रोज के किस्से | Roj ke kisse

विडिओ देखने के लिए यहां दबायें - रोज के किस्से रोज के किस्से सुबह का सूरज रोज पुरब से उगता, पश्चिम को अस्त होता है । रोज मौसम के अनुसार हवायें चलती, शीत, ग्रीष्म ऋतु सी होती है । शाम को अँधेरा सालों से धीरे-धीरे बहता, तारे खुब सारे और चाँद आसमान में चमकते है । शौर दिन भर गाडिय़ों के आते हैं । और धूप सेकते सर्दियों में दिन गुजर जाते है । संवेग रोज मन के हाव, चाव को बदलते रहते है । कुछ दिन खुश रहता हूँ । मैं कुछ दिन उदासी में गुजार देता हूँ । रोज नये घटना क्रम बनते है, शांति के भी रोज रोज किस्से बनते है । पढ़ता-पढ़ाता काम करता रहता, मैं दिन काट देता हूँ । कभी कलम हाथ आये, तो किस्से उतार देता हूँ । रोज के किस्से लिख देता हूँ , जैसे जिन्दगी गुजार देता हूँ ।। Kavitara ni1 68