो देखे कोई मेरी परवाह करता है  कल बात हुई एक दोस्त से, वो कल को भूलाकर आज की कहता है। जो कद्र ना करता मेरी ज्यादा, आज वो मेरी सुरत पर कहता है।। अच्छा है उसे याद नहीं कल क्या हुआ,  मेरा मन भी सबसे अच्छा रहना चाहता है।  भूला बैठा वो मुझे अकेला छोड़ने  को, और आज मेरे अकेलेपन की बात करता है।। जीत लिया मन उसने कह के मेरे उतरे चहरे को, कई बरसों बाद सुना,आखिर कोई तो चेहरा पडता है।। हकीकत से वाकिफ वो भी होगा, कैसे दिल को मैं राजी करता हूँ। जैसे कटे है दिन बचपन के, जवानी के बोझ को कैसे जीता हूँ।। चलो ना समझा मेरे आज के हालातों को, पर जान अच्छा लगा कोई तो है जो, कभी-कभार कह कर ही, मेरी कहीं तो परवाह करता है।। Kavitarani1  23

कमजोर | Kamjor | weak

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  कमजोर - विडियो देखें कमजोर नहीं है जोर किसी का, ना जोरी है।  मन में जो आये करता, कहता हूँ शीनाजोरी है।। थोड़ी है जिदंगी,  बंदगी थोड़ी हैं।  सोंच रहा हूँ कोई आये, देखे क्या कमजोरी है।। हाँ, मुझमें कमजोरी है।। लगा रहता दौड़ भाग में,  भाग में नहीं जो उसे पाने को। लाने को किस्मत चमकानें को, मैं लगा रहता किसी को पाने को।। ये मजबुरी है जो जोड़ी है मुझसे हाँ।  मन करता है,  डरता है,  कहीं छोङ ना दे तन मेरा।। मेरा खुद पर वश नहीं,  बस यही कहता हूँ मैं।  यहाँ क्या  जहाँ रहा, रहा अकेला मैं।। बस यही अकेलापन बनी कमजोरी है।  दूर करनी मुझे ये जोरी है।। रह-रह इसमें कमजोर हुआ।  लगता बाहर से भला, भला ना कुछ मेरा हुआ।। कमजोर हूँ मन का, कहूँ किसे बता, बता कुछ दवा है तो, बता करूँ क्या बता। कमजोर हूँ मैं।। Kavitarani1  81

दोगले लोग | Dogale log | Fraud people

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दोगले लोग - विडियो देखें  दोगले लोग पता नहीं मेरी समझ बढ़ गयी। या मेरे काम बढ़ गये। पर ना चाहते हुए भी,  लोगो से मेरे काम बढ़ गये। कितने मिठे बोलते है,  जब उनसे कोई काम ना पढ़ता । एक कागज क्या मांगा सारा मिठा, कड़वा कर दिया। बड़े दोगले लोग मिलते है आज कल। समझ ये नहीं आता,  धरा  की इस छाया में। हरियाली मनोहारी वातावरण में। कैसे ये परपीङन सुखी लोग़ पलते हैं। पढ़ा और सुना जिस तपोभूमि की हमनें,  यहाँ कैसे ऐसे लोग रहते है। दुसरो के दुःख में सुख खोजते हैं।  दुखी को और दुखी करते हैं।  रहते अच्छे से, पर पीठ पिछे दगा करते हैं।  इस धरा पर मैंने देखे। बस दोगले लोग रहते।। Kavitarani1  27

बैचेन हूँ मैं | bechain hun mein | I unrest

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बैचैन हूँ मैं - वीडियो देखे   बैचेन हूँ मैं  सुबह से उठते ही, अलग सी बैचेनी घेर लेती है।  प्यार की तड़प से अलग, आगे की सोंच घेर लेती है।  जाना है घर,गाँव अपने, यह भी बदल देती है।  रहना है फिर से मस्त, यह भी अस्त कर देती है।  अभी उगा ही था रवि की, बैचेनी घेर लेती है।  अभी तो जल-जल कर पकने लगा था कि, परेशानियाँ तोड़ दे रही है।  बचपन से उठाई परेशानियाँ सामने है।  दूर जा रहा इन बुरे लोगो से, पर घर जाने की भी इच्छा कहाँ है।  सब ठीक होने की आस में हूँ।  और अभी बैचेन हूँ मैं।  ना खाना समय पर खा पा रहा। ना नींद समय पर ले पा रहा हूँ मैं।  मेहनत से कई कोस दूर जा चुका । ऐसे जग में हूँ मैं।  बैचेन कर दिया इस दुनिया ने। कितना कमज़ोर हूँ मैं।  बैचेन हूँ मैं।  Kavitarani1  36

ऐसे में कैसे रहे | Ese mein kese rhe | How we can live in it

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ऐसे में कैसे रहे - वीडियो देखे ऐसे में कैसे रहे  जब झूठ अपनी ऊँचाई बढ़ा ले। सच अँधेरे में खुद को छुपा ले। विश्वास कहीं घायल पड़ा हो। यकीन एक शब्द पर ना हो। संदेह पर हर बात रहे। शक पर बुनियाद टिकी रहे। कैसे कोई सच पर अडिग रहे। । हर कोई मिठी मुस्कान भर । अन्दर से षड़यन्त्र करे। पिठ पिछे बुराई करे। अन्तर्मन से शुध्द कह कर । सत्य को असत्य कह कर। अपना ही बस मुल्य कहे। ऐसे लोगों में साफ मन कैसे जीये। मासूमियत ऐसे में कैसे जीये।। Kavitarani1  26  

कहने दे कभी | Kahane de kabhi

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कहने दे कभी- वीडियो देखे कहने दे कभी   कहने दे कभी, मेरी बातें अधुरी। तु मेरी ना थी,ना कहानी मेरी। रहने दे अभी,अपने बीच दुरी। तु भी खुश है,खुद है खुशी मेरी। जब कभी फिर तु पलट आयेगी। सुनना आराम से जो कसक पायेगी।। खोना ना तु जग की रोशनी में।  अंधेरे कोने में कहीं दफन रहना मेरे। । दफन है मन में अरमान कई। सपनों की कब्रें लगी है यहीं।  खोया रहा हूँ बरसों से मैं भी।  खोयी रही तु मुझमें कहीं।  आज भी ज़रा सा कोई दगा हो। यादों की तह से कुछ तु दफा हो। अनछुए पहलुओं से सुरत दिखती वही। दिखाई तुने अपनी बातें कहीं। । सुनना चाहुगाँ,खता मेरी हो जो लिखी। गुनहगार हूँ दिखाना कोई तो कमी। नमी ही रही जो तु थी पास में कहीं।  आँखो में बसी और ले गई थी हँसी।  किस गुनाह की दी थी सजा बताना मुझे।  वक्त मिले तो अपनी भी सुनाना मुझे। रहने अभी जो आग है मन बुझी। वक्त आने पर कहेंगें तु सनना सही।। Kavitarani1  4

जो है मेरे सुने लम्हों में | Jo hai mere sune lamho mein | you are in me

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जो है मेरे सुने लम्हों में - विडियो देखें जो है मेरे सुने लम्हों में  यूँ तो भूल  गया हूँ मैं, पर जा मिला हूँ खयालों में।  अहसासों में अब पास नहीं, साथ है मेरे सुनें लम्हों में।। वो मिठास कहीं खोई है, वो प्यास भी अब सोई है। उससे मिलने को जो रोई थी,वो नजरें अब सोई है। । यूँ तो कुछ खुशी पाई है, पर उसमें बस तेरी परछाई है।  जो हकीकत में साक्षात हो,उसी की कमी पाई है। । कभी कोशिश ना की ढूँढने की,जो आई खुद टकराई है । कुछ बातें की और पता चला, ये तो धुआँ करने आई है। । जो सुलगाये आग को,तपन जिससे हो जीवन में।  मेरे जीवन की शीत मिटाये,वो आती है मेरे सुने लम्हों में। । ढृढ़ विश्वास कर सकूं, खुद से ज्यादा उसमें घुल सकूं।  मेरे अधुरेपन को मिटा सकूं, मेरे एकांत को मिटा सकूं। । कुछ आस उससे जगाई है, कुछ प्यास  उससे लगाई है।  यूँ तो कट रही जिन्दगी मेरी,पर सुने लम्हों में याद उसकी आई है। । जो सुरत देखी थी सपनों में, वो धुंधली हो गई है।  जो ख्याल रखे थे सहेज कर ,वो धुल में कर गई है। । आने को जिसे आ जाना था ,जाने क्यों शर्माई है।  उसके आने से पहले,कइयों से जा...

तु भी भूल जा | Tu bhi bhul ja | Forget me

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तु भी भूल जा - विडियो देखें तु भी भूल जा  गया जो बचपन मेरा,बचपन के छूट गये।  कमाने निकले दूर जो,गाँव के लोग भूल गये।। वो गलियों की मिट्टी अब पक्की सड़क बन गयी। मेरे घर की कच्ची छत अब पक्की बन गयी।। कुछ साल बात ना की तो रिश्ते बिखर गये। जो दोस्त बने जवानी में वो पैसो से छुट गये।। गया जो दुर शहर से, अपने बदल गये। बने जो रिश्ते वो कई बार बिखर गये।। बने जो तुम मेरे,रस्ते सँवर गये।  बिछुड़ने के दौर मैं भी हॅसके गुजर गये।। वो दौर परिवर्तन का था,संभल कर बढ़ गये। मिले जितने प्यारे,सबसे खिल गये।। अब तुम खास हो,और अब लौटते लोग पुराने हैं।  जो भुला दिये वो दुर हो गये,तुम दुर से पास हो गये।। गया जमाना सिखा गया,बदलाव कैसे होते हैं।  जाते लोग बता गये,बिखराव कैसे होते हैं। । मैं भूल गया जो तु साथ था,अभी तक तु पास था। कहने को दोस्त मेरा,समझने को तु मेरा खास था।। अब तु भी बदल रहा,जैसे वो बदले धीरे -धीरे वैसे ही। जैसे मैं भूला उनको वैसे अब ,तु भी भूल जा। हाँ जाना है दूर मुझसे,तो दूर जा। मैं भूल जाऊँगा ,तु भी मुझे भूल जा।। Kavitarani1  61

चल रहा हूँ मैं | Chal rha hu mein | I'm walking- motivational poem

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चल रहा हूँ मैं - विडियो देखें  चल रहा हूँ मैं 

कलियुग | kalyug

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कलयुग- वीडियो देखे कलियुग  कलि का समय होता है।  सूर्योदय भी समय पर होता है।  मानवता भी एक सी दिखती।  फिर कैसे ये पता होता।  कि मैं कलियुग में होता।। कुछ सोंचा और जाना मैंने।  सोंच की अंतर है बड़ा  ।  मानवता निराश खड़ी।  पशुचरता मानव में पड़ी।  कोई संवेग जब ना बचा होता। वहीं से कलियुग होता।। ना रिश्ते सगे होते।  ना नाते जीवन भर होते। शिक्षा का ना सार होता । सत्कर्मी पर ही वार होता। यही कलियुग होता।  यही कलियुग होता।। Kavitarani1  221

जाने क्यों लिख ना पा रहा हूँ | Jane kyu likh na pa rha | Don't know why can't write

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जाने क्यों लिख ना पा रहा- वीडियो देखे जाने क्यों लिख ना पा रहा हूँ  शब्द कई आ रहे है। भाव कई छा रहे है।  पर जब-जब लिखने को बेठता हूँ मैं, कहीं खोये हुए अल्फाज़ पा रहा हूँ।  कैसे कहूँ कवि हूँ । कैसे कहूँ लेखक भी बनना चाहता हूँ।  ना शब्द संजो पा रहा हूँ।  ना लेख जमा पा रहा हूँ।  लगता है माँ सरस्वती नाराज है, उनका अभी मुझे नहीं ध्यान है।  या मेरी पुजा अधूरी रह गई है।  या मेरी माँ सुन नहीं रहीं है।  तभी तो कुछ कह नहीं पा रहा हूँ।  लिखना चाहता हूँ बहुत कुछ।  पर लिख नहीं पा रहा हूँ।  जाने क्यों ये हो रहा है।  जाने क्यों------- Kavitarani1  210

अब की शाम | This evening | abki sham

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  अब की शाम - विडियो देखें अब की शाम  आसमान नीला तो है, पर लालिमा नजर नहीं आ रही ।  आज की शाम भी मजेदार तो है,  पर मस्त नहीं लग रही।। ये रंग मन पर जो चढ़ता था कभी,  खोया है।  जो मन नम नजरों से झांकता था कभी,  खोया है। । अबकी शाम अलग है,  अबकी शाम हटके है।  ये मधुरता लिये है,  इसमें कुछ संतोष है। । पंछी गुम है गगन से यहाॅ, ना आसमान में कोई बादल है यहाँ।   विरह की वेदना पढ़ता था जिसमें मैं कभी, वो शाम कहीं गुम है अभी। अबकी शाम नई सी है।  ये शाम अलग है। । Kavitarani1  209

सोया सावन जगाये | Soya savan jagaye | sleeping rain awaken

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सोया सावन जगाये- वीडियो देखे सोया सावन जगाये   फुहार कोई आये, मेरे मन का सावन जगाये।  फुलवारी कोई जाये, सोया सावन जगाये।  उदासी कोई हटाये, प्रेम की बारिश कराये। बादल कोई बरसाये, मन का सुखा मिटाये। प्रेम कोई लाये, मेरे सुने योवन को सुलगाये। मधुर मौसम कोई लाये, शीतल पवन हो जाये।  हरियाली कोई बुलाये, धरती की जलन मिटाये। फुहार बारिश की आये, मेरे मन की आग बुझाये। खुशबु कोई छाये, मन की बास मिटाये। नमी कहीं से आए, तन की प्यास बुझाये।  जेठ की जलन भगाए, जो सावन दौङा आए। फुलवारी कोई छाये, सोया सावन जगाऐ।। - कविता रानी ।

आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहे | Why are we not talking on all this | Akhir hum is par bat kyu nhi kar rhe

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आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहे-वीडियो देखे   आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहे आँखे मूंद बैठे हैं या सोये है गहरी निद्रा में। सुनने में असमर्थ है या अनसुना कर रहे तन्द्रा में।  अब हम वो देश नहीं जो अनजान था जहान से। सपेरों से भरा कहलाता वो भरा अब पहचान से। आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहे।। आखिर हम किस बात से डर रहे। । पूरी दुनिया भरी पड़ी हिन्दुस्तान से। हर देश की संसद बोल रही हिंदी आन से। प्रधानमंत्री ही नहीं, राष्ट्रपति तक बन गये लोग हिन्दुस्तान से। मालिक बन काम कर रहे नामी देशी शान से। फिर क्यूँ हम अनदेखा करते इसे अपने ज्ञान से। आखिर हम इस पर बात क्यों नहीं कर रहे अभिमान से।। विश्व गौरव होता अपने नेता के जाने से। दुनिया बात करती लोकतंत्र के छाने से। भिन्नता-विभन्नता पर भी आगे बढ़ता है।  नम्बर एक बनने में होड़ नहीं करता है।  मुझे मान अभिमान है आप क्यों नहीं कर रहे। आखिर हम भारत की बात क्यों नही कर रहें। । महामारी में भी रुके नहीं आगें बढ़ने से । अन्न उपजा ज्यादा और देशो को दिया कहने से। स्वदेशी, सर्वाधिक दवाई सब को दे रहे हम। रोकने को कुचक्र विदेशी-देशी ...

हम ना होंगे | Hum na honge | we die

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हम ना होंगे- वीडियो देखे हम ना होंगे  खुशियाँ तो होगी, लोग भी होंगे । महफ़िलें सजेगी, उत्सव होगा । सब नाचेंगे गायेंगे, खुशियाँ मनायेंगे, तुम भी हॅसोगी, तुम भी गाओगी। महफ़िल में कहीं गुम हो जाओगी।  पर जब नाम हमारा आयेगा, पुरानें किस्सो को दोहराया जायेगा, सब याद करेगें, और सब हमारी बात करेंगे,  पर हम ना होंगे।।   वो हमफिल फिर विरान होगी । मुख पर हॅसी बेजान होगी । आखों की चमक खो जायेगी । जब दिल में  हमारी याद कराहेगी । कुछ पल नजर देखना चाहेगी । हमारी तलाश होगी । पर हम ना होगे ।। वो पल भी गुजर जायेगा । एक इतिहास लिखा जायेगा । खुब किस्से, जुड़ जायेंगे । खुब लोग जुड़ जायेंगे । पर बात जब छुटे हुए लोगों की आयेगी । फिर कहानियाँ बचपन की आयेंगी । वो यादें सब साथ होंगी । पर हम ना होंगे ।। Kavitarani1  38

मेरी वाली | Meri vali | my beloved

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मेरी वाली - विडियो देखें मेरी वाली  अब बस दिन आ जाये, जो सोंचा वैसा हो जाये । सब कहते मेरी वाली है,  अब मेरी वाली आ जाये ।। देख उसे मन भर जाये,  खाना बनाये पेट भर जाये । प्यारे हाथों से वो सहलाये,  और हाथों से रोटियाँ खिलाये ।। दिन गये बीत साल गुजारे है,  अब इंतजार गंवारा नहीं । कहीं से भी हो कैसे भी,  लानी है अब मेरी वाली ।। हाँ सपने सारे उसके पुरे करूँ,  वो मांगे वो लाके दूँ । जाऊँ जहाँ उसे साथ रखूँ,  उसके साथ सारे स्वाद साथ चखुँ । उसकी बाते सुन मन भर जाये,  दिल पर वो छा जाये । किसी और की ओर नजर ना जाये,  मेरी वाली आ जाये ।। अभी बस यही सोंच रहती है,  कैसी होगी वो,  वो कैसे रहती है । क्या समझ पायेगी वो मुझे कभी,  काम बहुत है करने मुझे अभी । सोंचा करूं कभी वो मेरे पास रहे,  और मैं उसके साथ रहूँ ।। मैं अपनी जिंदगी उसे कहूँ,  और कहे वो मुझे अपनी जिंदगी । बस प्रेम आपस में रहे,  बस प्रेम आपस में रहे। इंतजार हुआ बहुत सोंचते, अब तो बस यही सोंचते। कब आयेगी मेरी वाली, दुनिया पुछती कहाँ घर वाली। अब सवालों के जवाब नही...

फिर से ऐसे लोग ना मिले | Fir ese log na mile

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  फिर से ऐसे लोग ना मिले  पहली बार देख ही मन से उतरे हैं । महिनें भर साथ रह कर भी मन से ना जुङे हैं ।।   कोई एक ना उनमें ऐसा मैंने पाया ।  जिसे याद रखूँ, कहूँ हाँ मैने सच्चा साथी पाया ।। मन के मारे, अज्ञानता के भरे सारे ये । बुरी आदतों से भरे, लोभी लगते सारे ये ।। शिक्षा के मंदिर पर क्या ही सिखाते ये । अच्छा काम करे कोई तो बस उसे गिराते हैं ।। आगे बढ़ने वालों से जलते जाते । मुख पर कोरी मिठास दिखाते रहते हैं ।। छलावा कर साथ चलते,  दिखावे में ढूबे लोग ये । झूठे बनते सामने, पीठ पीछे सच्चे लोग ये ।। खुद की कमियों को नजरअंदाज करते। बेहतर इंसान को निचा कहते हैं ।। कमजोर समय में काम लेते,  बिन लड़ाई  ईर्ष्या से मरते हैं । कैसे ये अपना जीवन चरते हैं, कैसे ऐसे ये रहते हैं ।। रह लिया साथ, जितना था रहना इनके साथ । सिख गया इनसे भी बहुत, जितना सिखना था है वो खुब ।। बस अब यही कहना है,  फिर से ऐसे लोग ना मिले । यही दुआ करते यहाँ से जाना है, फिर से ना मिले ऐसे लोग।। मिले मन के सच्चे साथी, मन समझे और रहे मन से साथी । काम करे, करे कम भले बातें, पर रहे मन से साथ ही ...

जब याद आपकी आती है / Jab yad apki aati hai

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जब याद आपकी आती है  बारिश गुम हो जाती है।  रोशनी कहीं खोती जाती है।  तारे दिखने लगते है।  बादल छटने लगते है।  एक झड़ी सी लग जाती है।  बस खालीपन सी जिन्दगी लगती है।। तब सब खोये से लगते है।  अपने भी पराये लगते है।  फिर याद प्यारी बातें आती है।  कहीं दूर जिंदगी मुस्कुराती है।  फिर याद आपकी आती है।। फिर बारिश शुरू हो जाती है।  फिर नदियाँ बहने लगती है।  धड़कने कहाँ तब रुकती है।  साँसे तेज़ हो जाती है।  कुछ भी नहीं सुहाती है।  बस याद आपकी आती है।  मन को हल्का कर जाती है।  जब याद आपकी आती है। । Kavitarani1  127

फिर कैसे मंजिल पर ध्यान लगायें

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फिर कैसे मंजिल पर ध्यान लगायें  जब सुबह उठने से जी घबराये। अकेलापन सिर चढे और इतराये। कोई सगा-साथी ना काम आये।  अपने मन को तरह से समझये। कभी गानों को गुनगुनाये। कभी मोबाइल में लगे रह दिन बिताये।  ऐसे में कैसे तो जीया जाये।  फिर कैसे मंजिल पर ध्यान लगाये।  सुबह छोड़ काम पर जाये। उलझे रहे काम में और साथी आये चिढ़ाये। बेवजह कुछ जले कुछ टांग अड़ाये । लगने ना दे अपने काम में।  ऐसे में कैसे मुल मंत्र पर कोई टिक पाये। राह बनाते आये दिन और फिर बदलते जाये। स्थिर ना चित्त रह पाये ना स्थिर जीवन पाये। फिर कैसे मंजिल पर ध्यान लगायें। । Kavitarani1  16

मैं तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ

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मैं तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ  मैं तुम्हारे लिये कुछ लिखना चाहूँ । जुड़ा तुमसे किस कदर बताना चाहूँ। मैं तुम्हारे लिये कुछ नगमें बनाऊँ। । हाँ ये आसानी से कर सकता हूँ मैं ।  दिल से निकले शब्दों को सीधे लिख सकता हूँ मैं।  तुमसे जुड़ाव भी तो गहरा है । कहीं छुपे रहे कर मेरे एकांत पर तुम्हारा पहरा है।  मैं अपने लम्हे तुम्हारे नाम करना चाहूँ।  सुनूं तुम्हारी और खुब अपनी कहना चाहूँ।  मैं तुम्हारे साथ जीना चाहूँ। । बड़ा वज़न होता शब्दों में।  दिल के कई भाव होते हैं इनमें।  मैं अपने दिल के भावों को तुम्हारे लिए कहना चाहूँ।  हाँ में कभी-कभी ज्यादा सोचता हूँ।  मैं हर सोंच को तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ। । Kavitarani1  17

आसान नहीं

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  आसान नहीं  पथ पर चलना अपने मन से।  रथ रहना अपने आप में।  कर्म को ही धर्म बना लेना। आसान नहीं है यह कह लेना।। करना है जो काम भारी है।  मन को समझाना भारी है।  हर बार यह कह देना है मेरी बारी। आसान नहीं है चुनौतियाँ सारी।। मैं तन के सारे बोझ सहता हूँ।  सक्षम हूँ सक्षमता कहता हूँ।  अक्षम्य काम से करना यारी । आसान नहीं ये बात सारी।। मन के मौज में रोज रहता। तन के ओज में भोगी रहना। एक लय का होते रहना। आसान नहीं यूँ जिंदगी सहना।। है आसान समायोजन कर लेना । हे पथिक अडिग ना हमेशा रहना। कहना बस इतना है मुझे तुमसे। आसान नहीं जीवन में हमेशा खुश रहना।। - कवितारानी। 196

भारत मेरी जान है

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 भारत मेरी जान है  सुन्दर छवि है इसकी, विविधता महान है।  विभिन्नताओं से अटा पड़ा, भारत मेरी जान है। । अलग-अलग है बोली यहाँ,  अलग-अलग पहनावा है,  एकता है शान यहाँ की,  बारत मेरी जान है। । हर बच्चा राम यहाँ,  हर दावत रमजान है,  नानक की शिक्षा से, भारत मेरी शान है। । गाँधी की लाठी से,  राणा की तलवार तक, कलाम की कलम से लिखा, भारत मेरी आन है। । झाँसी की रानी से, कल्पना की उड़ान तक, गार्गी के ज्ञान से जाना, मेरा भारत महान है। । मगल पर पहरा करते,  चाँद का स्पर्श है,  ईसरो जैसे संस्था से, भारत का अभिमान है। । आजादी का दिन है आया, फिर से दिलों में जान है,  भारत माँ के जयकारो में,  भारत मेरी जान है। । गूंज उठी है आवाजें,  जग में रोशन नाम है,  भारत माँ का मस्तक ऊँचा,  हमें भारत पर अभिमान है। । धड़कनों में जोश भरा, साँसों में जयकार है, आजादी के पर्व पर गायें।  भारत मेरी जान है ।। अखण्ड एकांत का सुत्र पहले, पंथ निरपेक्षता का सिद्धांत है,  हर एक जन जननायक यहाँ,  भारत मेरी जान है। । ।जय हिन्द। ।।जय हिन्द। । ...

ये भारत माँ की हुँकार है

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 ये भारत माँ की हुँकार है  गूंज उठेगी दीवारे,मीनारे सिर उठायेगी। इकलाब के नारो से,कहानियाँ लिखी जायेगी।। काँप उठेगी धरती,दुश्मन का दिल दहलेगा। भारत माँ की ओर बुरी नजर से, जो कोई देखेगा।। जय हिंद के किलकारियों से फिर रण जीता जायेगा। रण बांकुरो के रक्त से फिर माँ को चोला चढ़ाया जायेगा।। बलिदानों की इस भूमि पर शेरों का वास है।  आज भी भारत माँ का मस्तक हमारा अभिमान है। । गूंज उठी है घाटियाँ, पहाडों पर निशानि है। हरे-भरे मैदान है,रेगिस्तान में कहानी है।। पश्चिमी घुसपेठ नापाकी,उत्तरी चीन चालाक है।  हर बात पर मात खिलाते,हमारे वीर सैनीक महान है।  मंगल का चक्कर लगाते, चाँद पर चन्द्रयान है।  ब्रह्माण्ड पर नजर रखते,विश्व में अपना ही गुणगान है। । आजादी के बरस बीते,अब ये नया युग का गान है।  शक्ति का परचम लहराते,हम विश्व में आम है।। ध्यान से सुन लो ये नहीं कोई आम पुकार है।  जोशिले भाषण नहीं ये भारत माँ की हुँकार है। । Kavitarani1  185

सपने खोये है

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  सपने खोये है  सुनहरे सपने अब और नहीं। यादगार शामें अब और नहीं। तारों भरी रातें अब कहीं और है। जो जीये सुःख-दुःख कहीं और है।। कहीं जाऊँ तो बस अपनी चादर तक। अब सपनें कहीं और नींद कहीं है।  लग रहा था सफर लम्बा बहुत। सफर का अंत अब यहीं कहीं है।। शामें मेरी खोई हुई है। रातें मेरी खोई हुई हैं। मन उदास है कभी-  कभी उलझने मन भरी है।  सुनहरे सपने अब और कहीं है।। - कविता रानी।

मैं पतंगा

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मैं पतंगा  मैं बन पतंगा उड़ता,  चमक देख आगे बढ़ता।  लडता खुद ही खुद से मैं,  अड़ता तेज तपन से मैं।  एक जुनून था मुझमें समाया,  बस मिट जाने को जैसे तन पाया।  गिरता-टकराता फिर मंडराया।  जानता था ये देह ले लेगी मेरी,  समझता था ये मिटा देगी जीवनी मेरी।  मोह जाल में ऐसा हुआ,  मैं गिर कर फिर खड़ हुआ।  अध जल पंखो ने हवा भरी,  अध जली काया अब पूरी जली।  मैं पतंगा अब ना मुर्छित, धुएं में मैं अब लक्षित। । Kavitarani1  198

बस जीया जाये

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बस जीया जाये   जब कोशिश बार-बार नाकाम हों। हम चढ़े ऊपर और निचे गिरना आम हो । कोई युक्ति शक्ति ना दे पाये। सपनों की मंजिल को पाने को जी मचल जाये। हिम्मत हारी नहीं, ना होंसला छोड़ा हो। पर हालातो के आगे जब खुद को विवश पाया जाये। ऐसे में कुछ ना कर,बस जीया जाये। । एक वक्त आता है जब राहें खुली मिलती है।  जो सोंचा वो पाने की चाह,राह पर बढ़ती है।  कोई रुकावट बड़ वहाँ नहीं दिखती है।  उस वक्त के लिये ही अभी कुछ रुका जाये।  कुछ छोटे मोटे काम पड़ उन्हें पुरा किया जाये।  अभी बस जीया जाये। । सब अपनी मर्ज़ी का होता है।  जो सोंचा वैसा ही मिलता है।  सिद्त से चाह  और मेहनत का पैमाना देखा जाता है।  श्रध्दा के साथ आशीर्वाद काम आता है।  निश्चल,आत्मविश्वास से कर्म किये जाये। अभी बन ना पा रही राह तो ना घबरायें। जो चल रहा उसे बेहतर किया जायें। और बस जीया जाये। । -कल पुरे होते सपनों के लिये, आज को बेहतरीन जीने पर एक सुदर कविता  Kavitarani1  43

बदलाव चाहिए

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बदलाव चाहिए  कई दिन हो गये यहाँ रूके हुए। अब नई जगह चाहिए।  जाना कहाँ ना पता,पर यहाँ से जाना है। । खोज नई,चाह नई,राह नई चाहिए।  पुराने से लगने लगे लोगों से राहत चाहिए।  हो गये कई दिन यहाँ, अब बदलाव चाहिए। । कोई खास जगह ना मिले,भले कोई आम ना हो। सुकून, प्रेम मिले जहाँ, जहाँ लोगो के मन साफ हो। दुर्गम राह देखी खुब अब,सुगमता चाहिए। । रिशते बने नये,कई बातें बना ली यहाँ अब। नये जोड़ लिये,इकठ्ठे किये अनुभव कई जब। अब यहाँ और क्या चाहिए, बस बदलाव चाहिए।  कई दिन हो गये,यहाँ रहते हुए।  अब नई उम्मीद की किरण चाहिए।  जाना कहाँ ना पता,पर यहाँ जाने का उपाय चाहिए।  रह लिए खुब यहाँ, अब बदलाव चाहिए। । Kavitarani1  161

मुर्खो में बसेरा मेरा

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  मुर्खो में बसेरा मेरा  बंदिश में लगता है सवेरा। दोपहर में होता सबका पेहरा। सुनना चाहूँ या ना,हर कोई कुछ कह रहा। अब पक चुका हूँ रह इन में मैं।  अब लग रहा मूर्खों में बसेरा मेरा। आदत नहीं यूँ रहने की। ना आदत है यूँ सुनने की। जाने क्यूँ खुद पर ना चल रहा वश मेरा। रहना पड़ रहा साथ,रह अकेला। अभी मूर्खों में बसेरा मेरा। । जाने क्या कर रहा हूँ।  जाने कैसे रह रहा हूँ।  जो सोजा वैसा हो नहीं रहा। मन से आती आवाज और मैं कह रहा। मूर्खों में बसेरा मेरा। । साथ समझ,साथ देता रहता हूँ।  जाने कैसे अपने कल को सहता हूँ।  जो कहूँ किसी को की है वो मेरा। लगता है गलती बड़ी में कर रहा। क्योंकि लगता रहता है आजकल मुझे।  हे मूर्खों में बसेरा मेरा। ।  Kavitarani1  113

हे राही

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हे राही  हे राही पंखो को हवा दो।। जोङ सको जमीन को इतना दम भरो । फिर सको आसमान में, इतनी ऊँचाई   पाओ तुम। देख सको शिखर को,ऐसी नजर बनाओ तुम।। हे राही कदमों को तेज रखो।। छुट जाये पिछे सब,इतना आगे बढ़ो। रह जाये दूर सब,इतनी गति रखो तुम।। छु लो लक्ष्य अपना,तब तक ना रुको तुम।। हे राही मेरी भी सुन लो तुम।। मैं अकेला,अनुभवी शब्द सुनाता हूँ। । कोई साथ नहीं होगा जो तुम अकेले हारे बैठे होगे। कोई पास नहीं होगा जो तुम उदास ,बेसहारे होगे। कोई पुछने ना आयेगा जब मायुसी का मुखोटा होगा।  कोई सुनने ना आयेगा जब भाग्य तुम्हरा खोटा होगा। । तो हे राही मंजिल के मतवाले बन। इस धरा,चाँद के दिवाने बन। जो जड़वत दृढ़ता की सिख दे। इस नश्वर काया को ठिस दे। तु मंजिल की आन बन,तु मंजिल की जान बन। फिर देख ये धरा तेरी होगी,ये जग तेरा होगा,ये सब तेरा होगा।। Kavitarani1  197

दुनिया दारी

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  दुनिया दारी  दुनिया दारी में उलझ कर । अपने काम में मग्न होकर । लगता है जैसे एक जमाना पिछे छोङ आये । जैसे जीवन तो अब जी रहे ।। वो जो कभी खाली समय कोई गाना पुराना सुन लेते । या कोई पुराना लिखा गीत पढ़ लेते । तभी याद आता है कि क्या खोया है और क्या पाया है । तभी समझ आता है कि जीवन कहाँ तक ले आया है ।। वरना इस भाग दौड़ में बस होड़ दिखती । बस आज की ही पड़ी रहती । बस कल तक की ही सुध रहती ।। पर जब कोई मन को खुरेज देता है । या बस बचपन की पुछ लेता है । कि वो सुनने लगता नहीं कि क्या पाया-क्या खोया है । मन भर आता है कि जीवन ने क्या दिया है ।। ऐसे-वैसे करते समय गुजर गया है । आज में उलझ कर भी जीवन कट गये हैं । अब सुकून और सेहत पर ध्यान देते है । अब बस बस समय पर छोड़ देते है ।। Kavitarani1  199

मेरा सपना आगे बढ़ने का है

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मेरा सपना आगे बढ़ने का है माना की ये पड़ाव अच्छा है। जो सोचा था कुुछ वैसा है। पर सोच बड़ी बड़ी है मन में।  मेरा सपना आगे बढ़ने का है ।। अभी रुकना नहीं मुझे।  मंजिल अभी मिली नहीं।  पाना है सपने को जो। रुकना नहीं अभी।। हाँ रुकावटे बढ़ने ना देती। टकराती भीड़ बढने ना देती।  पर उस शाम का इंतजार है ।। रुकावटों के हटने का इंतजार है।। रुकना कभी सिखा नहीं।  मन में कम होता जोश नहीं।  मुझे वो ख्वाब वाली जगहा चाहिये। जो है मुकाम मुझे वो चाहिये।। यही इरादे थकने ना देते । कुछ दिन बाद ही रुकने ना देते। बढ़ना ही है जिदंगी।  सपना आगे बढ़ने का है।। वो गुलाम मेरा होगा। वो नाम मेरा होगा। जिसे संजोया है हमेशा से। वो ख्वाब मेरा होगा। । Kavitarani1  41