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ये जो जग कहे | Ye jo jag kahe

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ये जो जग कहे - विडिओ देखे  ये जो जग कहे  ये जो वफा की बातें, दुनिया सिखाती है मुझे । खुद कोई अमल कर ले, सुधर जाये सब गीले ।। साथ कोई खड़ ना होता, साथ देने की करता बातें । याद कोई अपनी ना रखता, करता याद मेरी बातें  ।। याद ना रखा मेरा संघर्ष, मेरे हर्ष पर खिझे मुझे  । बातें कर -कर, कहते है संघर्षी मुझे ।। ये जो समझ की बातें, दुनिया सिखाती मुझे  । खुद कुछ समझ ले तो, सुधर जाये सबकी रातें  ।। खुन से सींच- सींच, बगीचा हरा किया । माली ने मर - मर, जग को सहेज लिया ।। आकर मालिक बैठे, ठहाके लगाये जो है सूल लिये । अनदेखा कर सब, भूल माली को; ऐंठे  ।। याद करे ना ध्यान धरे, है जग कैसा मतलब लिये  । बैठा खुश है देख, आस - पास के फुल खिले ।। ये वफा की बातें करे, जीये बस स्वार्थ लिये । ये जो खुद की कहे, ये ना किसी की सुने ।। Kavitarani1  158

सपने सुहाने आये | Sapne suhane aaye

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सपने सुहाने आये - विडिओ देखे   सपने सुहाने आये  मन भर देखे  सपने सुहाने, नैना भर-भर जाये । नैना भर जाये, सपने सुहाने आये । बिती रैना, नैना तरसे, बरस घनघोर हाये।। नैना भर जाये, नैना बरसे जाये । कोई आके जरा कह दे, कहाँ है पिया, परदेश मन क्यों जाये,  परदेश मन खिंचा जाये।। नैना तरसे, सपने भर-भर आये, मन ना पाये । आधा रहा, रहा बाकि कई, बाकि कई कहाये । सपने आये मन भर -भर जाये, मन भर जाये । नैना भर जाये, सपने सुहाने आये । Kavitarani1  154

लक्ष्मी | Laxmi

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लक्ष्मी - विडिओ देखे  लक्ष्मी  सरल, सहज, सरोज समेट नमी  । निर्मल, समझ भर, कम करती गमी । हम ही सार संभाल कहती कम ही । भर जीवन रस वो हसती हरदम ही । कहता जग रमा कहता मैं वो है लक्ष्मी।। है साथ संगीनी सी फिर क्या रही कमी । धन वैभव उसके साथ फिर कहाँ गमी । सुख संपदा की कहलाती वो खुद देवी । जग ढुंढे जगह-जगह उसे वो मेरे घर में ही । कहे जग कमला उसे कहता मैं वो है लक्ष्मी।। धरा धन्य-धन्य जीवन जो वो अर्धांगिनी। मन - मंगल, अंग आनंद जो वो गृह स्वामीनी । तन-तन्मय, तर जीवन जो वो जीवन।  धन्य देवी-देव जो की ये बन्धिनी । कहता जग दामिनी उसे कहता मैं हूँ लक्ष्मी।। मधुर वचनी, मधुर रसनी, मधुर मालिनी । सुकुमारी, सुन्दरी, सुभासिनी, कामिनी ।  विद्याधारीणी, सरल स्वाभाविनी, सहज कर्मीणी । सुबोधीनी, सुगामीनी, सरला, कमाला, मंगल कामिनी। कहते लोग देवी कमलवासिनी कहता मैं वो है लक्ष्मी।। Kavitarani1  153

विरहणी तेरी | Virahni Teri

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  विरहणी तेरी - विडिओ देखे विहरणी तेरी मैं विरहणी तेरी, याद को तरसूँ  । तक -तक राह मैं, बिन बादल बरसूँ । बिन बादल बरसूँ, मैं विरहणी याद को तरसूँ।  मैं विरहणी याद को तरसूँ।। लूट-लूट जीवन तरसूँ, मैं बरखा बिन बरसूँ।  सुध-नहीं, सुधरती नहीं, सुगंध गयी, गयी खुशबू, मैं विरह ताप, जल - जल झुलसुँ। दूर तुझसे रह, मैं विरहणी झुलसुँ ।। मैं ताप बन -बन हवा, दर-दर भटकूँ । मिले ठोह तेरी साँस का, साँस बन मन भरदूँ। मैं जन-जन, जग जाऊँ, जाऊँ हर जगह, पाऊँ ना मन वैसा तेरा, जैसा स्वाद था तुझमें,  मिला कोई इस जग में, रग-रग में बुँद बन सिरसुँ । मैं विरहणी तेरी, याद को तरसूँ। मैं विहरणी तेरी, याद में तरसूँ।। भूल गया चेहरा तेरा, जग है मतलब का घड़ा, भरा मन तेरी एक -एक तस्वीर से, मैं बदं आँख नयन तरसुँ। बैठ एकात्त शांत कर मन, खुद ही तरसुँ।  मैं विरहणी तेरी, याद को तरसूँ।  मैं तेरी याद को तरसूँ।।   Kavitarani1  140

क्या कभी.....

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क्या कभी- वीडियो देखें   क्या कभी..... अल्हड़पन, बचकानियाँ, शैतानियाँ,  कुछ किस्से  और कुछ कहानियाँ। वो सब जो जीये साथ हम, कई बार बैठ अकेले, लम्हे जो सिये हम, क्या कभी सर्द ऋतु में ओढ़ उस स्वेटर को, या पहन सिर पर मेरे मफलर को, याद आता हूँ मैं ? क्या कभी याद आता हूँ मैं ? पहली बारिश में भीगना,  फिसलना घाँस के  गढ्ढो में,  उछलना किचड़ में, कुदना  कुएँ में  और साथ नहाना। वो बाहर पिकनिक पर जाना, भूली बिसरी  पगदण्डी पर इठलाना,  इतराना अपने अदांज में, और मुझे दिखाना खास ये। क्या ये सब दिख जाते है ? यादों के साथ नजर आते है, और  इन किस्सों में,  अपने गुजरे जीवन के हिस्सों में  , मैं याद आता हूँ ? क्या कभी मैं याद आता हूँ ? चलो छोड़ो प्रश्न नहीं करता हूँ । मैं अपनी ही कुछ कहता हूँ  । पर तुम हो कहाँ ? सुनाऊँ कैसे ? हाल अपने मैं बताऊँ कैसे ? जैसे मैं ढुँढता तुम्हें फिरता हूँ । अपने मन में तुम्हे हरता हूँ । और लम्हें वो याद करता हूँ । क्या कभी तुम भी ऐसा करते हो ? क्या तुम भी मुझे याद करती हो ? क्या तुम्हे याद आता है, कि कैसे हम ...

खोफ कही, khof kahin

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खौफ कहीं- वीडियो देखे खोफ कही  क्या है सीला, मिला इश्क में,  समझाना मुश्किल हो रहा। जीये जा रहे है साँसो के दम पर, पर कहा ना दर्द जा रहा। आँसु, गम है की छुपाया जा रहा। हाल क्या है मेरे दिल का, जमाना है कि दबाता जा रहा। वो कही है अपनी दुनियाँ में खुश,  और खुश हूँ मैं ये कहा जा रहा । दिल की तस्वीर है धुँधली अब। साफ है की दर्द खोता जा रहा । आवाजें कहीं गुम हो चुकी।  अब दिल दुबारा खिला जा रहा। दिल में बोझ है अब कम, गम कहीं गुम होता जा रहा । मेरे दिल को अब नया जमाना भी,  कम ही समझ आ रहा । लग रहा जैसे खोफ है कहीं। खोफ है कहीं। Kavitarani1  136

जयकार हो, jai kar ho

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  Jaikar ho - video dekhe जयकार हो  अंधकार में हो या प्रकाश में, रहे आस ये, कि खास ये, काश ये, ना राज हो। होना है जिसे नाराज हो, पर आपनी जयकार हो। यलगार हो, ना हाहाकार हो, ना बहिष्कार हो । करे जो भला, बला को दान जो उसकी जयकार हो ।  जयकार हो, जयकार हो।। मैं साथ सबके, सजके जाऊँ, जहाँ त्योहार हो । हो कोई धर्म, कर्म प्रधान हो, देश पहले, और देशहित का जहाँ नाम हो, प्रणाम हो, मेरा वही मुकाम हो और साथ सबके, सदके जाऊ, हर बार जाऊँ, सबको बुलाऊ, जयकार हो, मेरे देश की जय-जयकार हो।। अकेले में रहूँ या रहूँ भीड़ में, मैं नीड़ में भी, कहता रहूँ, सहूँ उतना जितना में सहता रहूँ,  ना कहूँ ज्यादा, ज्यादा ना कहने दूँ। सब्र में जीऊँ, कब्र में भेज दूँ जो नकार दूँ। अपनी और अपने देश की जयकार दूँ।  बस जयकार करूँ जय-जयकार करूँ।  जय हिन्द।। Kavitarani1  133

आया नी सपना सुहाग | Aaya ni sapna suhag

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आया नी सपना सुहाग- विडिओ देखें आया नी सपना सुहाग दिन तीन कट ग्या, शामां बीत गी। गयी है राम दुलार, हिवड़े ने जागी नी या प्यास। आस लगी है, रास जगी है। राहाँ तकू दिन रात, बैरी आयी नी म्हार पास। आया दरद, लोग गरज, गरजे नी हिवङे री आग। आया नी सपना सुहाग।। मुखङा देखूँ, देखूँ लोगां नी बात। आयी नी मन में आस, पिया की जागी नी प्यास। ना आया कोई बैरी बन उजास, पास आया कोई खास। दिन मैं सोई, रात सोई, रोई बनी खुद की नाश। कि आया नी सपना सुहाग।। लोग पुँछे, लुगायाँ सुझे, ढुँढ की खास। बैठी कन्या, बन सुकन्या, रह गई लास। आयो नी बैरी पास, कोई सामने नी आया खास। आया नी सपना सुहाग।। महिना बीता, साल रीता। सुबह सुनी, रात धुनी। कहाँ गाऊँ, गुन वो राज। मधुर है जो पिया बोल खास। आया नी सपना सुहाग। कभी आया नी सपना सुहाग।। - kavitarani1  (2)

Sukh gye naina | सुख गये नैना

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सुख गये नैना - विडिओ देखे सुख गये नैना   ओ रे बावरे पिया, खाओ ना यूँ भाव। सुख गया है मेरा तो, सुख गये हैं नैना।। नैना बह - बह कह रहे, तरसाओ ना। ओ रे बावरे हिया, और जलाओ ना।। तिन - तिन तिनके सा, घोंसला बनाया। तिल- तिल जल - जल, होंसला बढ़ाया।। बढ़ायी हैं घङियाँ। घङियाँ बीती जाये। मेरी सुख वाली सुबह,  मेरी शामें बीती जाये। जाये ना प्राण कहीं, आ जा रे जीया।। सुख गया है मेरा तो, सुख गये हैं नैना। सुख गया है मेरा तो, और सुख गये हैं नैना।। ख्वाबों में देख - देख, नींदिया गंवाई।  कल्पना कर- कर सच से रुसवाई।। आई ना झलक, पल भर तु आई ना। सुनी रही बाहें, सुने रहे नैना।। राह तक - तक, अब थक गये नैना। सुख गया योवन का, बह - बह सुख गये नैना।। ओ सुख गया जीवन का मेरे, सुख गये नैना। खता हुई कैसी, कैसी है रुसवाई। आवाज आई ना तेरी, दिखी ना परछाई ।। छाई रही सपनों में, साथ नहीं आई। खोजता फिरूं जग- जग, जग से छिपाऊँ।। बैठ अकेले लिखता हूँ,  सपने बुनता हूँ। सपने रुठे अब, अब तो तु आजा।। सुख गया मेरा तो। सुख गये नैना।। - kavitarani1  (4)

Tum bhi chhod jao | तुम भी छोङ जाओ

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तुम भी छोङ जाओ तो - विडिओ देखे   तुम भी छोङ जाओ गये है कितने लोग छोङ, अपने - पराये मन तोङ, गये हैं जो आये नहीं, जो है वो फिर से नये कहीं। तुम भी आये सफर में, मिले यूँ नये हो मेरे आज, बन गये हो मन मिजाज, अब तुम भी बदले दिख रहे। बिन बताये तन रहे, तुम भी छोङ जाओ तो, जी ही लेंगे आखिर, तुम भी मुख मोङ जाओ तो। पी ही लेंगे जुदाई फिर, रह रहे थे, रह लेंगे, आप के बगैर भी, अब जी लेंगे। तुम छोङ जाओ तो, गीला नहीं करेगें हम, तुम भी छोङ जाओ तो, रूसवा नहीं होंगें हम। जाओ जो खुश रहना, दुख में भूल जाना ना, तुम भी छोङ जाओ तो, जी ही लेंगे बगैर तुम।। - kavitarani1  (3)

ये बदलाव नया है | Ye badlav nya hai

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ये बदलाव नया है- कविता सुने  ये  बदलाव नया है  रात नई है, पर अंधेरा पहचाना लगता है ।  भरी बारिश में,  बादल पुराना लगता है । खिले है फुल नये बगीया में आज,  हरियाली की चादर छाई है ।। मौसम में बहती सर्द बयार, कुछ मेरे यार सी लगती है ।  कहने को है ये ॠतु नई, पर मनाये इसके पर्वो की ॠतु पुरानी लगती है ।। ये पत्तियाँ हो भले नई, पर टहनियाँ पुरानी लगती है ।  हो खिले फुल नये, पर बगीया पुरानी लगती है ।  हो मौसम बदला हुआ पर जमीं पहचानी लगती है ।। थी जल रही अब तर हो गई । सर्द हवाओं से निकल अब सुहावनी हो गई । थी दास्तानें सारी गम भरी, अब खुशनुमा हुई ।  सारी बातें पुरानी, अब यादें नई हुई ।  बित गई जो बित गई अब बात नई है । रात नई है ये,  ये बरसात नई है । तर होती जमीन के फुल नये है, ये निशान नयी है । सब नया है तो बात नयी है ।। Kavitarani1  129

मैं बदलाव चाहता हूँ | Main badalav chahta hun

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मैं बदलाव चाहता हूँ- वीडियो देखे   बदलाव चाहता हूँ  कुछ गुमनाम सी लगने लगती है ।  ये जिंदगी नुकसान सी लगने लगती है ।  लगता है जैसे सब बर्बाद कर रहा ।  मैं यहाँ अपना समय खराब कर रहा ।। कुछ बदलाव चाहने लगता हूँ ।  मैं हर दिन बदलते रहना चाहता हूँ । मैं रूकने के पक्ष में था नही कहीं । मैं यहाँ भी रूकना नहीं चाहता हूँ ।। आवाज़ दी है मैंने फिर सुने ईश्वर मेरी । दरखास्त दी है मैंने, लगे आस अब मेरी । फिर नया दर तलाशना चाहता हूँ ।  मैं नयी दुनिया में जाना चाहता हूँ ।। कुछ कहा नहीं किसी ने । कुछ सुना नही किसी से । मैं अपना आलाप रागना चाहता हूँ ।  मैं बस एकान्त मैं जाना चाहता हूँ ।। बदनाम होने लगा हूँ यहाँ भी ।  मन पर चढ़ने लगा हूँ यहाँ भी । यहाँ भी स्थायी समझने लगा हूँ जो । यही भ्रम तोड़ना चाहता हूँ मैं जाना चाहता हूँ ।।   मैं यहाँ से दूर जाना चाहता हूँ ।  कुछ और पाना चाहता हूँ ।  बहता दरिया हूँ इस धरा का मैं ।  नये किनारे पाना चाहता हूँ ।  मैं नयी जगह जाना चाहता हूँ । मैं बदलाव चाहता हूँ ।। Kavitarani1  128

कल्याणी | Kalyani

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  कल्याणी  सुलोचनी, सुन्दरी, नन्दनी, देवलुभावनी, कल्याणी-कल्याणी। साहसनी, आसनी, वसुंधरा, मर्दानी, कल्याणी।  मधुरावावीनी, प्रेम लुटावनी, मगन मगन मनावली, भवंरानी-कल्याणी।  सुशिला-आचरणी, रिति निभावनी, प्रिति पिपासनी, मनकावल - कल्याणी।  सप्ताणी पीढ़ी जीवानी, पोषणानी, पक्षी प्रेमानी, कल्याणी।  मुस्कानी, हसानी, प्रेम लुटावनी, कल्याणी-कल्याणी।.  Kavitarani1  112

हारा नहीं मैं / Hara nhi main

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हारा नहीं मैं- वीडियो देखे   हारा नहीं मैं  हारा नहीं मैं,  बस अटक गया हूँ । जीवन की इस दौड़ में,  मैं यूँ ही रूक गया हूँ ।। मंजिल ये नहीं मेरी जहाँ बैठा हूँ । जाना है दूर तक जाने क्यूँ ऐंठा हूँ ।। एक जुनून की कमी हो गयी है, एक प्यास की जरूरत आन पड़ी है । आराम परस्त लग रहा हूँ ।  लग रहा है की ज्यादा ठहर गया हूँ ।। अब समय आ गया , अब मन उतर गया । अब यहाँ रूकना नहीं मुझे,  अब आगे बढ़ना है मुझे ।।   वो मुकाम मेरा इंतजार कर रहा , वो सपना मुझे कह रहा । बहुत है तु रूक लिया, अब उठ आगे बढ़ कह रहा ।। हारा नहीं मैं,  बस अटक गया हूँ । जीवन की दौड़ भाग में,  फस गया हूँ । हारा नहीं मैं,  बस थोङा सा रूक गया हूँ।। Kavitarani1  110

ये साल गुजर गया है / Ye sal gujar gya

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ये साल गुजर गया है- वीडियो देखे  ये साल गुजर गया है  गुजरे साल की तरह गुजर गया है । ये सत्र भी आखिर बित गया है ।। ना हम मिलेंगे फिर इस तरह यहाँ ।  ना ये दिन दोहरायेंगे फिर से यहाँ ।। जो गुजारे वो लम्हे किस्से बन गये हैं ।  ये सत्र अपने जीवन की कहानी बन गये हैं ।। कभी याद करें तो मन खुश कर गये हैं । साथ जीये जिनके वो चेहरे मन में बस गये हैं ।। कुछ कहूँ तो शब्द कम लगने लगते हैं ।  शानदार था सफर लब्ज इतना कह रहे हैं ।। किसी को डाढ पड़ी, किसी की पड़ी थी मार । कोई हॅस रहा था नादानी पर, कोई भाग रहा खाकर मार ।। वो प्रतियोगिताओं में चला जीत का साल । हार कर भी कम ना हुआ मनोबल ऐसा था ये साल ।। परीक्षायें आती रही जाती रही, जैसे मौसम आते-जाते रहते । मस्ती-मौज के साथ बिना डर के परीक्षा देते जाते ।। होमवर्क का बोझ और रोज का देर से आना । याद रहेगा हर बात पर कोई बहाना बनाना ।। वो आपस में लड़ना और फिर सुलह हो जाना । यारों के साथ घुमने जाना और बातें बनाना ।। सब याद रहेगा जैसे गुजरा इस साल में । कहीं भूल ना जाना इस गुजरे साल में ।। यादों का एक कारवां यहीं शुरू हो गया है ।  दे...

तुम मेरी हो | Tum meri ho

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तुम मेरी हो- वीडियो देखे   तुम मेरी हो  मेरी भौर सुहानी हो, मेरी पुरी कहानी हो, मैं धरा प्यासी जो, तुम मेरा सावन हो । तुम चाहत हो, मेरी राहत हो , राहे कई मंजिल की तो ,। तुम मेरी हमराही हो। मेरे दिल की ख्वाहिश हो, मेरे सपनों की चाहत हो, मैं मावस की था रात जो, तुम मेरे पूनम का चाँद हो। तुम फुल की बगिया हो , हरियाली खुशनुमा हो,  मैं माली एक बाग का जो, तुम मेरा पोषण हो। तुम सबसे खास हो,  दिल के सबसे पास हो,  जीवन का आधार हो, मेरी जीवन संगीनी हो। तुम ही अहसास हो,  तुम ही मेरी आस हो, जो तुम साथ हो,  तो साथ हो, तो दुनिया साथ हो ।। Kavitarani1  107

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

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  वो मेरी परवाह करती है- वीडियो देखे वो मेरी परवाह करती है वो मेरी परवाह करती है । सुबह-सवेरे चाय-गरम करती है । वो पास मेरे हमेशा रहती है ।  दुर रखुं तो दूरी सहती है । अपने मन की सब वो कहती है ।   मेरी है सदा ये कहती है ।। मेरे नाम का सिंदूर उसे भाता है ।  दिल पे मेरा मंगलसुत्र उसे सुहाता है ।  कलाई की चूढीयाँ उसे कम लगती है ।  साड़ी में रहना वो चाहती है ।।  जिद करना उसे कम आता है ।  जैसे कहो वैसे रहना आता है ।  वो मेरी हर बात सुनती है ।  जो समझ ना आये तो चुप रहती है ।  मेरे काम को वो अपनाती है ।। हर दिन वो अपना मन लगाती है ।  वो मेरे जीवन का सहारा है ।  जीवन उसके साथ बड़ा प्यारा है । वो लक्ष्मी मेरे आंगन को वो जगाती है ।  वो मेरी आस करती है ।  वो मुझे प्यार करती है ।। Kavitarani1  106

नई उमंग के साथ | Nayi umang ke sath

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नयी उमंग के साथ- वीडियो देखे  नई उमंग के साथ  यह एक नई सुबह है । एक जोश नया सा लग रहा है ।  कई सारी बातें है दिमाग में ।  मन खोया है कहीं ।  पर जब देखूं अतीत को मैं ।  तो लगता है कि,  ये शुरू हुआ नया दौर है । ये शुरू है नई उमंग के साथ ।। कुछ सपने छुट गये है कहीं ।  कुछ अपने छुट गये है यहीं कहीं ।  लोगो से मिलते ये नये अनुभव है ।  शादी के बाद का जीवन ये । नई जिम्मेदारियों के संग है । एक अहसास है किसी के साथ का हमेशा ।। हमेशा किसी को साथ रखने का भाव है । ये जीवन है अलग तरह का । सब कुछ यहाँ नई उमंग के साथ है ।। उठते-गिरत-संभलते आये है । कई नये अनुभव पाये है । नई आस का पाये सवेरा है ।  नई धुप और नई पवन का बसेरा है । दिल मेरा कह रहा है ।  सब कुछ नई दुनिया सा है ।  ये जीवन का एक मोड़ था । यहीं से सब नई उमंग के साथ है ।। अब पथ का राही अकेला नहीं ।  अब मंजिल की चाह अकेला नहीं ।  अब सपने सारे साथी संग है । जीवन में हर पल एक नये रंग में है । आशायें है,उम्मीदें है,अपने है ।  ये अनुभव नये है । ये जीवन नई उमंग संग है ।। ...

सुकुन मिल जाये | sukun mil jaye

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Sukun mil jaye- video dekhe   सुकुन मिल जाये  कुछ ख़ास नहीं ख्वाहिशें मेरी । बस सुकुन आ जाये । मौत से डर नही लगता मुझे।  बस जिंदगी मुस्करा जाये।  अंधेरा बहुत है चारों ओर । कोई दीप नया जला जाये । मैं पत्ता पतझङ का गिरने वाला । बसंत कोई ले आये । जी लिया मैं खुब अपने आप में । अब साथ कोई दिल को भा जाये । आराम नहीं पसंद मुझे । बस राहें धीमीं हो जाये । उड़ना  चाहूँ खुलें आसमान में ।  कुछ बंधंन मुझे छोड़ जाये । मैं भी जी लू अपने हिसाब से ।  बस यही कृपा हो जाये । बस सुकुन मिल जाये ।। Kavitarani1  102

मेरी जिंदगी | Meri zindagi

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मेरी जिंदगी-वीडियो देखे   मेरी जिंदगी  मेरी जिंदगी में चल रही जद्दो-जहद है । कुछ ख़्वाहिशें हासिये पर है कुछ हासिल है । नागवार सपनों की चाहत से मेरी हकीकत मचल रही है।  मेरी जिंदगी में आजकल हलचल बहुत है ।। कुछ खास पाने की उम्मीदों से जुझ रहा हूँ ।  इस दुनिया के कठिन सबब सिख रहा हूँ।  मुझे चाहत नहीं ज्यादा कुछ पाने की। पर तारे आसमान में तलाश रहा हूँ ।। आज भी होंसले से पंख फैलाये हैं । जो चले साथ उनके गुण गाये है । राह के पत्थरों से नाराजगी छुपाई है । मैंने सब खोकर जिंदगी जो पाई है ।। मैं कल की सोंच आज भी नहीं रूकता । जो कर ना सकूं पूरा वो वादा नहीं करता । कुछ अभिनय की कला मैंने पाई है ।  मुस्कुराहटों से मिल, मैंने गमों पर जीत पाई है।  मेरी कहानी के सब ही ये हिस्से हैं ।  जो मिले कहीं किसी मोड़ पर ये मेरे किस्से हैं ।  कुछ खास नहीं पर सबक सबने सिखाया है । ऐ जिंदगी तुने हर दिन बहुत सिखाया है ।। Kavitarani1  101

बसंत है | Basant hai | spring time

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बसंत की आशा है- वीडियो देखे   बसंत है  था सावन झूम रहा, अवारा बादल आकाश में था धूम रहा । मन बावरा तब झूम रहा, हरियाली की चादर ओढ़ झूम रहा ।। फिर शीतलता छाई, कड़ाके की ढंड आयी । ठिठुरन से तब कांप गये, लोगो को हम भाप गये ।। जैसे मौसम थे बदलते आये, नयी हवायें संग लाये । घटायें जैसे थी बदलती रहती थी, वैसे लोग बदलते आये।। अबकी बार बसंत आया, लग रहा जीवन मुस्कुराया । ये मौसम हमेशा से भाया, मन को इसने ललचाया।। तरस अब रही नही, तरस रहा सावन कहीं।  कब मौसम साफ होगा, जीवन खुशमिज़ाज होगा।। अभी बस दस्तक है, सर्दी की ठिठुरन है । बसंत की बस आहट है,  पतझड़ की सुगबुखाहट है।। मन में भी चाहत है, राह है मन है। कहीं आता दिख रहा जो ये, लगता मेरा बसंत है।। हाँ मौसम सारे मैंने देख लिये,  चेहरे बदलते देख लिये।  रंग बदलते देख लिये,  लोगो के ढंग बदलते देख लिये।। मैंने अपने जीवन के कई मौसम, अब तक देख लिये।  अब फिर बसंत की बारी है,  अब बसंत की तैयारी है ।। अब लग रहा दुनिया  सिमटने वाली है।  अब बसंत है, कहीं कोई चाहने वाली है।। Kavitarani1  100

बहार बनके आये | Tum bahaar banke aaye

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तुम बहार बनके आए- video dekhe तुम बहार बनके आये  बहती दरिया कहीं छोड़ आये । जीवन संघर्ष में सब छोड़ आये।  इस दौड़ में कहीं टुटे थे । दुर रह दुनिया से कई अपने छुटे थे । रह गये थे अकेले पतझड़ से सर्दी तक । फिर मौसम बदला, बंसत आयी । इस जीवन वेला में तुम बहार बनके आये ।। छुटे मोह, जग के सारे प्यारे छुटे । रह गये अकेले, कुछ न्यारे छुटे । बदल गया समय जो जगहें बदली । इस पगली दुनिया ने अपनी नियतें बदली । माफ कर सबको हम फिर मुस्काये । अबके तुम आये बहार लाये ।। लग रहा जीवन बदलेगा । जो है बचपन से सुखा वो आसमान बदलेगा । तपती धरा अब तृप्त होगी । बारिश की बूंदे और सावन सी बहार होगी । बसंत की बहार मन को भायेगी । जीवन संगीनी तन भायेगी । हम छोड़ एक जीवन नव जीवन को गये । जैसे तुम आये बहार आये । लगता यही अभी तुम बहार बनके आये ।। Kavitarani1  99

बसंत आया | Basant aya

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बसंत आया - विडिओ देखे बसंत आया  कड़ाके ठण्ड से सिहर गये थे । बाहर जाने से भी डर गये थे । रह गये थे सिमट कर खुद ही में  । रह गये थे लिपट कर खुद ही में।  अब बसंत आया, बहार लाया ।। अब मन भाया, मौसम नया आया । कुछ गिरते पत्ते उड़ते ।  शीतल हवा के झोंके चलते । तन को सुकून आया । पवन के वेग में बदलाव आया । खुश करता बसंत आया ।। आया बसंत पतझङ भी आयेगा । खुशहाल ये मौसम भी बदल जायेगा । मन खोया वापस आयेगा । तन नये भाव लायेगा । ये मौसम ऐसे ही बदल जायेगा ।। जैसे बसंत आया वैसे खुशियाँ आयेगी । कुछ पल ही जीवन रंग भायेगी । ये घडियाँ इन्हें कहानी गायेगी । ये मौसम याद रहेगा।  ये बसंत याद रहेगा । Kavitarani1  98

अच्छा लग रहा है | achha lag rha hai

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अच्छा लग रहा है - विडिओ देखे   अच्छा लग रहा है  क्या कहूँ? क्या अच्छा लगा रहा है। वो मखमली होंठ, और गुलाब की पंखुडियों से नजर हटे, तो सोचूं; क्या अच्छा लग रहा है? एक पल देख,  इन झील सी गहरी आँखों में जो ढुब गया। वो रवि निकले इनसे तो कहे,  क्या अच्छा लगा रहा है? वो बलखाती नागिन सी लटे, जो डंस रही बार-बार। इनके नशे से उभरूं, तो कहूँ; क्या अच्छा लग रहा है? वो सज-धज बैठे रहे बगल में, साँस-में-साँस आये, तो कहूँ; क्या अच्छा लग रहा है? वो भर यौवन और लेकर अपना जीवन जब पूछ रहे तो, कैसे कहूँ, क्या अच्छा लग रहा है? जितना कहूँ कम लग रहा है। अब ये जीवन पूरा लग रहा है। जो भी हो जैसा हो, वो मेरा हमसफ़र लग रहा है।  कई सालों बाद दिल का बोझ हल्का लग रहा है।  मेरे जीवन साथी के साथ अच्छा लग रह है। अब सब अच्छा लग रहा है।। Kavitarani1  97

बोझ भारी / Bojh bhari

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  बोझ भारी - विडिओ देखे बोझ भारी    रफ्तार लिये जिंदगी दौड रही। खुद ही खुद से अब हौड़ हो रही। रूकना चाहूँ भी पर रूकना हो रहा नहीं। दिल है उलझा कहीं जिंदगी कहीं। है बोझ भारी,है बोझ भारी ।। लग रहा है जैसे अब है मेरी बारी। बन रहा है आशियाना आलिशान। दिल में उतर रहा खास इंसान।  आन है रखनी बचाकर कहीं। कहीं रखनी है जिंदगी बचाकर। उधार बढ़ रहा है, बढ़ रहा है बोझ।। ओज से भरा रहता हूँ मैं।  और दिख रहा बोझ। है ओज जीवन में रोज। लोग समझते हैं इसे मौज। पर मेरी नजर में है ये। है बोझ भारी, है बोझ भारी।। Kavitarani1  96  

एक पड़ाव पार हुआ बस / Ek padav paar hua bas

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एक पड़ाव पार हुआ बस- video dekhe   एक पड़ाव पार हुआ बस  जो मन में उतर नहीं रही थी। वो समा गई है गहराई में। जो अंधेरे में प्रकाश कर गई। वो गई है दिल ही में। कैसे समझाऊँ खुद को की। ये एक पड़ाव था जो पार किया।। दिल में बस एक घाव था जो। मैंने दिल से साफ किया। एक पड़ाव पार हुआ बस।। अभी दरिया बाकि है।  जमीन शुरु होने से पहले। पार करना सागर बाकि है। अभी इम्तिहान बस शुरू हुए है। अभी सागर जीवन का बाकि है।  अभी सार जीवन का बाकि है।। एक पङाव पार हुआ जीवन का कि। अभी पूरा जीवन बाकि है।। Kavitarani1  95

जो मर चुके है | jo mar chuke hain

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जो मर चुके हैं - विडिओ देखें जो मर चुके है  सोंचना जिनका बंद हो चुका। अंदर से जले पड़ है जो। जिनको फर्क नहीं पड़ता मेरे होने से। जो मर चुके है पूरी तरह से वो।। कैसे समझाऊँ उन्हें जिनमें दिल नहीं अब। भाव खो चुके है जो,  कैसे मनाऊं उन्हें मैं।  मेरी खुशी छिन कर हॅसने की कहते। मेरी बहती आखों से जिन्हें फ़र्क नहीं पडता।। जो मर चुके मेरे लिये कब के,  कैसे जिन्दा देख पाऊँ मैं।  कैसे अपनी बात समझाऊँ मैं। जो मर चुके मेरे लिए, उन्हें क्या ही बताऊँ मैं।। Kavitarani1  94

मुझे| mujhe

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मुझे- देखें वीडियो   मुझे  बहुत दबाया जा रहा है। अपने वश में किया जा रहा है।  मैं चाहूँ जो साँस लेना । मेरा दम घोटा जा रहा है।। हूँ आजाद आत्मनिर्भर मैं।  खुद की इच्छा पर जीने वाला। आये दिन मुझे कुछ समझाया जा रहा है। जो पता है सब बस वही बताया जा रहा है।। ना चाहिए किसी को कुछ।  बेवजह निचा दिखाया जा रहा है।  मुझे अपनी जिद से झुकाया जा रहा है।  आज रिश्तों से मुझे  बहुत दबाया जा रहा है।। Kavitarani1  93

हारा नहीं मैं | hara nhi main

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हारा नहीं मैं- kavita देखें   हारा नहीं मैं  ये दुनिया अब जाकर मुझे वश में कर गई।  कुछ महिनें हुए की जैसे जिंदगी तर गई । जो ढुब रहा था तन्हाई में वो अब अकेला नहीं।  खुशियाँ है आखों में पर सपने गुम कहीं।। हारा नहीं मैं, ना हिम्मत खोया हूँ।  बैठ अकेले मैं बस सोंच रहा हूँ । क्यों बिन मंजिल पाये सो रहा हूँ।  हूँ व्यस्त बहुत लग रहा है ।। अगस्त से नवम्बर सब व्यर्थ रहा है।  पर अब फिर से जिद लानी है । जो बने बाधायें उनसे दूरी बनानी है।  जीना है सपना पूरा करके ही रहना है ।। हारा नहीं मैं ना हारूगाँ अभी मैं।  मंजिल पाने तक जीना मुझे है । एकांत में रहना मुझे हैं । लक्ष्य तक जीना हैं मुझे।। Kavitarani1  92

फरेब | Fareb | Fraud

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फरेब - कविता dekhe   फरेब बड़ी शिद्दत से मिलता है प्यार सच्चा।  और सच्चा रहना है मुश्किल। । जो मिल जाये दिलदार तो नसीब । बदनसीब वो जो बदल जाये देख तस्वीर। । दुनियाँ गहराई का नाम देती । है कितनी मोहब्बत बता देती । जो करें बात प्यार की कहीं और फिर । वो सच कहाँ प्यार फिर ।। एक रास रस का एक सागर को । दरिया हो तुम तो सुनो ना राहों को । भरे तालाब में मिठे बने रहने भाव लाते । सागर से मोहब्बत है दोहराये जाते ।। फिर बढ़ आगे सागर की गाते । कैसे पवित्र जल का दरिया कहलाते । कैसी मोहब्बत को सुनाते । छोड़ गये निशान मिटा ना पाते ।। राहगीरों को झूठा पाठ पढ़ाते । कैसे सागर को पाकर खुश रह पाते । बहते रहे जीवन भर, कैसे सुख पाते । मधुरता कहाँ पाते ।। Kavitarani1  86

मतलबी | Matalabi | selfish

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Matalabi - kavita dekhe   मतलबी  बड़ा अच्छा सबब सिखाया, बड़ा अच्छा खुद को बताया । कह सकूं अपने किस्सों में,  बड़ा काबिल खुद को बनाया ।। सब कहे शब्द लग रहे लबी अब ,  सब भाव कही अभाव में खोये हैं । सामने फिर निशब्द है अब, एक ओर मतलबी से होये है ।। ना अचरज सुन कर, ना समझकर फितरत बुरा लग रहा । आजमाईशे अधुरी रखी, तो बदला मिजाज मतलबी लग रहा ।। खुब देख ऐसे चेहरे बेनकाब हो,  कोई नया खैल नहीं।  अपनी धुन में रहो खाब में,  हमें अब कोई मतलब नहीं। । बड़ा मज़ा आया तमाशे देख ही, बड़ा अलग लगा खैल ही । असल जिंदगी का पता है, आज भी है मतलबी ही ।। Kavitarani1  85