शिखर पर | Shikhar par
शिखर पर श्रेष्टता के शिखर को त्याग कई । राह मुश्किल बड़ी, दिक्कतें आम कई । शीखर पर जाकर सुविधायें कई । रहना शिखर पर रूक कर रहना, आसान नहीं । मानवता के मार्ग में उपाय जीने के कई, सफलताओं के आयाम कई, मिले आसान कुछ, सबकी सोंच यही । चलते रहने में समझ मेरी, रूकना मेरी फितरत नहीं । एक जीवन, एक सार, मिले मंजिल ऊँचाई भरी । पानी है शिखर चुनौती, अब जीने की राह यही । जानता हूँ शिखर को पाने हेतु त्याग कई, राह पर आगे भी मुश्किल कई । Kavitarani1 297