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मेरी खुशी |Meri Khushi | Happiness

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मेरी खुशी - विडिओ देखे   मेरी खुशी  है अगर कहीं तो दिख अब। रोज लोग मुझसे पूछते है सब। इस प्यारी सी सुरत पर मुस्कान छायेगी कब? मैं पुछता सब से पता उसका, जो बस जानता है रब।। मेरी खुशी आ जा अब । कई दरवाजे खटखटायें हैं। कई चेहरे पढ़ लिये हैं। मैं अकेला रह गया हूँ। में दुखी जी लिया हूँ।। अब जीना है साथ तेरे। क्या साथ रहोगी तुम मेरे। मेरी खुशी, तुम खास हो। ना मिली अब तक मुझे। तुम मेरी प्यास हो। आस हो, अहसास हो। मेरी जिंदगी की साँस हो। मेरी खुशी, मैं तलाशता तुम्हें। क्या तुम मेरे आस पास हो?  मेरी खुशी तुम कहाँ हो? Kavitarani1  77

बेमैल जिंदगी मेरी | bemel hai zindagi meri

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बेमैल जिन्दगी मेरी - विडिओ देखे   बेमैल जिंदगी मेरी  बड़ी बेमैल है जिंदगी मेरी । बड़ी बेमैल है दुनिया मेरी । एक सुख तक सुखी रखती है।  दुजे वक्त दुखी रखती है।। समझना चाहूँ समझे लोगों को । नासमझी मुझे ये लगती है ।  एक आग सी है पगदण्डी मेरी । मंजिल फुलो से सजी है ।। ठिठुरन अंदर से कंपा रही । बड़ी मजबुर है जिंदगी मेरी । जब चलने की ठान लेता हूँ । रुकावटें चुनौतियों बन जाती है ।। हॅसके रूक जाऊँ जो । रास्ते और जिंदगी चलने को कहती है । रूकना भाता नहीं जो रूक जाऊँ । चल ना पाऊँ जो चलना चाहूँ ।। आसान नहीं जिंदगी मेरी । यही लगती है बन्दगी मेरी । सोंच अकेले, बुनता हूँ जो । लगता है, बड़ी बेमैल है जिंदगी मेरी ।। Kavitarani1  76

जिंदगी गुजर जाती है | Zindagi gujar jati hai

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जिन्दगी गुजर जाती है - विडिओ देखे   जिंदगी गुजर जाती है  दिन ढल जाते है।  रातें गुजर जाती है।  जहाँ लोग साल बितने की बातें करते है ं।  वहाँ जमाने बीत जाते हैं।। एक अरसा हो गया, वो परछाई ढुंढते-ढुंढते।  कभी धूप सर के ऊपर मंडराती रही। कभी अंधेरा राह भटकाता रहा। निकले थे अपने घर से, किसी आँगन से होकर। गलियों में जाकर पत्थरों से टकराते रहे ।। दिल टुट जाते हैं। बातें भूला दी जाती है।  हम उस जहान में रहते हैं। जहाँ जिंदा इंसानो पर मीनारें चुना दी जाती है।। कई चेहरे देखे कि पसंद आ जाये कोई। अकेली है राह पर जिन्दगी, कि भा जाये कोई।  वो नियम साफ और साहस ना ढूंढ पाया। था एकान्त पसंद, और खुद को अकेला पाया।। सोंच सुनहरे कल की,  जिंदगी बढ़ जाती है। कुछ पल मुस्कराकर राहें कट जाती है।  यूँ तो आसान है सांसे लेना खुद ही। पर कोई साथ अच्छा मिले तो बात बन जाती है।  जहाँ राहें मुश्किल कटती। वहाँ जिंदगी आसानी से कट जाती है। और ज़िन्दगी गुजर जाती है।।  Kavitarani1  78

चल रहा हूँ | chal rha hun main

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चल रहा हूँ - विडिओ देखे चल रहा हूँ   आखों में सपने लेकर, दिल में प्यार बसाकर । मैं धुनी बनाकर कल की, लो जलाकर सपनों की । चल रहा हूँ मैं अकेले ही, जल रहा हूँ खुद ही ।। खुली बाहें मुझे पसंद नहीं, बेवजह मिलना जमता नहीं।  आसमान का रंग मुझे भाता है, कभी कुछ समझ नहीं आता है।  ये दिल मेरा बेरंग अब, नयन मेरे सुने सब ।। कहाँ जाऊँ ठोर नहीं, दिल मेरा कहीं लगता नहीं ।  लगा जहाँ कभी हुई कदर नहीं, बेकदर रहा नहीं।  लापरवाह कभी दुखी हूँ मैं, परवाह में खुद दुखी हूँ। । दिल में प्यार लेकर चलता रहूँ, मिले कोई खिलता रहूँ । बाहें मेरी खुली जग के लिये, मैं जग के लिये खुला हूँ । मैं आगे बढ़ने को चल रहा हूँ, मैं आगे चल रहा हूँ ।। Kavitarani1  82

अपना अक्ष ढूँढता हूँ | apna aksha dundta hun

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अपना अक्ष ढूँढता - विडिओ देखें इस दुविधा भरे संसार में हर कोई अपने आप को स्थापित करने की कोशिश करता है, यहाँ पथिक अपनी दुनिया में अपना स्थान ढुँढ रहा है। अपने बदलते हुए मन और परिवेश की परेशानियों से कैसे वो यहाँ अपने आप को उभार रहा है, अपना अक्ष ढूँढ रहा है। अपना अक्ष ढूँढता हूँ  रोज बदलते अक्ष अपने, और बदलते पक्ष अपने । स्थिर ना जिनके चेहरे, मैं उनमें कुछ लोग ढुँढता हूँ । कहीं ठहर जाऊँ उसकी ओर में । मैं वो अपने ढुँढता हूँ, मैं रोज अपना पक्ष ढुँढता हूँ ।। रोज बनती है रोज बिगड़ती, मेरी जिद मुझसे रोज लड़ती । कहीं सुबह का सुकून ढुँढता हूँ, कहीं शाम की तन्हाई ढुँढता हूँ । दिखती है रोज रोज मुझे जो अपनी दुनिया । उस दुनिया में अपना अक्ष ढुँढता हूँ ।। रोज नयें राश्ते बनते, रोज पुराने रिश्ते ढुँढते । में बनते रिश्तो में अपनापन खोजता हूँ । में टुटे रिश्तों में अपनी कमी ढुँढता हूँ ।। कब जाने शाम ढले, रात की कालिमा ले जाये । अधुरे शब्दों को चुनने में, रोशनी की धुन में मैं । नये गीतों के लिये, नये शब्द ढुँढता हूँ । आज की स्वार्थी दुनिया में मैं अपना पक्ष ढुँढता हूँ ।। फर्क पड़ता है या पढता नहीं...

दुविधा भारी | Duvidha bhari

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दुविधा भारी - विडिओ देखें अपने राह की मुश्किलों पर स्वयं विजय पाकर अपने लक्ष्य को पाना ही एक मात्र जीवन सार है, यही एक अद्भूत आनन्द की जङी बुटी है। अपनी परेशानियों को नजरअंदाज कर जीना ही साहसिक कार्य है। दुविधा भारी  मैं मन मारा हूँ हारा । लगता हैं अक्सर बेसहारा । दोष दूँ किसको कितना मैं ।  रहता घूटता मन ही मन मैं ।। ना तन की पीड़ा पार पाई । ना मन की क्रिङा हार पाई । सारा सार कहता रहता । अनजान जान कर सहता रहता ।। एक साथी जीवन का चुनना है ।  उस चुनने में रोज भुनना है । कोई अधुरा आज है हारा । लगता है जैसे बेसहारा ।। गाते लोग अपनी - अपनी । कथनी कितनी - कितनी है इनकी करनी । भरनी सब मुझे ही है भरती । ये जीवन नय्या पार है करनी ।। हूँ अधुरा पूरा करने को । रूका हूँ जीवन सारा चरने को । है बहुत कुछ करने को।  मर रहा हूँ कल जीने को । Kavitarani1  89

ठगा सा मैं | main dhaga sa

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  ठगा सा मैं - विडिओ देखे ठगा सा मैं  ठगा सा महसूस करता हूँ । खुद ही अपने को हरता हूँ । कोई सगा ढूँढता फिरता हूँ । मैं दगा लेता फिरता हूँ ।।  किसे कहूँ अपने मन की । कि है क्या मेरे मन की । मैं रोज फालतु मरता हूँ । मैं  सगा बनना चाहता हूँ । और ठगा सा रह जाता हूँ ।। कोई ऐसा नहीं जो, पास रहे, मेरे साथ रहे । कहे मेरी मुझसे और  सुने मेरी मुझसे, कि मैं क्या सोचता हूँ । क्यों ठगा सा महसूस करता हूँ । मैं सगा ढूँढता रहता हूँ ।। मैं अपना सगा ढूँढता फिरता हूँ । और हर जगह ठगा सा मैं फिरता हूँ ।। Kavitarani1  88

बेमैल/ Bemail

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बेमेल-कविता देखे  बेमैल काया से काला हूँ, मन से हूँ मैला । लोग पुछे मेरे मन की सुने ना एक झमैला । मन का बोझ भारी, हारी रहे काया । सुनने को अब मन तरसे, कैसा है भाया ! आया ना कोई पुछने दर्द ने था जब खाया । रोज पुछे मन की मेरी, कैसा है ये दाया । गूढ़ मीठा, शक्कर मिठी, मिठे बोल सुनाया । अपनी बात ही सही सुनी, सुनी मेरी ना समझाया ।। आँचल वंचित, मैं किंचित, सिंचित गाल रहा । एकांत में में बैठ शांत, अशांत निहार रहा ।। जग कहे रोशन तु, रवि है अनोखा । दुख के दिन भूल बस देता जग को दोखा ।। दोखा देता जग-जगा देता दिखा दोखा । फिर मुझसे क्या चाहिए, कैसा चाहेगा देखा ।। मन का मैल, बैमेल करता रहता। देख काया, भाया समझे, मैं अधुरा रहता ।। जी लूँगा रे, जी लूँगा जैसे जीया अकेला । अब पूछना बंद कर दो जीने दो मुझे अकेला ।। भाया ना कोई, ना भायेगा कोई है अंदेशा । भूलकर सब बातें फिर रहने दो संदेशा ।। Kavitarani1  74

आसान नहीं | Aasan nhi

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आसान नहीं- वीडियो देखे   आसान नहीं  तुमने कहा भूल जाओ,  मैंने कहा आसान नहीं।  तुमने कहा क्यों याद करतें हो ? मैंने कहा ये मेरे वश में नहीं।  तुमने कहा मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जो याद आऊँ । मैंने कहा ये तेरा गुनाह नहीं।  तुमने कहा क्या है मेरा गुनाह बताना मुझे । मैंने कहा यह समझ पाना तुम्हारे वश में नहीं।। मैं अकेला प्यासा प्यार का , तुम मिली बुँद बारिस सी । मैं अधुरा, सुखा रेत सा , तुम पुरी होती दिखी बनी मिट्टी सी । मैं अकेला था एकांत में,  तुमने जैसे दीप जलाया है।  मेरे दिल के सुने कोनों में तुमने गीत गाया है।  कुछ दिन गूंजेगे गीत सुनेपन में,  फिर से शांति हो जायेगी मेरे सुखे उपवन में,  तो तुम सही अपनी जगह, तेरी कोई खता नहीं।  भूल जाऊगाँ एक दिन, मैं कहता हूँ रूक जा । पुछ ना बस छोड़ जा । Kavitarani1  57

मुरख मारो काम अटकायो / Murakh mharo kaam atakayo

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मुर्ख मारो काम अटकाव- वीडियो देखे मुरख मारो काम अटकायो शर्म लाज उ बेंच खायो । अपना पद पर बड़ो इतरायो । काम स फेली जो बढ़ाइयाँ गातो । आगे बढ़ने की सिख देतो । काम जो थोडो सो उस आयो । दंभ भर उ घमंड बतायो । बेवजह की हुंकार करी । बेमतलब लाज उकी गिरी । अतना दन स ज्यो व्यवहार बनायो। उ घमंडी न मद म एक पल म गंवायो । गुस्सा म मने मुहँ फेर्यो । अपना आत्मसम्मान रख सामन्। दुर स बात सैर बात बताई । काम होनो ह सरकारी ह सही ह । इन इको मान घटायो । छोटो मह, लाज को बक्यो । पुछी किन तो कह बैठ्यो । कागज क पुछड मुह बनायो । समझ मुर्ख जग की मुरख मतवालो । सरकारी काम कागज का फुछङ । सभी लोग ही उकी समझ आई । पर जो उतर गई लोई । तो खई करगा कोई, याँ मन्ह भी सार्थक पायो । मुरख म्हारो काम अटकायो ।। Kavitarani1  32

मैं अधुरा/ main adhura

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मैं अधुरा - विडिओ देखे  मैं अधुरा  सब जानते है, सब समझते है । 'जिंदगी का खेल अनोखा' सब मानते है । बिन बाती दीया नहीं, दीये बिन रोशनी नहीं।  चाँद बिन चाँदनी नहीं, सुरज बिन किरण नहीं । फुल बिन खुशबू कहाँ, जल बिन नदियाँ कहाँ। कहाँ जीवन बिन जान, कौन है अनजान ? कौन यहाँ अनजान ! है रक्तवाहिनी तो रक्त, है धरा तो ये वक्त।  कौन? कब तक रहे शक्त है ? कौन रहे प्रभु बिन भक्त? मैं अबोध, अज्ञ। कहता, सुनता, देखता, करता यज्ञ । मेरे यत्न, प्रयत्न हुए । मेरे प्रयास, जप से तप हुए।  कहुँ किसे, कौन रहा मर्मज्ञ।  सब जानते हैं, सब समझते हैं।  मैं समझता कोई चाँदनी, कोई नदियाँ, कोई खुशबु, कोई दीया, कोई रोशनी, कोई नदियाँ ही मिले । मैं मानता हूँ कि चाँद हो, सुरज हो, फुल हो, बाती हो, दीया हो या जल हो तो ही जीवन खिले । बिन युगल मैं अधुरा । है प्रकृति सब चीर काल,  सब क्षणिक रहे, पर साथ रहे । मैं अधुरा, मैं भटकता । सब समझता,सब जानता ।। मैं अधुरा जग मैं फिरता। मैं अधुरा।। Kavitarani1 15

दुश्मन ये भी हैं | dushman ye bhi hai

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दुश्मन ये भी- वीडियो देखे   दुश्मन ये भी हैं  सरहदों पर देखे हैं।  गोलियों के वार देखे हैं।  जो है दुश्मन वो साफ नजर आते।  जो नजर ना आये साफ। ऐसे दुश्मन अन्दर से खाते है । दुश्मन ये भी है, दुश्मन ये भी ।। बात हुई कई बार घर के भेदियों की।  जेलों में बंद होते कई कैदियों की।  ये समाज कंटक देश की प्रगति खाते है। मिलता कुछ ना इन्हें पर इतराते है। मुख पर मिठा बोलते ये कितने शातिर है।  पर है दुश्मन ये समझा जाते आखिर। देश के अहित पर खुश होते है।  देश की प्रगति में रुकावट ये होते है । दुश्मन वो सरहदों के भी। दुश्मन कुछ ये भी है।। कहना इनका भी कई बार होता है।  मेरा कहना कुछ और नये दुश्मनों  पर है। दुश्मन वो जो सरकार के धन को खाते है। बातें करते बड़ी- बड़ी और चोरी कर जाते है।  वो जो शिक्षा के मंदिर में होड़ में देश का भविष्य खाते है। वो जो किसी सत्य मार्गी को तड़पाते है। जो कर रहा काम अच्छा उसकी रुकावटें बनते है। आये दिन छोटी-छोटी बातों पर देश पर तंज कसते है। दुश्मन ये भी हैं।। हाँ दुश्मन ये भी हैं ।   शिक्षा के मंदिर पर अखाड़ा बनाये...

मैंने सपने देखना छोड़ दिया | mene sapne dekhna chhod diya hai

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मैंने सपने देखना छोड़ दिया है- क्या आप इसे सुनना चाहते हैं तो इस जगह टच करें   मैंने सपने देखना छोड़ दिया  किसी की पलकों पर नजर ठहराना । नम होठों को गुलाब कि पखुडियाँ कहना । गालों की लाली को चूमने की चाह करना । अधरों के स्पर्श में झूमनें की आस करना । किसी की बाहों में सोते रहना । किसी को कस कर बाहों में भरना । किसी की जुल्फों से सर को ढकना । काली रात और तारों से बात करना । प्यार भरी मुस्कान पर मरना । किसी के लिये दिन भर आह भरना । और किसी के लिये जीते है यह कहना । मैंने अपनी दुनिया से ये सब दुर कर लिया।  जो कभी उभर आते थे सपने बन । मैंने उन सपनों को देखना छोड़ दिया। । शानदार बंगलो में रहना और कारों की सेर करना । चिंताओं को दूर रख सबको खुश रखना।  जो छुट गये पिछे उनकी मदद करना । जो काम आये कहीं उनकी सहायता करना । वो बने मेरे खास दिल से ये बात करना । वो बने मेरी आस यही सबसे कहना । निश्चित नये शिखरों को चुमते रहना । बाधाओं से कई लाखो फुट दुर रहना । हँसना और लोगों को हॅसाते रहना । जो देते रहे दुख उन्हें माफ करना । कोई ना हो नाराज ऐसी आस करना । परिवार को और मजबूत करते रहना ...

मेरी खुशियाँ | meri khushiyan

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मेरी खुशियाँ- वीडियो देखे   मेरी खुशियाँ  कुछ पाकर भी खुश ना हो पाया । क्यों रहा खुशियों पर ये साया । जाना चाहा वो राह ना मिली । खुशियाँ मेरी अधुरी क्यों खिली । कहीं नजर से बचाने का उपाय तो ना किया । माँ तुने मुझे ज्यादा खुश होने क्यों ना दिया । कुछ सवाल अनायास ही आ रहे।  मन प्रफुल्लित और भय खा रहे ।। सब आपकी कृपा, आशीर्वाद मानता हूँ।  इस धरती से ज्यादा मैं कहां जानता हूँ।  यही सोंच की आपकी मर्जी होगी । जैसी सोची बात कुछ वैसी होगी।  कुछ और पलों को यहाँ जीना है।  नई भावनाओं और उमंगो को सीना है। आकर नई उम्मीद में मैं उठा हूँ।  पाकर राई नई मैं फिर झुका हूँ  । आशीर्वाद आपका बनाये रखना । मेरे ईश्वर को मेरी किस्मत के साथ रखना । यूँ ही आपका प्यार रखना । Kavitarani1  21

कब आओगी | Kab aaogi

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Kab aaogi - video dekhe   कब आओगी  ओ ! भौर सुहानी, मन की रानी, मन को भाती कब आयेगी । कब आओगी, मुझे जगाओगी ।। मैं सोया कब से, सोई जवानी, तब की प्यास बढ़ रही । कब बुझाओगी, मुझे तर कर जाओगी, कब आओगी । ओ ! भौर सुहानी, कब आओगी ।। रोज उगता सुरज, रोज ढुबता है, चाँद की सुरत बदलती।  अंधेरा होता है, होती सुबह हर दिन ही, दिन गुजरता है । गुजरती जिंदगानी, जिंदगी वो भौर ही दिखी नहीं । सोंच उस भौर को, बुलाती कमी, कब आओगी,  कब आओगी, भौर सुहानी कब आओगी  ।। उठते ही जीने का मजा रहे, जिंदगी हँसे, गम दुर रहे। दुर रहे वो सब जो कमी कहे, भौर आये जीवन की। भौर आये मन की जीवन कहे, कहे मन कब आओगी। ओ ! भौर सुहानी कब आओगी, कब आओगी ।। खुद में  उलझा मैं, अनजान तुझसे। हर कहीं देखूँ सोचूं मिला तुझसे। तेरी ही ताजगी महसुस करता हूँ । दिन चढ़ता, पता चलता, भ्रम में जी रहा हूँ। जी रहा हूँ भ्रम में, तेरी सोंच में । कब आओगी मेरे जीवन में । ओ भौर सुहानी, कब आओगी । ओ भौर सुहानी ।। Kavitarani1

प्यार की आहट हो रही है | Pyar ki ahat ho rhi hai

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प्यार की आहट हो रही है- कविता देखे   प्यार की आहट हो रही है  एक आहट हुई है । कुछ बैचेनी हुई है । दिल धड़क रहा है । क्या प्यार हुआ है ।। मैं समझ रहा हूँ । अहसास हो रहा है । एक चेहरा दिख रहा है । लगता है, प्यार हुआ है । एक ही सोंच चल रही है । कुछ सपने चल रहे है । एक मुस्कान चढ़ रही है । कुछ प्यार हुआ है ।। एक डर लग रहा है । कुछ घबराहट हुई है । कल की सोंच आ रही हैं । प्यार की तस्वीर छा रही है । मैं दूर जा रहा हूँ । कहीं खोता जा रहा हूँ । भटकता जा रहा हूँ । क्या प्यार का असर है ।। एक सपना जग रहा है । तेरे साथ जग दिख रहा है । तेरी बात हो रही । प्यार हो रहा है ।।    नहीं सोंच रहा मैं । नहीं जा रहा मैं । फिर क्यों सोंच रहा हूँ । कहीं प्यार में ना गिर रहा हूँ ।। दूर हूँ जग से मैं । दूर हूँ खुद से मैं । फिर !कैसे ये आहट हो रही है । क्यों प्यार की सुगबुगाहट हो रही है ।। अनुभव बुरा है । समझ रहा हूँ । फिर से दर्द की राह जा रहा हूँ । फिर से प्यार में गिर रहा हूँ ।। रोक रहा हूँ । रूक गया हूँ । ठहर गया हूँ । अभी प्यार में नही डूबा हूँ । फिर से वो ना होगा । जान बुझ दर्द ना लुगाँ । अ...

मेरी बारी | meri bari | my turn

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मेरी बारी- वीडियो देखे हमें जीवन को और अपने लक्ष्य को चुनौतियों की तरह लेना चाहिए, कङी मेहनत और लगन से हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। जब हम समय और संसाधनों का सदुपयोग करते हुए बढ़ते है तो एक दिन सफलता जरुर मिलती है। मेरी बारी मेरी मेहनत जारी है, जद्दो-जहद जारी है । जिंदगी तेरी रेस में, मेरी बारी आ रही है ।। मेरी कोशिशें जारी है, ये मेरी पारी है । सपनों को पाने को मेरी बारी आ रही है ।। थका नहीं, रूका नहीं, झुका नहीं, अभी प्रयास जारी है । अपने लक्ष्य को पाने को   नई उंमग आ रही है ।। रुकावटों से डरा नहीं, मुश्किलो से हटा नहीं । अपनी मंजिल को पाने को राह चलती जा रही है ।। कुछ भटके भटकाने आते, कुछ दुश्मन आ टकराते । जिंदगी की रेस में कुछ बेवजह होड़ करने आते ।। समस्याओं का समाधान जारी है, खुद से मुलाकात जारी है  । अपनी राह से परिचय होने लगा, अब मंजिल पास आ रही है ।। सितारों की सेर बाकि, चाँद की चाह बाकि है । सपनों के शहर जाने की कोशिशें  जारी है ।। मेरी आस बाकि है, अभी की प्यास बाकि है । जिंदगी के शिखर को छुने की अब मेरी बारी है ।। रूका नहीं, रूकुगाँ नहीं, मंजिल की तला...

कुछ तुम कहो | kuchh tum kaho

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  Kuchh tum kaho- वीडियो देखा कुछ तुम कहो  कुछ  तुम कहो, कुछ मैं सुनूं । हो कही भी तुम, मैं तुम्हें चुनूं । आसान हो जाये सफर मुश्किल । पास कहीं जो तुम रहो ।। कुछ चाहो तुम, कुछ मैं दूं । हो ख्वाहिश कोई, मैं पूरी कर दूं । खुशियाँ हो सफर में यूं । तुम खुश हो मैं देखता तुम्हें रहूँ ।। कुछ नाराज तुम हो, कुछ मैं मनाऊँ । हो बात कोई भी भले, मैं तुम्हें बताऊँ । कट जाये सफर ये । साथ जो तुम रहो ।। कुछ सपनें तुम देखो, कुछ पूरे में करूँ । हो कोई  चाह भी, मैं पल में पूरी करूँ । भरा रहे संसार ये, चलता रहे सफर ये । हर बात को तुम्हारी पूरी जो करूं ।। कुछ तुम प्यार करो, कुछ प्यार मैं लूं । हो हालात कोई, मैं तुम्हें संभाल लूं । कट जाये जीवन सफर ये । साथ कहीं जो तुम रहो ।। Kavitarani1  33

सच्चि बन | sachchi ban | Be fair

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Sachchi ban- video dekhe   सच्चि बन  झुठिया ना वादा कर, दुनिया झुठी । सच्चाइयाँ तु बाता कर, बन तु सच्ची ।। कि लेना मैंने दुनिया नूँ, दुनिया की देनी । ऐसे ना तु तोड़ा कर, दुनिया ये तोड़ती ।। है अपनी यारी प्यारी -प्यारी रह लेण दे । कहनी नहीं किसी की अपनी केण्ह दे ।। केहना है तेनु ये, दुनिया की क्यूँ केनी  । रहना है तेनु ये, समझ क्यूँ नी रे री ।। अपनी तु गलां कर, दुनियाँ की केनी । झुठिया ना वादा कर, दुनियाँ है झूठी ।। हुण अपनी सह जांदे, जांदी जिन्दगनी ये । किण केणा, किण सुनण अपनी जीनी खुदी है ।। कि सुनणा दुनियाँ नूँ, गला खत्म नी होणी । अपनी गाणी है, अपनी ही है बनाणी ।। आते जाते लोगां नूं फिक्र नहीं करनी । करनी है अपनी बस अपनी करनी ।। केणा वो ही कैणा जो पूरा हो जाते । आधी रहे मन में आधी समय नू ढोल जावे ।। जावे जो समय नाल उन गल नी कैणी । बिताये जो समय साथ वो बातां ही रैणी ।। अपनी है कहानी, दुजों की बाता की होणी । गलां करां फैर, बस मन की जो सोणी ।। झुठिया ना वादा कर, दुनिया मिली रही झूठी । बच्चियाँ तु बतां कर, बन साथी मेरी सच्ची ।। Kavitarani1  44

कोई तुझसा | koi Tujhsa

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Koi mile tujhsa - video dekhe   कोई तुझसा  ज्यादा ख़्वाहिशें नहीं दिल में मेरे । बस कोई साथ जीये तुझसा ।। सपने अधूरे रह जाये मेरे कोई गम नहीं  । बस कोई पास रहे तुझसा ।। खुशियों का दामन ना मिले कोई  । पर कोई सहलाये तुझसा ।। ज्यादा आरजुएँ नहीं दिल में मेरे  । बस कोई हमसफर मिले तुझसा ।। बातें अधुरी रह जाये मेरी, कोई बात नहीं।  पर लब्ज सुनायें कोई तुझसा । हँसी दबी रह जाये मेरी, कोई गम नहीं  । बस कोई मुस्कुराये तुझसा ।। ज्यादा जीने की चाह नहीं दिल में मेरे । बस कोई लम्हे साथ बिताये तुझसा ।। सफर अधुरा रह जाये मेरा, कोई गम नहीं  । बस साथ चले कोई तुझसा ।। गीत अधुरे रह जाये मेरे, कोई बात नहीं  । पर कोई नगमें सुनायें तुझसा ।। ज्यादा पाने की चाह नहीं दिल में मेरे । बस कोई मिल जाये साथ तुझसा ।। Kavitarani1  34

मन बावरा | man bavra

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मन बावरा- वीडियो देखे   मन बावरा  मन बावरा बन पतंगा उड़-उड़ जले । दीप जले अपनी धुन में फर्क ना पड़  । मन बन भंवरा बगीया -बगीया भटकता फिरे । फुल सुगंधित खिले ,मस्त रहें, फर्क ना पड़े  । बन चकोर घनी रात मन ताकता रहें  । चाँद अपनी धुन में चाँदनी को फर्क ना पड़े  ।। मन राझा बन बावरा जग नापता फिरे । हीर अपनी दुनिया में, कोई फर्क ना पड़े । है जग के बोल अनेक मन तोल ना करे । जो समझे जग को  उसे फर्क ना पड़े  । मन बावरा क्षितिज का रवि पकड़ता फिरे । एकांत शांत धरा को कोई फर्क ना पड़े । एक जोत जले एक ज्वाला में मन मिले । परमात्मा सा मन लिये उसे फर्क ना पड़े । जग फेरे उलझे मन भगता फिरे  । मोह के धागे उलझाये उन्हें फर्क ना पड़े । मन बावरा हो शांत क्यों शांत तलाश करे । तन को सुख मिले दु:ख में  फर्क पड़े ।। मन पतंगा बन जलता जले । जलते दीप को एक बार फर्क ना पड़े । Kavitarani1  37

तुम | Tum | You

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  Tum- video dekhe तुम  तुमसी कोई नहीं, तुम्ही चाहिये । मुझे ज्यादा की जरूरत नहीं बस तुम ही चाहिये हो ।। जैसे भी हो मन को भाती हो । कम ही हो पर तुम्ही हो ।। कहीं खोज नहीं रहें क्योंकि पास तुम हो । मुझे उम्मीद नहीं ओर की बस तुम दूर ना हो ।। जैसे भी हो खुब लगती हो । कम हो चाहिए तुम खुब हो ।। तुमसे उम्मीदें ज्यादा नहीं बस पास तुम रहो । दुर से ही सही बस मुझे सुनती रहो ।। जैसे भी हो बस बात हो । कम से कम एक बार चेहरा दिख जाये ।। खुब सोंचा खुद करती रहती हो । और मुझे चुप किया करती हो ।। जैसे भी हो दिन गुजार देती हो । मेरे सफर को पूरा कर देती हो ।। तुमसा नहीं कोई लगता है,  और सच भी है । पर रत पाना अकेले लगता बेहतर भी है  । जैसे गुस्सा जो तुम करती हो । और जैसे तुम मुझ पर चिढती हो ।। Kavitarani1  44

जीवन डगर आसान नहीं | Jeevan dagar asan nhi

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जीवन डगर आसान नहीं- वीडियो देखे इस कविता में कवियित्री ने पथिक को गढरिये के रुप में प्रस्तुत किया है, यहाँ पथिक को समझाया जा रहा है कि जैसे एक गढरिये का जीवन आसान नहीं होता, उसे वर्ष पर्यंत कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पढ़ता है वैसे ही, अपने लक्ष्य पर अडिग पथिक को भी अपने जीवन सफर में कई सारी समस्याओं का सामना करना पढ़ता है। जीवन डगर आसान नहीं   ओ रे बावरे,  बावरे गढरिये। चल अपनी राह, राह मुश्किल रे, ओ रे बावरे । बावरे गढरिये । ऊँची-ऊँची चट्टानें, ऊँचे पर्वत पर, तु जाना चाहे, जाना चाहे शीर्षक पर। शीर्षक पर बोझ है, ओ रे बावरे , बावरे गढरिये । भूल जायेगा, जाना कहाँ तुझे। ठोकरे जो आयेगी, मार पढ़- पढ़ जायेगी, जायेगी ना जान, जान पर आयेगी , ओ रे बावरे, आना लौट के। दूर कहीं है, मंजिल का ठौर नहीं है रे। ओ रे बावरे ,बावरे गढरिये । ध्यान अपना रख, रख ध्यान गाढ़रिये का। कहीं छुट ना जाये पिछे। खो ना जाये रास्ता। रास्ता मुश्किल रूक ना ना तु। शाम होने को, डरना थोड़ा तु। ओ रे बावरे ,बावरे गढ़रिये। देख मुझको, मैं हूँ दूर तुझसे। राह देख रहा, सुन ले मुझको। ओ रे बावरे, बावरे गढ़रिये ...

मैं तारे गिनता | Tare ginta | stars count

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मैं तारे गिनता - विडिओ देखे   मैं तारे गिनता  लोग मिलते सफर में, सफर माहौल लगता । सब गाते अपनी धुन, धुन में मौसम लगता । मैं देखुँ लोग जमाना, जमाना ना जगता । शाम बैठ -कर आसमां तकता, तारे गिनता ।। रंग बिरंग सारे, लगते कितने प्यारे ये । सारे अपने, लगते सब सितारे ये । कोई कम नहीं अपनी जगह, है बहुत सारे ये । मैं बैठ इनकी संगत करता, तारे गिनता । छोड़ जाते लोग दिन-भर, भूल भी जाते । देख -दिखावा करते, या दिखावे से आते । आसमां के प्यारे ये, है कितने सच्चे सारे ये । मैं इनको अपना साथी कहता, तारे गिनता ।। दिन की थकान भूलाते, कल का गम भूलाते । अपनों से मिला गम भूलाते, गैरो को परे कर जाते । ले जाते अपनी दुनिया, अपने जग में घुमाते । जब भी छत पर बैठ अकेले मैं तारे गिनता ।। कोई चमक रहा बहुत ज्यादा, कोई कम चमकता । कोई मन मोहता, कोई लगता मुँह मोड़ता । नजरों के सामने से आते जाते, ये गीत अपना गाते । मैं देखता इनसे मिलता, बैठ अकेले मैं तारे गिनता  ।। आसमान में प्यारे ये, मिलते कितने सारे ये  । मैं सबको अपना कहता, मैं बैठ अकेले तारे गिनता  ।। Kavitarani1  43

आखी-आखी रात मैं तारे गिनना | Akhi Akhi rat main Tare ginta

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Aakhi aakhi rat main Tare Ginta - video dekhe   आखी-आखी रात मैं तारे गिनता  दिन बितता थका हारा। हारा मन का तन लगता। भूल दुखड़ा आज चुनता। चुनता बैठ अकेला शाम। गोधुलि की धुल बैठी। रात चढ़ी, चढ़या अंधेरा।  सोंच रहा कल क्या होगा। आ रहा कल क्या हुआ । रात बितती उम्र बितती। बितती घडिया जीवन की। बैठ अकेले जब कुछ नी सुझता। आखी -आखी रात मैं तारे गिनता।। बचपन याद करता रहता। अपना तारा खोजता रहता । दुनिया दुसरी में याद करता। करता बात खुद से, खुद जवाब देता। जो चमक रहा ज्यादा उसे देखता। गायब होने को सोंचता। सोंचता कितने आये, कितने गये। इन तारों में कितने बने रहे। फिर नहीं समझता क्या था सोंचा। बस आखी आखी रात मैं तारे गिनता। बड़ा सुकुन सा उस अँधेरे में दिखता। जब आखी-आखी रात मैं तारे तकता।। अकेले में जब मेरा मन नहीं लगता। फिर आखी-आखी रात मैं तारे गिनता।।  Kavitarani1  40

छिपाया करो | chupaya kro

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छुपाया करो- वीडियो देखे   छिपाया करो  मेरे मन की ये जिद् है कि तुम जिद् ना करो । चल रही जिन्दगी कि तुम दखल ना करो । हँस रहा हूँ मैं हँसी को चुराया ना करो । बातें बहुत है बताने की कि कुछ छुपाया करो ।। यूँ तो दाग है चाँद पर कहते सुन्दर उसे । झरने भी टकराते जाते सागर में पर साथ चाहते उसे । पहाडों पर भी वास मुमकिन नहीं पर सब देख उन्हें खिलते है । वैसे तुम भी बस सुन्दरता दिखाया करो ।। मेरी बात को समझ सको तो समझा करो । खुब है बातें कहने को और कहा करो । हॅसती हो रोज अपनी दुनियाँ में हॅसा भी करो । पर जो हॅसी मन को ना भाये उसे छुपाया करो ।। खुब लम्बी है जिंदगी और से जिंदगी का सफर । मिल सको तो हमसे भी आ मिला करो ।। खुब हो अपनी जिंदगी में तुम खुब ही । कुछ समय हमारे नाम किया करो ।। मेरे मन की जिद् का मान रख लिया करो । एक ही जिंदगी है ऐसे सताया ना करो ।। तुम से आ लगा है मन जाने कैसे मेरा । मेरे मन की जरा लाज रख लिया करो ।। अच्छी चल रही है जिंदगी तुम्हारी माना ये । पर हो सके तो सब बताया ना करो, कुछ छिपाया भी करो ।। Kavitarani1  42

जीवन दरिया है | Jivan dariya hai

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जीवन दरिया है- वीडियो देखे इस संयोग से मिले मानव जीवन को हम कभी व्यर्थ नहीं कह सकते, पर हमें इसके मूल भाव और इसकी कार्य शैली को भी समझने की आवश्यकता है। जीवन की हम कई चीजों से तुलना कर सकते हैं। यहाँ जीवन की तुलना एक बहते हुए दरिया से की गई है।   जीवन दरिया है  ऊँचे पर्वत से निकल कर आता है। ये बहता जाता है। बहता दरिया है। ये जीवन बहती नदिया है।। सागर में जानें को जाता है। बहता जाता है। ये जीवन एक दरिया है।। झरना सा गिरता है। बनता तमाशा ये। पत्थरों से टकराता है। मन को मोहता है। शांत सा बहता है। ये दरिया सागर को जाता है। बहता दरिया है।। जीवन भी बहता दरिया है। मर मिट जाना है। मिट्टी को बहाना है। ये सागर में मिल जाना है। बहता दरिया है।। जीवन सागर में मिल जाना है। संभल कर चलना है। सबके काम आना है। जीवन सबके काम आना है। बहता जाना है। जीवन बहता जाना है। बहता दरिया है।। Kavitarani1  45

मैं राही अभागा | main rahi abhaga

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Mein Rahi Abhaga - वीडियो देखे  यह प्रेरणास्पद कविता हमें बताती है कि किस प्रकार से एक राही को हमेशा खुद को एक फल लगे पेङ की भाँति झुक कर चलना चाहिए। जिसके जीवन में कई कष्ट रहे हैं उसे कभी भी अपने भुतकाल को नहीं भूलना चाहिए।  मैं राही अभागा  मैं राही  अभागा   क्या चाहूँ। जो मिले राह सब वो गले लगाऊँ। कौन मेरा अनाथ सा जग में। जो गले लगाये उसी का हो जाऊँ।। पथ भटका बस मंजिल को चाहूँ। जो प्यार से बात करें सुनता जाऊँ। मैं  पथिक के सहारे क्या कहूँ। जो मिले सहर्ष उसी से गुजारा पाऊँ।। मैं मावस का जन्मा क्या देखूँ। पूनम रात के बस सपने सजाऊँ। कौन मन से हाथ बढ़ाये? जो पुकारे बस नाम उसी के साथ हो जाऊँ।। सुखी जन्म का पला-बड़ा। कुछ नमी देख ही खुश हो जाऊँ। मैं रेतीले धोंरो का राहगीर। हरी घाँस के बस सपने सजाऊँ।। मैं कड़ी धुप का मजदूर सा। जो पूछे कोई अपनी मजबुरी बताऊँ। कौन सुने दर्द पराया जग में। जो कहे अपनी व्यथा मैं बस सुनता जाऊँ।। राही मैं दूर का। अपनी राह गुजारता जाऊँ। कोई सुने ना सुने मेरी। मैं अपनी गाथा लिखता चलता जाऊँ।। मैं पथिक अभागा क्या चाहूँ। जो मिले पथ पर वो...

कागज की दुनिया | Kagaj ko ye duniya

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काग़ज़ की दुनिया- वीडियो देखे   कागज की दुनिया  कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की । हाथ लगे मैली होये, मैली होये दूर रखी। कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की । घड़ी कर जो पास रखे, घड़ी बिगड़े इसकी ।। मटमेली ये दुनिया, दुनिया ये मन मैली। साफ दिखे ऊपर से जितनी, साफ रहे अन्दर उतनी । कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की । बुँद छुए पानी की, गल जाये लगे जो पानी ।। कुछ मन का आया बनाया, बनाया मन का । पुछ रहा मन मेरा, क्यों मन बना भाया । कुछ नाव बनायी थी, थी गई बह बह दरिया । कागज बिखर सा आगे, मिट गई नाव उस दरिया ।। जो भी बनाया गल गया, जो भी लिखा मिट गया । मिट गया जो समय गुजारा, गुजर गई वो दुनिया । माटी की थी ये दुनिया, बह गई बर्खा  ये दुनिया । याद आया कहना फिर से, ये है बस कागज की दुनिया ।। कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज  की । नाव बनायी गल गई, लेख बह गई दरिया । कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।  समय पल कुछ साथ देती, मिट जाती ये दुनिया ।। Kavitarani1  39

फर्क पड़ता है | Fark padta hai

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फर्क़ पड़ता है -वीडियो देखे फर्क पड़ता है  मैं चाहूँ जिसे वो बात करे किसी और से, मैं सोंचु जिसे वो सोंचे किसी और को, मैं देखूँ जिसे वो देखे किसी और को, मैं ढुंढुं जिसे वो ढुंढे किसी और को, मैं मिलु जिसे वो मिले किसी और को, और वो कहती है; क्या फर्क पड़ता है? पर मुझे फर्क पड़ता है ।। जलता नहीं मैं पर जलन सी होती है। गुस्सा नहीं करता मैं पर गुस्सा आता है। चिढ़ता नहीं मैं पर चिड़न होती है। डरता नहीं मैं पर डर लगता है। और वो कहती क्या फर्क पड़ता है। पर मुझे लगता कुछ फर्क पड़ता है।। मैं कहुँ कि उससे ही मिलो, ये भी नहीं  चाहता। मैं बोलू वही करो ऐसा भी नहीं चाहता। मेरी हर जिद् मानों ऐसा भी नहीं। मेरी हर बात मानों ऐसा भी नहीं। पर मुझे फर्क पड़े उसका क्या करें। मुझे कहना भी नहीं आता। क्यों फर्क पड़ता है समझ नहीं आता। पर मुझे फर्क पड़ता है। कभी-कभी मन समझ जाता है ।। Kavitarani1  41