खामोशी | khamoshi
खामोशी मुझे खोमोशियाँ जगाती है । याद नहीं कब शांत जगह रहा मैं, पता नहीं कहाँ गया था मैं । शौर में ही दिन गुजरें है । मैं शांति में नहीं रहा हूँ । शायद इसीलिए शांति अन्दर से खाती है । खामोशियाँ डराती है । कोई बोलता तक पंसद ना आता, शौर मेरे समय को खाता, चिल्लाहटें आस-पास रही है, मेरे आस-पास खामोशी नहीं रही है । इसीलिए आदत नहीं है । खामोशी घबराहट लगातार है । पर शांति की तलाश में था मैं । और शांति में जीना चाहता था मैं । आगे बढ़ने के लिये शांत होना जरूरी है । मुझे इसकी आदत जरूरी है । मुझे ख्वामोशी जगाये रखे । शांत कर आगे बढ़ये रखे । इस नयी जगह का मैं आदी होऊँ । ध्यान लगाऊं आगे बढूँ । मुझे खामोशी की जरूरत है । खामोशी मुझे जगाती है ।। Kavitarani1 58