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मेरा मोहल्ला विरान है

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मेरा मोहल्ला विरान हैं  सुना है अब मोहल्ला विरान है।  जहाँ सुबह से श्याम तक ठहाके लगते थे वो बरगद अब शांत हैं।। वहाँ बाशिन्दे भी अब परिन्दे बनने को बेताब है।  सुना है वो किलकारियाँ करते बच्चे जवान है।। जो बेपरवाह थे जिम्मेदारियों से वो अब कामगार है।  जो खुद नादान थे जीवन में उनके भी नादान है।। सुना है मेरा गाँव बदल गया है।  गिल्ली-डन्दे,पकडमपकडाई, छुपन छुपाई नागवार है।। मोबाइल, घर ,बिस्तर, परिवार में बचपन लाचार है।  सुना है सब पुराने दिन याद करते है ।। अब मन मुटाव वैसा नहीं कहते है। सुना है कईयों का जीवन बरबाद है।। कुछ जीवन की हर गहराई में आम है। कुछ अपना जीवन काट रहें है।। सुना है लोग सब भूल गये है। याद नहीं कुछ किसी को ऐसे उलझ गये है। यही बस याद है, मेरा मोहल्ला विरान है  ।। Kavitarani1  39

राम भरोसे

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राम भरोसे  अंधरे में रोशनी ही ढूंढता रहा हूँ।  चमकता रहा खुद ही फिर भी किरणों को खोजता रहा हूँ।  भौर में भी ऊंघता रहा हूँ।  दोपहर में भी ठंडाता रहा हूँ।  समझ ना पाया भाग्य को अपने, कैसे में ऐसा बना रहा हूँ। । हर बार चरम पर आकर जीत पाया हूँ।  किनारे बहुत देख ,हाशिये से टकराया हूँ।  जो चाहा मिला जरुर ये कहता हूँ मैं।  पर जो मिला वो अंतिम दर्द के बाद पाया हूँ। । हाँ!शायद मेरे रब ने सुना होगा । हाँ उन्होने परीक्षण में मुझे चुना होगा। अंतिम श्वांस तक कितनी कोशिश होगी। वो देखना चाहे होगे तभी आज़माया होगा।। मैं जलता दिया रहा हूँ।  रोशन करता सबको जलता रहा हूँ।  जानता भी हूँ अंधेरा मेरे तले है मुझमें है।  और मैं खुद रोशनी का सताया रहा हूँ। । सब भाग्य भरोसे है।  सब राम भरोसे है।  बस यही आस रही है।  बस यही बात रही है। । Kavitarani1  210

क्या कहूँ जिंदगी में

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शिकायतें  (क्या कहूँ जिंदगी में ) क्या कहूँ मैं जिंदगी और, कसमकस नहीं इतनी पर अब अपना जोर नहीं चलता।  मिलता बहुत है जमानें में बिना मांगे भी, पर जो मांगा वो नहीं मिलता।। सार संभाल करते है हर पाई चीज का, जाने क्यों रुसवा हो जाते है लोग समय के साथ फिर। पास रहता नहीं कुछ ज्यादा बाकि, रह जाता अनुभव सुनाने को खास बस ।। मंजिल के सफर में जो है सब उम्दा है,  पर जो सपने हाथ नहीं आये, उन सपनों की हार से मन शर्मींदा है।। ऐसा नही है जिदंगी की मैं टुट गया हूँ,  बस जो मिला नहीं उस बात से रुठ गया हूँ।। कोशिशें वहाँ नाकाम हुए बैठी है,  बंदिशे जिसमें कुछ कर नहीं सकते, चल रही है घडियाँ बिना रुके,  और मैं अपनी चाहत को लिये बैठा हूँ।। क्या चाहूँ मैं और जिंदगी,  हालातों के आगे मजबूर हूँ,  क्या कहूँ बदलते वक्त की मैं,  मैं तो अपनी खोज से खिन्न हूँ। क्या कहूँ मैं जिंदगी, अपनी कोशिशों में स फलता ढूंढ रहा मैं। । कवितारानी 1

शौक करुँ या ना करुँ

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शौक करुँ या ना करुँ  जो धड़का ना इस धरा पर  कहीं,  जो बना ना मानव रुप कहीं,  जो आया ना बन खुशी, जो ढल पाया ना जीवन में कहीं।  उसके जाने पर हैं भाव कई। उसके बिगड़न पर हैं दुःख कहीं । पर आया हैैं मन में भाव यहीं।  शौक करुँ या करुँ नहीं।  वो कहीं जो था अशं बना। लेकर आ रहा था खुशियों का अशं बना। वो था तो हमसे ही अब तक बना। ना जान बनी पर था तो वो बना। जो बन ना सका पुरा तो दोष उसका क्या।  जो बन ना सका इंसान तो दोष उसका क्या।  जो दे ना सके आशीर्वाद तो दोष हमारा क्या।  गया वो रह अधुरा, बना ना वो रहा अधुरा, अब इसका शौक करुँ या ना।। Kavitarani1  156

ये फोड़े है

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ये फोड़े है  जो बडबोले है, यही ओले है और गोले है,  मेरी राह के, मेरी चाह के, मेरी आह के, ये छोले है, ये मेरे साथ लटके झोले है। । मैं पास जाऊँ या दूर इनके,किनके-गिनके ये सुर जाऊँ।  आऊँ ना फिर लौट के ,घोट के इन्हें पी जाऊँ।  मैं कहता जाऊँ और सहता जाऊँ।  कि यहीं  फोड़े है मेरी राह के रोड़े है।  जिन्हें छोड़ा नहीं, जोड़ा नही ना तोड़ा है।  इनकी समझ का ये फोड़ा है  कि लग जाना है।  बेमतलब कहते जाना है और गाना है,  जो धुन इन्होंने बनाई है  और खुद को सिखाई है।  किसी ने ना चाही है तो सीधे लोगों पर आयी है।  मुझ पर भी अपनाई है और मेरी जिंदगी उलझाई है।  इनसे पहले में खुश था,एकांत में भी शांत था। इन्हें वो भी रास ना आई है, मेरी परछाई भी चुराई है । और कह-कर जाने क्या इन्होंने जान खाई है।  यह मेरी राई है इन्हें देर सै समझ आयी है।  कि यहीं है  जिसके सब थोड़े हैं लगा दे इसके रोडे है  । जलदी इनकी जान ये भी अनजान है,  हैं समझ खुब भरी पड़ इनमें पर बनते नादान है।  ये खुरापान है ये मंद बुद्धि परमाण है। इनस...

तनाव बेमतलब का

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तनाव बेमतलब का  ना साथ चाहिए, ना साथी चाहिए।  ना किसी का भरोसा, ना विश्वास चाहिए।  जो है मेरा-मेरा रहने दो,बस मुझें मेरा रहने दो। ना बोझ तन का चाहिए, ना तनाव बेमतलब का चाहिए।  हो सके तो जिने दो,मुझे अकेला रहने दो। सिखाया जो जीवन ने भर-भर कर ,आज उसे जीने दो। तुम नये हो,तुम पुराने हो जो भी हो।  मुझे आकेला रहने दो,ना तनाव बेमतलब का दो। मैं दुःखी रहूँ रहने दो, मैं सुखी रहूँ रहने दो। मैं कुछ अच्छा करूँ करने दो,मैं बुरा जो करूँ करने दो। कल भी मैं मेरा था जो ,आज भी मेरा मुझे रहने दो। छोड़ कर अकेला मुझे यूँ, ना पास आ तनाव बेमतलब का दो। ना प्यार चाहिए, ना दुलार चाहिए।  ना हार चाहिए, ना सुधार चाहिए।  हूँ जैसा बस वैसा रहना है। जो कहा मैंने जैसे-वैसे मुझे रहना है।  ना समझाओ ना ,दुर कर रहने दो। आपने हालात संभाले तुम,बस अपना काम करते रहो। ऐ स्वार्थ के सारथी तुम,बस अपना काम करते रहो। मैं पंछी उन्मुक्त गगन का,ना तनाव बेमतलब का दो।  मुझे अकेला रहने दो। । Kavitarani1  132

कृष्ण आओ मधुर मुस्कान लिये

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Krishna aao - see the video कृष्ण आओ मधुर मुस्कान लिये    आयी है बरखा आया सावन। हरियाली की चादर ओढ़े धरती मगन। बादलो की छाव है,हवा नम। शीतलता छायी है,धरती पावन। नयनों को अविराम कर,गाये भजन। राह सजाये,सजाये भवन।। आया भादवा,आयी नई उमंग।  सजाया है मैंने मन आंगन । सबके मन मे छायी है तरग। दर्शन हरि के पाये होये अमर। प्रभु मेरे आस जगी,जगा है मन। आओ पाधारो घर करो पावन।। कृष्ण आओ मधुर मुस्कान लिये। पाप मिटे सबके जो होये दर्शन।  अपनी छटा से हटे दुख-दुर्जन। सबके मन को कर दो तुम सुजन। आओ घर प्रभू गुरूवर। राह तके भक्त करे किर्तन। कृष्ण आओ मधुर मुस्कान लिये। राह पर लगाये हमने दिये। मुरली मधुर धुन बजाओ भगवन। मिटे दुख बने मन सज्जन।  मोर पंख रखा मेरे आंगन। भेट करुँ माखन और मेरा मन।। गया सावन गरजे बादल भादवा बन। होये ना प्रलय भय करो खतम। गिरधर नागर,गोपाल,तुम रक्षक। रखता में भक्त अपना भय और पक्ष। अश्रु से धोऊँ चरण कमल। दर्शन दो है मुरलीधर।। कृष्ण आओ मेरे घर पर।  पुजा करूँ दिनभर दर्शन।  कृष्ण आओ मधुर मुस्कान लिये। हम जिये तेरे दर्शन दिये। आओ सताओ ना मेरे भगवन।  आओ म...

कृष्ण मुरलीवाला है

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कृष्ण मुरलीवाला है  मुरलीवाला रे ! श्याम मेरा मुरली वाला रे। गोपाल है श्याम मेरा गोपाल हैं । भक्तों का पालनहार है,  निर्धनो का सहारा है। मुरलीवाला रे !श्याम मेरा मुरली वाला रे। गोपाल है श्याम मेरा गोपाल हैं । हारो का होंसला ।  वो श्याम खुशियाँ देने वाला है। मुरलीवाला रे ! श्याम मेरा मुरली वाला रे। गोपाल है श्याम मेरा गोपाल हैं ।   लीलाधर है, श्याम वो गिरधर है।  दुष्टो का नाश करने वाला है । मुरलीवाला रे !श्याम मेरा मुरली वाला रे। गोपाल है श्याम मेरा गोपाल हैं ।   वो हरी का रूप धरता, वो सबकी रक्षा करता। वो पालन हार है।  वो पालन हारा है।  कृष्ण मुरलीवाला है। । मुरलीवाला रे !श्याम मेरा मुरली वाला रे। गोपाल है श्याम मेरा गोपाल हैं । Kavitarani1  65

कृष्ण आ जाना

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  कृष्ण आ जाना बादल गरजे बिजलियाँ चमके, मन में डर सताये, जो बरखा आये जोर से, सैलाब रूक ना पाये, गिरधारी बन कृपा कर जाना, मन पुकारे नाम तेरा, कृष्ण मेरे आ जाना।। दुष्टो के पाप बड़े, यातनाओं का पार ना रहे, ना रहे कोई सीमा, दुख अपार बढ़ते जाये, मन पर बोझ भारी, हारी कायी को सहारा देने आ जाना, कृष्ण मेरे आ जाना।। धर्म की हानि बढ़ने लगे, नास्तिक सब ओर छाने लगे, अपने अलाप से अहमी सब, अर्ध की पुजा करने लगे, भक्तों का मनोबल घटने लगे, तुम साहस बनकर छा जाना।। Kavitarani1  68

हे कृष्ण मेरे तुम आ जाना

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  हे कृष्ण मेरे तुम आ जाना राह से मन भटकता जाये, लक्ष्य औझल होता जाये, सपनों में मंजिल आती जाये, नींद रात को आना पाये, बैचेन हिया को समझा जाना, हे पथिक पुराने, गुरुवर मेरे बन जाना, हे कृष्ण मेरे आ जाना। साथी छल करते जाये, झूठ से जग भरता जाये, सत्य की हानि बढ़ती जाये, असत्य दंभ भरता जाये, सन्मार्ग पर लोगो को ले आना, हे कृष्ण मेरे आ जाना,  हे कृष्ण मेरे आ जाना।  अनाथ सा लगने लगे, जग से मोह छुटने लगे, लगे कहीं जीया ना जो, मन मेरा लगा जाना, भक्ति के रस में खो जाये, ऐसा कर जाना,  है कृष्ण मेरे आ जाना,  हे कृष्ण मेरे आ जाना।। Kavitarani1  69

वतन के नाम

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वतन के नाम  भारत, आर्यवर्त,हिन्दुस्तान हमारा।  आजाद हैं हम,आजाद देश हमारा।। करना है काम ,तो ये काम करे हम। बाहर के नहीं, अंदर के दुश्मनों को नाश करे हम।। है दम भरा बाजुओं में है संख्या में हम। कर क्या लेगा दुश्मन जब दंभ भरे हम।। हुकार हमारी माँ भारती के सिंह समान हम। दुनिया वालो आकर देखो नहीं किसी से कम हम।। स्वतंत्रता की हवा में जन्मे ना लाचारी आने देते। परतंत्रता को मुह दिखाते बहानों ना आने देते। मेहनत कस हम दुनिया वाले हमारी मांग करते।। हम भारती के सपूत जहाँ जाये देश देश का नाम करते। हे गद्दारों से नफरत,जो थाली मे छेद करते। हो जाये दो हाथ ,तो मिट्टी में दुश्मन करते।। हे भारत माता के लाल हम ,हिन्दुस्तान हमारा है।  ये भारत माता के दुश्मन  सुन ले यहाँ हर हिदुस्तानी निराला है।। हे मतवालो की टोली छेड़ना ना हमें दुबारा। हो जाये जंग तो ओढ़ लेगे केसरिया बाना।। आज अमन शांति की बात नहीं हम जीते आजादी में है। चौकस रहना जानते है हम सपूत रणबांकुरों के है। । कान खोल कर सुन लो जो माटी के बेरी है।  आजाद है हम ,और ये आजाद हिन्दस्तान हमारा है।। जय हिन्द,जय भारत,जय-जय-जय माँ भा...

माँ

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माँ  जब कभी हारा   पास आपके आया मैं। सुन शब्दों को आपके सहारा पाया मैं।। आपके कहें हर वचन का महत्व बड़ा हैं। मेरे जीवन पथ पर आपका आशीर्वाद पङा है।। माँ आप याद रहोगे हमेशा मुझे। माँ आप मन में रहोगे हमेशा मेरे।। जब -जब मुझे हिम्मत चाहिए होगी। तब -तब बस आपकी बातें होगी।। आपके कहे बोल याद आयेंगें। याद कर आपको आसूँ बह आयेंगें।। माँ! जब कभी मैं पास आता था आपके। अपनी मम्मी को साथ पाता था आपके।। अब जब कभी बा को बुलाता हूँ मैं। पास आपको, साथ आपको पाता हूँ मैं।। मुझे याद है, मेरे सघंर्षो में दुआ आपकी काम आयी। मेरे भटके हुए मन को आपकी दिशा काम आयी।। माँ ! आज भी आपके बनाये हलवे का कोई जवाब नहीं। आपने इतने प्यार से बनाके खिलाया कि और कुछ याद नहीं।। पल वो सारे मेरे जीवन के अनमोल है। माँ आप हमेशा अब मेरे मन में हैं।। Kavitarani1  109

निस्वार्थ प्रेम

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  निस्वार्थ प्रेम  वो बचपन के दुश्मन अजीब, रोते विरह में बिलख- बिलख। जो छोङ ना पाते थे दुध आधा इंच, छोङ देते जवानी में सारी जमीन। वो खाते मार रोज मां- बाप से, मर मिटते एक दुसरे की रक्षा खातिर।  वो जो निस्वार्थ प्रेम है, वो भाई बहिन का प्रेम है।। भाई पूजे जवाई, जीजाजी के पैर धुलाऐ, बहिन भाभी को अपनी मां सा सराहे। वो जो एक दूसरे से लङते थे रोज, अपने पुराने दिन बुलाये। वो जो दुसरे से जलते थे रोज, अपने पुराने दिन याद कर बिलखाये। ये जो निस्वार्थ प्रेम है, ये भाई बहिन का प्रेम है।। अपना सब त्याग बहिन प्रेम मांगे, रक्षाबंधन पर बस, चाहे राखी बांधे। दूर पङा भाई, अपनी बहिन बुलाये, राखी बंधा हाथ में, रक्षा वचन दोहराये। मिठाई खिलाते आपस में, मन में प्रेम रस घुल जाये। ये देख रवि चमक बढ़ जाये, ये निस्वार्थ प्रेम है, ये भाई बहिन का प्रेम है।। कवितारानी। 

मुझे नहीं पता

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  मुझे नहीं पता  क्या चाहता हूँ? क्या चाहिए? सब है फिर भी गरीब मैं।  कैसा चाहता हूँ? कैसी चाहत हैं ? सब पता है फिर भी अनजान मैैं।  खाली हूँ मन से पुरा, पूरा खाली तन लिये,  मुझे नहीं पता। क्या चाहता हूँ मैं । कैसे कहूँ? किसे कहूँ? हूँ उदास मैं।  अनजान इस दुनिया से। बस चाहू एक मन का मैं।  मुझे नहीं पता कोई मिलेगा या नहीं।  पर हूँ हताशा मैं। । -kavitarani1

रह गयें कुछ लम्हें ही

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रहे गयें कुछ लम्हें ही   दिन बित गये,और वो वक्त भी। देख जिसे खुशनसीब होने का अहसास होता है।  निकल गये वो लम्हें भी।।  अब बस यादें हैं । कुछ बेमतलब की बातें हैं।  कुछ समझना चहाते है।  अब जैसे भी कटे। ये वक्त गुजारना चहाते हैं।  लिख दिये कई ,वो खवाब खोये है। । जो चुने थे सपने खुली आँख से,  वो सब कहीं सोये है।। हम जानते है कि हमने क्या खोया,  और कितने हम रोये है। । दिन वो बित गये सिमटे हुए,हम। और रह गये कुछ लम्हे ही।। Kavitarani1  160

Rakshabandhan / रक्षाबंधन

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  रक्षाबंधन  कोई धाखा कहे प्रेम का, कोई रक्षासुत्र पुकारे। भिन्न- भिन्न नाम से, भाई- बहिन दुलारे। सावन की पुनम पुकारे। राखी है प्यारे।। है देश अपना त्योहारों का, दीपो का- ये रंगो का। कभी छतों पर पतंग उङा ले, कभी आराम से बैठ राखी बंधा ले। सावन की हरियाली पुकारे। राखी मना ले।। आ बैठ पास बहिन के, बुआ का आशीर्वाद ले ले। रक्षा का बंध बंधा कर, कुछ हित वचन ले ले। सावन का पावन महिना पुकारे।  रक्षाबंधन मना ले।। है कोई टिस मन में,  या रिस भरी है तन में।  बचपन को थोङा निहार ले, शांत बैठ अपना प्रेम बङा ले। इस साल का जाता सावन पुकारे।  राखी मना ले।। आ भाई पास बैठ, हाथ बङा, तिलक लगा ले। कुछ मिठा लाई है बहिन साथ, आज रिश्तों में रस मिला ले। सावन है महादेव का आशीर्वाद ले ले।  आ राखी मना ले।। बदले में उपहार जरुर देना, भाई है रक्षा का वचन जरुर देना।  कुछ ना दे धन में भले, मन से भाई प्रेम जरुर देना। ये जीवन अनमोल है, एक - एक दिन सजा ले। बंधा कलाई में राखी इसे सजा ले।  रक्षााबंधन है प्यारे, आ राखी बंधा ले।। - कविता रानी ।

बादल बिन बरसे लौट गये

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  बादल बिन बरसे लौट गये  इस संन्धा की वेला को , आसमान बादलों से भरा हुआ । गये थे जो कहीं बरसने को, ये बादल वापस क्यों लौट रहें।  जिन्हें बरसना था हर सावन को, वो यूँ ही भरे क्यों लौट रहें।  लगता है यें पानी कम लाये थे, इन्हें धरा ने लौटा दिया। या इन्हें आदेश मिला है जाने का।  किसी और जगहा बरसने का। या ये बिन मौसम थें आ गये, इसीलिए लौट गये।  ये बादल बिन बरसे ही लौट गये । कुछ छींटे गिरे थे मुझ पर, पर भीगा पुरा ये ना पाये। मन में तो आने लगा था मेरे, पर ये मुझे गीला कर ना पाये। आये थे उल्लास लिये, चुपके से,  चुपके से ही जा रहे। ढलते दिन के साथ जो आसमान देखा, देखा ,बादल बिन बरसे लौट गये। । कवितारानी1 ।। 155

बारिश की बूँदे

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  बारिश की बूँदें  भरी तपीस को शांत करती है।  उड़ती धूल को तर करती है।  हवा सी बनकर आती है।  बादल ये कहलाती है।  धरती पर जीवन है । सागर का ये जल है। बारिश की बूँदें ये। एक खजाने सी है। । गर्मी जब चरम पर होती है।  धरा प्यासी होती है।  तालाब,नदियाँ सुख जाते है। सबको महादेव याद आते है। सावन की आस आती है।  बारिश की बूँदें याद आती है।  ना कम चाहिए ना ज्यादा। धरा धाप जाये उतनी आज । मन खुश कर जा । बारिश की बूँदें, बादलों से बरस जा। बरस जा।। कवितारानी1 ।। 143

पुकार

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Bharat mata ki पुकार सुन रहे हो ! अरे मेरे वीरों,सुन रहे हो! मै माँ भारत,तुम्हे बुलाती। आवाज़ मेरी तुम सुन लो। माँ कहते हो मुझे तो मेरी बात को। क्या से क्या हो रहे हालात को। समझो तो सही तुम लाल हो मेरे। मेरे गाँव-गाँव, शहर-शहर बसते, अभिमान हो मेरे।  मेरी आन है मुझमें,  जो तुम गौरवाचित हो कहीं।  मेरी जान है मुझमें,  जो तुम आशान्वित रहो कहीं।  अपना विवेक जगाओ जरा। विवेक अपना जगाओ तो। क्या सहीं है, क्या गलत, कहाँ है नुकसान मेरा,  समझ जाओ जरा। आशीष देती मैं सदा, खुश रहो,आबाद रहो तुम। तुम ही मेरी शान हो, सुन रहे हो जो मुझे। समझो क्या पुकार रही मैं।  समझो अब मुझे। मैं माँ भारती।  तुम्हे पुकारती।। Kavitarani1  184

जय भारत

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जय भारत है राम की धरती,कृष्ण की भूमि, है भोले के जयकारे। है नानक शिक्षा, बुद्ध दिक्षा, है महावीर के प्यारे।   इस वतन पर मर मिटे,  जाने कितने रण दुलारे। ये हमारा प्यारा भारत। है हमारा प्यारा भारत। । राणा की हुँकार से डरते,हिम्मत कितने हारे, अकबर को अजान में सुनते,रहे देश लारे, रानी लक्ष्मी बाई वीर योद्धा, गार्गी वो महान है,  देश कि शकुन्तला देवी पर अब भी अभिमान है।  साहित्य, खेल में नाम किया हुए कितने लोग यहाँ,  इतिहास अमर भारत का,विभन्नता है यहाँ,  ये है हमारा प्यारा भारत। ये हमारा भारत।। टाटा बेचे लोरी दुनिया नाम कमाये, रिलायंस जीओ लाकर सस्ता नेट दिलाये, ईसरो देश कि शान नये कीर्तिमान बनाये,  ईफ्को नं• पर आकर गोरवगान गाये, देश की माटी सोना उगले दुर्लभ भगाये,  विपदा काल भारत माता दुनिया को सहाय, दुश्मनों से घिरा रहे पर माटी का लाल ना घबराये, गर्व से कहते जय हिन्द-जय भारत लोग गाये, ये है प्यारा भारत,हमारा प्यारा भारत, ये हमारा प्यारा भारत।। जय हिन्द। जय भारत।। Kavitarani1  187

शामें-जिंदगी तलाशता मैं

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 शामें-जिंदगी तलाशता मैं शामें गुमनाम है मेरी,सुबह का कोई  ठिकाना नहीं।  दिन ओझल से मेरे ,रातें करवटों में कहीं। । बेफिक्र भटकनें लगा हूँ मैं, तलाश कब तक करु तेरी। आजाद फिरनें लगा हूँ मैं, पर यादों में पाता हूँ रुह तेरी ।। रातें शरद चाँदनी भरी, चाँद खोया रहता कहीं।  बसंत की ऋतु चली,महक रुकसत है कहीं। अंदाज बदलने लगा हूँ मैं, इंतजार कब तक करे जिंदगी।  एकांत जीने लगा हूँ मैं, अब दिखती नहीं बंदगी ।।2।। बातें बैमेल है मेरी, सार का कोई अंश नहीं।  मधुरता खोई है कहीं, रस सोया है कहीं। । बनावटी बनने लगा हूँ मैं, आस करुँ कब तक तेरी। सब से कहने लगा हूँ मैं, मन में रखूँ कब तक मेरी।।3।।  वादे अजन्में हैं मेरे, कसमें अभी तक चखी नहीं।  रिश्ते अधूरे हैं मेरे, दोस्ती अटूट मिली नहीं। । पहचान रखने लगा हूँ मैं, गहराई नापनी सिखी नहीं। मैल- जोल बढ़ाने लगा हूँ मैं, जीवन का कोई भरोसा नहीं।  यादें धुंधली हैं मेरी, आज मेरा मुझे भाता नहीं।  तलाश मुझे रहती तेरी, पूँछूँ सबसे क्या कहीं सुरत है तेरी।। बेशर्म कहने लगा हूँ खुद मैं ,आखिर तलाश कब तक करुँ तेरी। अब रुकने ल...

जिंदगी से जंग जारी है

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जिंदगी से जंग जारी है सपनों की उडान बड़ी भारी है।  कभी इस डगर की कभी उसकी बारी है।  रुक सकना आता नहीं कहीं एक जगह।  जिंदगी से जद्दो-जहद जारी है।। आसमान सा फैला मन मेरा । हवाओं की सवारी करता रहता । एक ठोर जमीन नहीं जाने क्यों। जिंदगी मुस्कुराती नहीं क्यों।। बातें बहुत सारी आ रही है।  शब्दों पर कलम रूक नहीं पा रही है।  कहना है बहुत कुछ पर। आजमाईशे इच्छाओं से हारी है।। एक छोर मिल नहीं रहा मुझे।  एक बात बैठ नहीं  रही मुझमें। कभी इस बात को बनाना चाहूँ।  कभी दुसरी को बनाना चाहूँ। । बाकि है साल कई ओर मिसाल कई । आजमाता हूँ दिन कई साल कई । फिर रहा हूँ रोज मारा-मारा सा। एक सांसो का लिये चल रहा सहारा सा।। मंजिल मेरी अभी बाकि है।  खुले आसमान से मुलाक़ात बाकि है।  बादलों में अटका पड़ा हूँ मैं।  और जिंदगी से जद्दोजहत जारी है। । कवितारानी 1

जिंदगी में

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  जिंदगी में  क्या कमाता? क्या खाता? जिंदगी में दर -दर भटकता। आज इस शहर। कल उस शहर, गाँव-गाँव जाता। काम का बोझ। मन का ओज, लगे रहते रोज। चलता रहता, रूके बिना। मैं अपना दुःख सुनाता।। क्या पाया क्या? खोया क्या ? हुई शाम मन रोया। एक-एक क्षण कर करके। दिन बुने, मन चुने। लोग मिले, अनजाने रहे। रहे सब अनजाने।। क्या कहता ? क्या सुनता ? मैं अपनी राह खुद चुनता ।। कई आये, मुझे झुकाये। रोके मुझको सबने रखा। उलझा कभी, कभी सुलझा। आगे ऐसे बढ़ता।  आज इस शहर । कल उस शहर, मैं जाता गाँव-गाँव।   क्या कमाता? क्या खाता? जिंदगी में दर-दर भटकता। । कवितारानी 1

ये जिन्दगी ( ऐसे ही कट जानी है जिदंगी ये)

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  ये जिन्दगी  (ऐसे ही कट जानी है।) ये रात कट जानी है। ये दिन गुजर जाने है। ये पहर बित जानी है। ये जिंदगी निकल जानी है ।। बस यादों बिसात होगी। लम्हों की साज होगी। सालों की बात होगी। ये जिंदगी आबाद होगी।। फिर कोई कहानी होगी। फिर कोई किस्से होंगे। फिर कोई पास होगी। फिर जिंदगी खास होगी।। ये बात रह जानी है। ये मुलाकात रह जानी है।  ये भाव रह जाने हैं। ये घाव रह जाने हैं।। बस सदाओं में बात होगी। किस्सों में याद होगी। सपनों में रात होगी। और जिंदगी कट जायेगी।। फिर कोई खास ना होगी। फिर दिल की बात ना होगी। फिर आस ना होगी। फिर तु पास ना होगी।। ये बात रह जानी है। ये राज रह जानी है। ये मुलाकात रह जानी है। ये जिंदगी ऐसे ही कट जानी है।। - कविता रानी। - कविता रानी। 

दोस्ती

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दोस्ती  यह किसी उम्र कि मोहताज नहीं होती  । यह जज्बातों से जुड़ी होती है।  वैसे तो मिलतें है जमानें में लोग कई। पर जान पहचान से दोस्ती नहीं होती।  दोस्ती एक समझ होती है।  दोस्ती प्यार से अलग होती है।  क्या लड़का- क्या लड़की। क्या रिश्ता -क्या नाता। दोस्ती को किसी नाम की जरूरत नहीं होती है।  यह बस निश्वास की ढोर होती है।  यह हर समय होती है।  यह अनमोल होती है।  दोस्ती खास होती है। । Kavitarani1  8

शायरी भाग- 2

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  शायरियाँ "मुकम्मल जहान कहाँ, कहाँ मुकम्मल ख्वाहिशें। हर रोज जिसे सोंचते, उसी की लिखते आयतें ।।" लोग कहते हम बुरे हैं, लोगों का काम ही है कहना।" बहुत बातें हैं पास बैठो दो घङी तो बताऊं मैं। आसान तो नहीं बयां करना बयां कर जाऊं मैं।।" "हर रोज मैं सो जाता हूँ, सोंच कर तुम्हें मैं सो जाता हूँ। पता है मुझे तुम बनी नहीं मेरे लिए, बस यही सोंच कर मैं सो जाता हूँ।।" "वो कहते रह गये 'तुम ही चाहिए '। और दूर होकर ' जी रहे खुश होकर के।।" "बङा मुश्किल है समझना प्यार को। और बङा मुश्किल है समझाना प्यार को।" "यही काफी है कि अकेले हैं। साथ जीने वाले मरते भी साथ है। देखा है मैंने हंसो के जोङो को। देख उन्हें यही सोंचते अच्छा है अकेले हैं।।" "अब नजरों के पैमाने कम पीया करते हैं। अब दिल से ज्यादा दिमाग की सुना करते हैं।।" "अच्छा है मेरे साथ नहीं हो तुम, अच्छा है मेरे खास नहीं हो तुम।" "मुझे तुमसे आस थी, तुम्हारे घर वालों से नहीं। मुझे तुम चाहिए थे, तुम्हारी रास नहीं।।" "मुश्किलें और मुश्किल हो गई जो त...

गरजते बादल

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गरजते बादल  कहना आसान है,  कि डरता नहीं मैं।  पर जब धुप कहीं छुप जाती हैं।  हवायें रोद्र रूप ले लेती है।  और घटायें विकराल घनी काली बन  , तन मेघ रूप आ जाती है।  और घने अंधेरे में सब शांत जब हो जाता है। अचानक हवायें रूक जाती है।  सन्नाटा गहराता जाता है।  बादल उमड़ते बढ़ते है और, तेज आवाज के साथ जब रोशनी होती है। जैसे आसमान गिर गया हो । वो बिजली रूह कंपा देती है । और डरा देती है।  फिर थोडी देर तक सहम जाता हूँ । फिर गरजते बादलो के साथ वर्षा होती है।  तेज हवायें और बिजलिया कहती है।  डरा दिया ना। और मैं कहता हूँ डरा हुआ सा , डर गया था मैं। डरता नहीं मैं पर, गरजते बादलो से डर गया था मैं। । -Kavitarani1 

बारिश की बात है

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ये बारिश की बात है।     बारिश के मौसम की शुरुवात है।  हवायें तेज है। लगता है मौसम बदलने  वाला है।  हवाओं में सुगंध है। लगता हैं बारिश होने को है।  मैं क्षितिज देख रहा। बादलों की झुरमुट है।  शीतल पवन का अहसास है।  ये खुशनुमा मौसम का आगाज़ है।।   हवायें तेज़ है। लगता हैं मौसम बदलने वाला है।  अब बूंदे बरसने लगी है। ये पहली बारिश है।  धुल बह रही है। आसमान का नया अंदाज है।  मिट्टी की खुशबू पसंद आ रही। लगता जैसे नये जीवन की शुरुवात है।।   गरज़ते बादल उमङ रहे हैं। कशिश सी मौसम में हैं।  हवायें अब मंद है।  हो चुकी बारिश की शुरुवात ये। तपती जमीन को राहत है।  सूलगती हवाओं को आराम है।। धुप अब छांव में बदल चुकी। धरती पर अब नम निशान है।  सब कुछ अचानक बदला हुआ लग रहा। लगता हैं नया मौसम की  शुरुवात है । ये बारिश की बात है।  ये पहली बारिश की बात है।  - Kavitarani1 

बारिशें

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बारिशें ( आज फिर भिगते हैं) बारिशें आ गई। नम घटायें जो छा गई। मोर,पपीहे, कोयल गा रही। हरी टहनियाँ लह लहा रही।। ओह! ये मौसम कितना  सुन्दर है। ताजगी भरा आलम कितना मनमोहक है।। पर मुझे क्या हुआ ? जैसे मैं कहीं खो गया ? क्या ये बचपन की गलियाँ है ? या ये मेरी बीती बारिश की यादें है ? क्या ये समा कुछ कहता है ? मुझे ये बहुत अच्छा लगता है। । क्यों ये मुझे अच्छा लगता है।  कुछ बूँदे आ गिरी। मेरी डायरी भी नम हो गई। मेरे संवेग जैसे गीर रहे। मेरी भावनायें जैसे आ मिली।। ओह! कितना मनमोहक समा है। कितना प्यारा ये जहान है। क्यों ? मैं मन की सोंच रहा। क्यों ? मैं कहीं और खो रहा। चलो फिर से जीते है। आज फिर भिगते है।। - कविता रानी।

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

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Bharat ke veero - video yha dekhe ऐ भारत के वीरो जागो  कह गये इंकलाब उन वीर शहीदों को याद करो। ऐ वतन के  बासिदों देश की बात करो।। बात करो सन् सत्तावन की, आजादी की बात करो । देश पर मर मिटें क्यों उन वीरों की बात करो।। याद करो विदेशी आक्रान्ताओं की, गुलामी की बात करो। देश की रक्षा करने को मिटे क्यों शहीदों की बात करो।। कह गये इंकलाब, जयहिन्द को याद करो,  ऐ भारत के वीरो जागो! भारत के इतिहास की बात करो।। आधुनिकता से उभरो देश की माटी का गुणगान करो। चीनी,पाकिस्तानी का हर दम बहिष्कार करो।। जो काम ना आये देश के उस धर्म जात का नाश करो। भारत की पावन धरा को भारतीयता का नाम करो।। उठो! जागो! हे देश के वीरों।  सैनिकों का सम्मान करो। लड़ रहे सीमाओं पर वो, तुम देश में कुछ काम करो।। ऐ भारत के वीरों जागो।  भारत का नाम करो। पार्टी,दल से ऊपर उठो, बस जय हिन्द का गुणगान करों । बस 'जय हिंद ' का गुणगान करो। हे भारत के वीरों जागो।। भारत माँ की जयकार करो।। कवितारानी 1

मैं बौझिल तन लिये

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मैं बौझिल तन लिये  कहीं गुम खुद ही में।   मैं आसमान नापता फिरता हूँ।  बेसुद सा आजकल। दुनिया भांपता फिरता हूँ।  मैं औझल अपने सपनों से।  मैं बौझिल तन लिये फिरता हूँ।  सबको अपना मानता। मैं अकेला रहा करता हूँ।  मैं अन्दर ही अन्दर मरता हूँ।  मैं बौझिल तन लिये फिरता हूँ।। - कविता रानी।

वो साल

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 वो साल  कड़कड़ती सर्दी, तेज हवा,सिहरन, कड़क धूप, कुएँ पर मस्ती, और फितरत आजाद घूमने की, कुछ पाया ना था, कुछ खोया ना था, जो कुछ था, बस था,वो साल। खट्टी मीठी यादें, बारिश की मुलाकातें,  फिसलना, भिगना, छुपना, छुपाना, वो दिन यादगार रहे मेरे जीवन के, वो लोग यादगार है मेरे जीवन में, और वो साल। स्कूल की पढाई बेमतलब की लडाई,  कक्षा में बेठना, किसी के लिए ऐठना, वो सब जो गुजर गया अब खजाने सा है,  यादों में वो लोग, वो लम्हें, और वो साल है। वक्त की रफ्तार में खो गये है लम्हें वो। लोग अपनी दुनिया में जी रहे ज्यों,  लगता है अब मिलना इनसे होगा ना, जीवन बहता दरिया है जिसमें बह गया साल वो। हमेशा अच्छी यादों में याद रहेगा मेरे, जो दिन बिताये मस्ती में वो, और वो साल। । - कविता रानी।

महक माटी की आये

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महक माटी की आये  माटी की सुगंध, मनै मनकावली लागै। ओ मन में उमंग, तरंग नई जागे। पहली बरखा म खुशबु होली-होली जागे। जगे सपने, सुहानी यादें जागे। ले जाये बचपन की ओर, मन तरंग जागे। जादु उड़-उड़ बन पतंगा पहली बारिस का। मैं रह जाऊँ पल भर को, पल भर जी लूँ हाँ।  ओरे ! माई तु मई बुलाये लागै। हल्की-हल्की महक से मन को लुभाये। चल उठी पुरवइयाँ, मन सहज ना हो पाये। गाये हल्की-हल्की बूंदे मन को मत समझाये।  टिस जगे, रिस फिर मजबुरी बन जाये। उम्र की डोर और बदला छोर रोक जाये। रूका हूँ मैं फिर से उड़ने को। हल्की-हल्की हवा सगं मन उड़ना चाहे। ओरे! माटी की सुगंध मनै भावे। पहली बरखा जैसे हल्की-हल्की गीत गाये। जैसे कोई गीत गाये। मने महक माटी की आये।। - Kavitarani1