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मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नया सवेरा चाहिए | Naya savera

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  Naya savera chahiye- click here to see video नया सवेरा चाहिए  साल बित गये ऐसे ही रहते - रहते, अब कुछ बदलाव चाहिए । बहुत सोचता हूँ  मैं  ऐसे तो, पर कुछ सच में बदलना चाहिए । कड़ी धुप सह लूगाँ मैं,  बस ये अँधेरा हटना चाहिए  । यूँ तो खुब हिम्मत रखता हूँ,  पर अब कोई हमसफ़र साथ चाहिए । पथरीले रास्तों पर चल लूँगा मैं, बस राह दिखनी चाहिए । मंजिल का कोई मोह नहीं मुझे,  बस मुकाम पर मन संतुष्ट होना चाहिए  । बरस बीत गये आस लगाये, अब कुछ परिवर्तन होना चाहिए । खुब जी लिए एकान्त में रहकर, अब भीड़ होनी चाहिए । जी घबराता है शांति में अब, नये सवेरे संग अब शौर चाहिए । कुछ ज्यादा मांगा नहीं मैंने,  बस ये अँधेरा मिटना चाहिए । अब नया सवेरा चाहिए,  अँधेरा मिटना चाहिए ।। Kavitarani1  162

कब / Kab

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  Kab - click here to see video कब सावन बिते सुखे सारे । शीत बिती रिती मेरी । ग्रीष्म को ठण्डक नहीं  । त्यौहारों में रंग नहीं ।  कैसी ये जिन्दगी है । कैसी ये कट रही । कोई रंग घोले आके । कब से बैठा मैं नीरस । खोज रहा कलियाँ मैं । कोई नहीं जहाँ रस खाली सारा । सपने लगते आधे से । साधा रहता खुद मैं । आधा रहता खुद मैं  । बीत रही छड़ियाँ सारी । सारा यौवन बीता । सवाल रहे रीते सारे । मैं सुनता रीता सब । कब से नीरस एकान्त अब । सोंच रहा कब होगी । होली रंग भरी मेरी ।। Kavitarani1  159

बेवक्त त्योहार | Bewaqt tyohar

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Bewaqt Tyohar - kavita by Kavitarani1, see here बेवक्त त्योहार  वक्त, बेवक्त त्योहार आते रहे । खेलते जग में हम बैठे रहे । मन के बोझ तले सोंचते रहे । क्यों वीरानों में हम रहे । क्यों कहीं किसी को गले लगाया । जो पास आया क्यों ना उसे पाया । क्यों दूर जग से बने रहे । क्यों अपनी जिद पर अड़े रहे । वक्त, बेवक्त, बेअसर हम रहे । जख्म अपने खुद ही खुरेचते रहे । सोंचते रहे कोई आये खुशियाँ ले । सोंचते रहे सब अब बदलेगा । कोई आयेगा मुठ्ठी भर गुलाल ले । रंग देगा मुझे अपने रंग । बस यही ख्वाब सजाये रहे । बैठ अकेले निहारते रहे । वक्त, बेवक्त त्योहार जाते रहे । हम बेरंग बैठे रहे ।। Kavitarani1  157

भूल उन्हें आगे बढ़ना / Bhul unhe aage badna hai

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CLICK HERE TO SEE VIDEO भूल उन्हें आगे बढ़ना  जो कहते है कहने दे, मरते है तो मरने दे । अपने कुछ काम नहीं ये आने वाला, ये सब बस समय खाने वाला । अपना ध्यान हटा इनसे, अपना मन लगा कहीं ये । कहीं ओर तेरी मंजिल है,  तु अटका है वहाँ, जहाँ कोई नहीं तेरी हस्ती है । वो साथ नहीं जाने वाले, दुर्दिन में पास नहीं आने वाले, वो मोज के साथी सारे, वो दूर के पार्थी सारे, उनसे क्या लेना देना, अपना काम खुद कर लेना, अपना कर्म सर्वोपरी कर, चल अपनी धुन चुन, जो नहीं मानते भूल उन्हें,  साफ राह चुन छोड़ उन्हें,  जिन्हे मरना है मरने दे, कह दिया अब जाने दे । जाने दे जो हुआ,  अब खुलकर मुस्कुरा, कल को तेरा करना, खुश रहकर आगे बढ़ना, बस आगे बढ़ना ।। Kavitarani1  155

मेरी सुबह खोई | meri subah khoi hui hai

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Click here to see video मेरी सुबह खोई  भौर हो गई, चिड़ियाँ चहक रही । सारे तारे गुम हुए, रोशनी मुस्कुराई । हवायें शीतल है, ताजगी सब और है छाई  । मेरे मन की उदासी क्यों रह गई । कहाँ मेरी ताजगी है खोई । मेरी सुबह क्यों नहीं हुई ।। था अँधेरा तब से जागा हूँ । मैं अभी आधा जागा, आधा सोया हूँ । आधी नींद और सपने लेकर । अभी भी खुशहाली की खोज में हूँ । कहाँ मेरी सुबह है सोई । क्यों ना मेरी सुबह होई ।। साल बीत गये, जमाने बीते । रोज-रोज कर-कर काम दिन बीते । उम्र बीतीं, बचपन बीता, यौवन चरम पर है । जो देखे खिंचा आये, लगता तरोताजा है । फिर क्यूँ उदासी छाई, क्यों लगता है । मेरी सुबह नहीं होई ।। होने दो सुबह मेरी, शाम तो होनी ही है । खुश रहने दो मुझे, उदास तो होना ही है । जैसे प्रकृति ले रही, अंगडाई मुझे भी लेने दो । मेरे जीवन पर छाया अँधेरा अब घटने दो । विनति मेरे प्रभू आपसे मन से । मेरी सुबह अब होने दो ।। Kavitarani1  152

दूर रहने दो, Dur rahne do

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     DOOR RAHNE DO- CLICK HERE TO SEE VIDEO     दूर रहने दो  फुल खिले बिना महक नहीं होती, सुगंध बिना भंवरे नहीं आते । पथ बिना पथिक भटकता है,  मंजिल के बिना राह अधूरी है ।  चाँद बिना चाँदनी नहीं दिखती, सुरज बिना रोशनी नहीं दिखती । कुछ तो कारण होता है किसी के साथ होने का, यूँ ही नजदीकियाँ नहीं होती । पास रहे बिना या सुने बिना, कोई आदत नहीं बना करती । रह गई दूरी तो अच्छा है,  बात बिना बने बिगड़ी तो अच्छा है । अच्छा है कुछ खास नहीं रहा, छोड़कर फिर अब कुछ पास ना रहा । ना रही कोई याद ना अहसास,  तो आदत को मिट जाने दो । अभी हुई नहीं थी जो मेरी, उसे दूर रहने दो ।।      Kavitarani1  151

वृक्ष बन जाऊँ मैं / Vriksh ban jau main

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Click here to see video वृक्ष बन जाऊँ मैं  मन करता है एक वृक्ष बन जाऊँ मैं । तने से सख्त बहुत और ऊपर से हरा -भरा रहूँ मैं । फल दूँ निस्वार्थ सबको और दूँ छाव मैं । हवा दूँ शुद्ध सबको और दूँ  शीतलता मैं । मन करता है  वृक्ष बन जाऊँ मैं । कोई फेंके पत्थर चोट खाऊँ मैं । कोई खिचें डाली झुला बन जाऊँ मैं । कोई नोचे पत्ते, नये पत्ते ऊगाऊँ मैं । जो चाहे कोई कुछ, सब दे पाऊँ मैं । मन का मौजी वृक्ष बन जाऊँ मैं । आँसु मेरे गोद बने पकवान में सज जाऊँ मैं । लहू मेरा जो बहे उद्योगों को चमकाऊँ मैं । मन ही मन सब सह लूँ शब्द ना कहूँ मैं । हवा में झूमता हरियाली का गीत गाऊँ मैं । धूप से पथिक बचाऊँ, बादलों से लड़ जाऊगाँ मैं । अंधड़़ को रोकू शीत लहर लांऊ मैं । पक्षियों का घर बनूं बंदरो का मैदान बनूं मैं । हरे पत्तों से भी भोजन बनूं,  बालों से ईधंन बन जाऊँ मैं । घर का साज सामान बनूं,  मर के भी काम आऊँ मैं । जीवन का आनंद दूँ सबको, ये काया तर जाऊँ मैं ।  जितना काम आ सकूँ इस जग के काम आऊँ मैं । स्थिर रख काया को मन को स्थिर कर जाऊँ मैं । बहुत बड़ा हो गया हूँ मैं । मन करता है एक वृक्ष बन...

अब / Ab / Now

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Ab - click here to see video अब अगर लिखी है तन्हाई, तो बता दे मुझे,  यूँ दर-दर भटक कर थक गया हूँ मैं  । बहुत पुछते है लोग मेरी पसंद के बारे में,  सबको समझा समझा कर थक गया हूँ मैं  । लोग देखते है मुझे और मेरी हालत को, सबको बताऊँ ऐसे दर्द छुपा चुका हूँ मैं  । बताने को नहीं ज्यादा कुछ मेरे पास, बस जो है बोझ उठा रहा हूँ  मैं ।  अगर करम मेरे ये हि है तो बता दे, सपने देखना छोड़ दूँ मैं  । नहीं हैं खुशियाँ मेरे हिस्से में तो, दुख में जीना सिख लूं मैं  । लोग तंज कसते है, मेरी उम्र भी, सबको बतानें जैसे हालतों मैं नहीं हूँ मैं । आजाद हूँ भले आज मैं,  पर मन से कैसे जी रहा हूँ मैं  । अगर यही है मेरी किस्मत में,  तो दे दे यही हक से जीने कि हिम्मत मुझे । दब कर रहने लगा हूँ मैं, कोई कर्ज बाकि रहा नहीं है ।। Kavitarani1  145

होंसले कमजोर / Honsle kamjor

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Click here to see video होंसले कमजोर  असमंझस सार, हार बैठ जाता हूँ रोज । सुबह से दौड़ा भागा, अभागा पाता हूँ रोज ।। कमसमकस की जिन्दगी में अक्सर यही होता आया । असमंझस में हमेशा कुछ होंसला हारता आया ।। कभी लोगों का हुजुम टकराता भड़काता है । कभी खुद का बैरी बन मन पिट जाता है  ।। एकांत का क्लान्त बन रोश सिर चढ़ता रोज । अपने खास दोस्त की खोज करता रहता मैं रोज ।। अटकलें रोज लगाई जाती मेरी खुशियों की । भटकतें रोज अपनी ही जिन्दगी में लाते रोश ।। घबराहट होंसले तोड़ती कभी-कभी तोड़ती जिद । आगे बड़ने में रूकावटें मेरी एकान्त में लड़ने की जिद ।। असमंझस रोज शाम करता भटकाव मेरा । सुबह से शाम तक योजनाओं का रहता बखेरा । शामें रूकसत जो योजनायें मेरी असफल रोज । रोश में करता मैं खुद की ही हरदम खोज ।। होंसले कमजोर सपने दूर है अभी मेरे । आगे बढ़ने के इरादे कमजोर लग रहे मेरे ।। हार नहीं मानूगां चल रहा सोंच यही मध्यम मैं । होंसले बटोर बढ़ रहा हूँ भरकर दम मैं  ।। Kavitarani1  140

ये मेरी मंजिल नहीं / ye meri manjil nahi

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Ye meri manjil nahi - click here to see video ये मेरी मंजिल नहीं  हँसता हूँ पाकर इसे, जेब भी भरी लगती है,  प्रशंसा कानों में पड़ती,  दुनियाँ देख इसे हँसती है । माना की मुकाम है, खुशमिजाज सपना है, पर मेरी ख़्वाहिशों को पूरा करे, ये वो मेरी मंजिल नहीं ।। रोज सुबह उठता हूँ,  एक दौड़ नई चुनता हूँ,  ख्वाहिशें लगती अधूरी, तो लगता ये मेरी मंजिल नहीं । एक संतोष कहीं खोया है,  एक तृप्ति मन की गायब है,  एक तलाश अभी जारी है,  एक चीर परिचित मुस्कान बाकि है । उस मुस्कान को पाना है, उस ओहदे पर जाना है,  खुश होकर आना है,  मस्त होकर जीना है । वो सपनों का महल दूर है,  वो चाहत का नूर दूर है,  वो लोगो का ध्यान दूर है,  वो मेरी बातें दूर है । मिला है बहुत सफर में मेरे, पर जो चाहिए था मुझें, और जो मन को चाहिए मेरे, वो मुकाम अभी मिला नहीं,  और लगता है ये मेरी मंजिल नहीं  ।। Kavitarani1  147

तुम खास हो, tum khas ho

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तुम खाश हो - विडिओ यहाँ देखे तुम खास हो  लोग बहुत है कहने के लिये । वो समझते है बातों को भी । पास भी आते है वो । अपनी सुनातें भी है वो । पर मन सुनता है बस । लगता नहीं हर किसी से । कहना चाहता है ये सब से नहीं ।  जैसे चाहता है कहना तुझसे ही । क्योंकि तुम कुछ खास हो मेरे लिए । मेरे मन के जैसे पास हो । एक विश्वास सा है तुमसे । तभी कहता है मन तुमसे । और कोई इतना खास नहीं । जैसे कोई इतना पास नहीं । जैसे तुम हो उतना कोई पास नहीं । सबको छोड़ तुम्हें कहता है । ये मन है मेरा ही । ये तुझसे जुड़ा रहता है । क्योंकि तुम खास हो ।। Kavitarani1  180

अकेला मैं / Main akela

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Main akela- click here to see video अकेला मैं  कैसे बताऊँ कितना अकेला हूँ,  अपने मन से पूरा तन्हा हूँ,  कायर हूँ, डरपोक हूँ,  मैं अजन्मा शौक हूँ । हिम्मत नहीं,  चुनौतियों से कैसे लडू, प्यासा हूँ,  सुखे को कैसे तरू, थका हूँ, चट्टानो को पार कैसे करूँ,  भटका हूँ, वनों को कैसे पार करूँ । नम हूँ खुदी के गमों से,  देख रहा हूँ सुनी आँखो से,  सुखे होठों से मुस्कुराता हूँ,  मैं तन्हा गुजर जाता हूँ । जो कांटे थे पैरों के,  पीछे लगे है पूँछ बनके , आगे ज्यों बढ़ता हूँ, उनको देख पिछे गिरता हूँ । हूँ डर के साये में,  हूँ अँधेरे के पाये में,  हूँ अकेला पथ पर मैं, मन से भी बस तन्हा मैं,  कैसे बताऊँ कितना अकेला मैं ।। Kavitarani1  144

मैं / main

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Main - click here to see video मैं  दर बदर भटकता हूँ,  ना जाने कब मंजिल मिलेगी । अपने सा खोजता हूँ,  ना जाने, कब चाहत मिलेगी । सब्र का फल पसंद नहीं,  ना जाने कब सब्र मिटेगी । आज यहाँ - कल वहाँ,  हर वक्त जिन्दगी की सोंच कहीं,  कब जिन्दगी की रात कटेगी, जाने कब प्यास मिटेगी ।। फिर बुलावा आया है,  नई जगह ने याद किता है, फिर नजदीक काम  पाकर, अजनबी से कुछ नहीं मिला है,  ना जाने कब ये प्यास मिटेगी, जाने कब दिल की बात चलेगी । दर बदल रहा हूँ,  जीने की कोशिश कर रहा हूँ । मैं जी रहा हूँ ।। Kavitarani1  146

गूढ़ सत् | Gud sat

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Click here to see video - to listen it गूढ़ सत्  सत् -सत् जप बस, रूस एक सच पिया नही जाता । राम-राम भज बस, राम एक सहा नहीं जाता ।। हिन्द-हिन्द कहे बस, हिन्द एक समझ नहीं आता । धून -दूर भजे बस, दूर एक पल चल रहा नहीं जाता ।। मिठे-मिठे बोल बस, मिठा एक खाया नहीं जाता । तिखे-तिखे दिखे बस, तिखा एक दिन रहा नहीं जाता ।। शुल-शूल देखे बस, शुर एक पास नहीं भाता । सुर-सुर ढुंढे बस, सुर एक समझ नहीं पाता ।। अंध-अंत तप बस, अंध एक जिया नहीं जाता। मंद-मंद रम बस, गंद एक मन नहीं भाता ।। सत्-सत् जप बस, सत् एक समझ समय गुजरता जाता ।। Kavitarani1  141

कर लो मनमानी, kar lo manmani

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Kar lo manmani - see and listen poem here कर लो मनमानी  कर लो मनमानी; कौन रोकता है ? होता है अपना वही तो कुछ सोचता है । कहता है दिल की, बातें हिल-मिल की । रूठे तो ही मनाने की सोचता है ।  बेवजह भाव खाये तो कौन रोकता है ।  अपना भी सेल्फ रेस्पेक्ट अब टोकता है ।। हाँ कब तक मानता रहूँ ।  बिन मतलब ताकता रहूँ ।  ना चाहिए था ना चाहिए कुछ ज्यादा ।  पर बातें हो सच्ची और पीठ पिछे झूठ, मन ऐसे में हारता है ।। नहीं आता मेरे समझ, मेरी बातें लगती अलग, तो जाओ रहो अपने हिसाब से, कर लो मन मानी कौन रोकता है ।। हम तो साफ दिल की कहेंगे, जो मन करे वो ही करेंगे, कोई आह भरने की उम्र नहीं,  अब किसी की आह क्यों भरेंगे ।। जैसे-जैसे  दिल दुखता गया ।  वैसे-वैसे मन भरता गया । भरा मन क्या और भरेगा । तेरे नखरे को क्या मन हरेगा ।। अब जाओ कर लो जो ठानी; कौन कुछ कहेगा ? कर लो मनमानी कौन रोकेगा । कर लो मन की कौन रोकता है । अब अपना मन ज्यादा नहीं सोंचता है।। Kavitarani1  139

जोर नहीं, Jor nhi

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Jor nhi - click here to see video जोर नहीं  होङ नहीं है, पर दौड़ है,  रवि आजकल अपने जोर में नी हैं, था एकान्त कल, जोर में भी ये, निकलता दिन इंतजार में ही ये, पर आजकल कुछ पता न चलता, मन इस जल्दबाजी में सिकुड़ता, हर दम लगी रहती जैसे कुछ छुट रहा, समय की कमी से दिन भी झूझ रहा, कह रहा अब रवि सुन भी ले । सिहरन जाती नहीं तेरे आने से, तो तु आ जल्दी और छा जल्दी रे। होङ नहीं चाँद से कोई,  वो मध्यम था और है मध्यम ही, तु ही था तेवर लिये, तना रहता था पुरा दिन ही, कैसे दिन अस्त करते हो जल्दी,  सब बोल रहे है चौबिस घण्टे, पर अब रवि का जोर नहीं,  कुछ करें दिन बड़ा हो जाये, नी तो मेंरे सपने में रहेगा सार वही, बंद होगा फिर जोश भी, अब कोई मुझ पर जोर नहीं,  तु भी रख ना जोर कोई। Kavitarani1  138

तु और तेरी बातें, Tu aor teri batein

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तु और तेरी बातें   पढ़ता - रहता कहता ना था, अकेला था पर, अब सहता ना था । दिन गये बित, वो जिन्दगी की शीत भी । अब ऋत बदल गयी, और रातें भी ।  पर एकान्त में याद आती है,  तु और तेरी बातें ।। क्या गजब थी अपनी मुलाकातें ।  वो झट से तेरा मुस्कुराना । तेरी मस्त आवाज, और मेरा गाना । याद आ रही है, तु और तेरी बातें । अधुरी रह गई वो रातें ।  तु और तेरी बातें ।।  जरा याद कर वो एक दिन, मैं था अकेला जब तेरे बिन, मैं साँप सा तङप रहा था, जब  कुछ घडियाँ साथ बिताई, पहली बार तुमने जान बचाई,  फिर से कृपा काम आई, फिर तेरा था मुस्कुराना, होंसला देना और गले लगाना, भूले भूलाया ना जाता है, अकेले में याद आता है,  कि कैसी थी तन्हाई वो, तु और तेरी बातें वो ।।  वो सर्दी का मौसम था, तु पास बैठी थी, देख तुझे पास मैं दंग रह गया, शर्माई तु और में बह गया,  परवाह ना कि लोगों की, या शायद मैं तुझमें खो गया, याद है मुझे तबकि सारी, तु और तेरी बातें ।।  वो दिन जब तुमनें मुझे याद किया, वाट्स एप्प से मेरे मैसेज किया, मैं तेरे लिए था दौड़ा आया, गले लगाकर प्यार पाया ।...

यह एक पड़ाव है सार नहीं, Yah ek padav hai saar nhi

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Click here to see video यह एक पड़ाव है सार नहीं  हँसते - खिलखिलाते चेहरे हैं,  आँखो में मस्ती हैं,  मुस्कुराता आलम है,  पर जानता हूँ मैं ये, यह एक पड़ाव है सार नहीं ।  धूप है अब कोहरा नहीं,  खुले आसमान पर बादलों का पहरा नहीं,  बहता दरिया है सामने अब तालाब नहीं,  खुशनुमा है मौसम और ताजगी,  यह एक पड़ाव है सार नहीं ।  अभी कोई परीणाम नहीं, हार नहीं,  सपनों की सेज के आसार नहीं,  सब कुछ बस लय में है,  मंजिल के ये कोई हाल नहीं,  यह एक पड़ाव है सार नहीं ।  आनंद में आज है, मौज में है पल कई, सोंचने का समय नहीं,  रूकने का मन नहीं,  चिंता करे भविष्य की  ऐसी अभी रहे हालात नहीं,  पानी है मंजिल कोई और, यह बस एक पड़ाव है सार नहीं ।। Kavitarani1  104

आ जाओ तुम / Aa jao tum

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  Aa jao tum - See video here आ जाओ तुम  कितने साल बित गये,  तुम ना आये मिलने को । कितने मौसम गुजर गये, तुम ना आये पुछने को ।। हाल मेरा छोड़ो तुम,  अपने हाल बताओ तुम । कब आ रहे हो मिलने को, इतना सा कह जाओ तुम ।। मेरी बारिशें अधूरी रह जाती है,  मेरी बसंत कही खो जाती है,  मेरे पतझड़ खत्म नहीं होते, मेरे जाड़े नहीं मिटते ।। कैसे-कैसे समझाऊँ मैं,  कैसे-कैसे मनाऊँ मैं,  मेरा मन बैरी बना बैठा, तेरे मिलने की जिद पर है ऐठा ।। सारे सपनें मेरे अनछुए है, सारी ख्वाहिशें सहेजी हुई है । वो मखमली बिस्तर महका हुआ है,  वो रास्ते ताजा फूलों से सजें हैं ।। मेरा महल खाली पड़ा है, मेरा मन एकान्तवासी है । आहट किसी की होने ना दी है,  तेरा जब से इंतजार हुआ है ।। इन सब पर ध्यान लगाओ तुम । मेरी बाहों को सजाओ तुम । जीवन के वीराने को दुर करो । जहाँ भी हो आ जाओ तुम ।। मेरी प्यास खत्म नहीं होती । भुख मेरी मिटी नहीं । एक आस जो मिटी नहीं । एक चाह जो मिटी नहीं । अब तो आ जाओ तुम । अब तो मिल जाओ तुम ।। Kavitarani1 

इस होली तुम जरूर आना / Is holy tum jarur ana

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Holi par jarur ana - click here to see video इस होली तुम जरूर आना  कितने बरस बीत गये । तुम ना आये होली खेलने को । सारे रंग सुख गये,  तुम ना आये मनाने को । आयी होली फिर से देखो, रंग परवान चढ़ गये ।। कितनी शिकायते है कहने को । बैठा है मन मनुहार सुनने को । सब भूल जाता हूँ मैं,  तुम भी भूल जाना । इस होली मेरे साथ,  होली खैलने तुम जरूर आना ।। प्रकृति बहार लाऊं मैं  । खुशियां रंग लाना तुम । बातें हजार सुनाऊं मैं। सतरंगी कर जाना तुम ।। रूठा रहूँ कितना ही मैं । आकर मुझे मनाना तुम । बहाने आये हजार रोकने को । पर इस होली जरूर आना तुम ।। रंग लाना मुस्कान लिये । गुलाल लाना सुकून लिये । मिश्री घुली शरबतें पिलाना । नजरों से नजारे सजाना ।। देखूं ना जो तेरी ओर मैं  । आज आवाज देकर जरूर बुलाना । मानूं ना जो बात तो, जोरी से चिढ़ ही जाना । मनुहार करूं तुमसे मैं, इस होली तुम जरूर आना ।। Kavitarani1 

तुमसे मिलकर, tumse milkar

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  तुम से मिलकर- विडिओ देखने के लिए यहाँ दबायें तुमसे मिलकर वो जो मदहोश कर देने वाली बातें हैं ।  कामना की सारी खुबसुरत जो रातें हैं ।  मंद मंद मुस्कान के जो राज समझ आते हैं । वो सब तुमसे ही मिल पाते है ।। मेरी खोई खुशी और आते गम सारे । अधुरी रहती महफिल और गुम तारे । अकेलेपन का दुख और मायुसी सारी  । तुमसे मिलते ही बदल जाते नजारे ।। मेरे मन का बोझ हल्का होता । अब दुखड़े से मन मेरा ना रोता । खोया हुआ भी कहीं जाकर मिल जाता हूँ ।  अब तुम से मिलकर निखर जाता हूँ ।। वो जो खिलखिलाहट वाली हँसी जो है ।  हर बात में मजाक और मस्ती जो है ।  अंजान जगह पर भी जो घुल मिल जाती है ।  मेरी बातें जब तुमसे मिलने की जो हो जाती है ।। मेरी पूरी नींद की होती सुबह सारी । आधी मिली दुनिया लगती अब प्यारी । खालीपन अब खुद ही भरी महफिल लगती । जब तुमसे मिलने की बातें होती रहती ।। मेरे आज का असर हो रहा ।  बढ़ती जिन्दगी में मैं रुक कर खिल रहा । समय के सार सा में तुम्हें चाहा करूँ ।  अब तुम्हे चाहने के साथ मिलने की दुआ करूँ ।। Kavitarani1  63

तेरे भरोसे जीता हूँ / Tere bharoshe jeeta hun

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  Tere Bharose jeeta hun - यहाँ देखें तेरे भरोसे जीता हूँ  मैं अनाथ, अकेला, मन के बोझ तले दबा हुआ ।  रोज एक-एक कर दिन गुजार रहा हूँ । एक ईश्वर का सहारा मान के चलता आया । आज भी उन्हीं को ताक रहा हूँ । सुबह ही प्रार्थना की कि पैसे खत्म हो गये । शाम को मेरा खाता भर दिया है । जब कभी उदास बैठ ध्यान किया ।  सामने जैसे मेरे आ जाते है । कृपा करते हो मुझ पर राम । मुझे सुधार कर रखते हो राम । पालन हार हो मेरे प्रभु ।  जैसे साथ हमेशा चलते हो मेरे प्रभु । देख रहा था मुरत को । लग रहा जैसे पुरा ध्यान मुझ पर हो । सोच रहा था हाथ फैलाने की । कि आप मेरे कहने से पहले कृपा करते हो । मैं अचरज मैं जीता हूँ, कष्टों के, गम के आँसु पीता रहा हूँ ।  कृपा आपकी पाते रहा हूँ, कैसे कहूँ फिर मैं अकेला रहा हूँ । कृपा की बाट जोहता रहता हूँ ।  मैं तेरे दर पर बाट तेरी जोहता हूँ । मैं प्रभु और किसी के नहीं, बस तेरे भरोसे जीता हूँ ।। Kavitarani1   69

दरखास्त / Darkhast (love poem)

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Darkhast - click here to see video दरखास्त  अब दरखास्त है मेरी रब से, कि जिन्दगी में ऐसा भी कोई आये, जो बस मेरे लिये हो, और मैं उसके लिये । जिसका सारा समय मेरे लिये हो, और मेरा समय उसके लिये,  मेरी शुभ सुबह उसी से हो, और मेरी शुभ रात्रि भी उसी से । उसका चेहरा मेरे सामने रहे, और मेरा चेहरा उसके दिल में ।  उसके काज़ल से मैं चिपका रहूँ,  और मेरी मुस्कान से वो । अब प्रार्थना है ईश्वर से; कि मेरी बाहों में कोई आये, सुकुन उसके छुने से हो, और राहत उसके पास होने से । जो बस मेरे लिये सजे, और मेरी तारीफें रहे उसके लिये, जो बस मेरे लिये व्यस्त रहे, और मैं उसे देख के मस्त रहूँ । जो मेरे लिए दिन की छांव बने, और रात की गर्मी, जो मेरे लिये जीये, और मैं उसी के लिये । दरखास्त है ईश्वर से कि; कोई सच्चे दिल से चाहने वाली मिले, प्रार्थना है ईश्वर से कि; काश कोई दिल से चाहने वाली मिले ।। Kavitarani1  80

जब तुम साथ होगी, Jab tum sath hogi

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Jab tum sath hogi - video dekhe जब तुम साथ होगी  कोरी थी कोरी ही रह गयी कल्पना मेरी । गौरी थी, भौर ही रह गयी कल्पना तेरी ।। फिर सोंच रहे फिर सुबह होगी । आनन्द की बहती दरिया होगी । प्रेम की तुम मेरे जरिया होगी । जब तुम मेरे साथ होगी ।। बारिश की बूँदे सब मौज करेगी । बहती दरिया भी मदहोश करेगी । बादलों की तेज करवट होगी । जब तुम मेरे पास होगी ।। सांसो से साज सजेंगे । रूह से हम बात करेंगे ।  नशे सी हालत होगी । जब तुम साथ होगी ।।  रस बन बारिश की बूँदें बरसेगी । कलरव करती नदियाँ बहेगी । चहचहाती चिड़ियाँ भी गायेगी । जब तुम पास होगी ।। शरद में सिहरन की, ग्रीष्म में आराम की । बारिश में भिगने की, बसंत में झूमने की । पतझड़ के पत्तों की, हर ऋतु में घूमने की । नई यादें, नई बातें होंगी, जब तुम साथ होगी ।। हर दिन नया पाठ होगा । हर रात नया अध्याय होगा । हर भौर, शौर कर चिल्लायेगी । जब तुम साथ होगी ।। Kavitarani1  99

अरी तुम भूल गई, Ari tum bhul gyi

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Ari tu bhul gyi -click here to see video अरी तुम भूल गई  कभी पापा आये कभी दीदी । बातें हुई बहुत पर हुई नहीं सीधी । कहती रही किस्से कई । अनजाने ही बने तुम जीवन के हिस्से ही । करी जो ठिक पर अब कहाँ गई । अरी तुम ही तो थी खास तुम भी भूल गई । दिवस अवतरण का याद रहा ना । कहा ना उसके बाद भी । एक मैसेज देख जवाब देती कभी । आज करती नहीं एक मैसेज भी । सोनी सुरत दिखा भाव खा ही गई । लड़के सा रह भी लड़की बन गई । अरी तुम ही तो थी खास मेरी । अब तुम ही भूल गई ।। बहानों के साथ भी याद नी करती । एक बार भी अब कुछ याद नी करती । कभी सोंची नहीं क्या मेरी हालत रही । क्या तुम मुझे बिल्कुल भी याद नी करती । जैरी क्या तुम सच में मुझे भूल गई । अरी तुम सच में भूल गई ।। Kavitarani1  10 5

अब बातें नहीं, Ab bate nhi

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Ab batein nhi - click here to see video अब बातें नहीं  सारे दिन की अपनी बातें,  मुलाकातें और किस्से कहता । अपना मान तुम्हें अपने पल-पल की कहता । सबसे दुर मन भाने तक तुमने सुना ।  मन भर जाने पर या, नई खुशियों के दस्तक पर कहा । जो होता-होने दो, "मुझे क्यों कहते हो ?" अपनी जिन्दगी जीओ मुझे क्यो लेते हो । अपनी राहें जुदा - जुदा अन्दाज और उम्र पता । सब जान मन भाने तक देता था बता । अब कहा की क्यों कहते हो ? समझ रहा सुनने को नहीं चाहते हो । तो अब से अपनी बातें ना कहुगाँ । ना कोई किस्सा ना हाल कहुगाँ । फिर कोई बात ना होगी कहने को । कहुँ क्या और क्या रहा कहने को । कहना ना फिर कभी कोई पास ना रहे तो । अपनापन लगे ना और लगे ना मन तो । मैं भाव नहीं खा रहा बात मान रहा । बस देखी दुनिया अब समय गुजार रहा । देखे रंग और लड़कियाँ कई । तुम मैं भी आती अदायें वो कोई अचरज नहीं ।  आज से अपनी स्वीट टाॅक नहीं ।  बातें अब कम ही होगी और बस जवाब है ।। Kavitarani1  106

कौन मेरा तेरे सिवा, kon nera tere siva

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Kon mera tere siva - click here to see video कौन मेरा तेरे सिवा  कहने को लोग कई होते है सफर में,  पर सबसे बातें करने को मन कहाँ । एक ढोर से खिंचा जाता है सबको,  इसमें किसी का बस होता कहाँ ।  लग जाये जिससे बस उसे ही कहनी, भले बातें मन की मन में रहनी है । एक बार को जिससे जुड़ता है, फिर कहाँ ये मन लगता है ।। एक दिल, एक चाह, एक जिन्दगी है, मन की भी राह एक ही तो होती है । चला जो राह किसी की ओर ये, कहाँ फिर किसी की सुनता है ।  कहने लगा बातें अपनी तुझसे मैं, अब और कहाँ कोई भाता है । खिंचा चला गया पास तेरे जो, अब करे दूर, पर कहाँ ये दूर जाता है ।  ऐसे ही कोई पसंद नहीं आता सफर में,  कुछ तो गुण मिलते है ।।   प्यार भले ना हुआ हो कहने में,  पर मन में अपना सा ही तो आता है ।   लड़ता उसी से है कोई जिसे अपना मानता है, झूकता उसी के लिये कोई जिसे खुद से ज्यादा मानता है । जानता है मन कईयों को कहने को, पर कौन मेरा सिवा तेरे तु ही बता । इतना तो जाना है मुझे तुमने, बता "कौन मेरा तेरे सिवा।" Kavitarani1  108

ऐसे जिया जाये ना, Aise jiya jaye na

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  ऐसे जिया जाये ना   ऐसे जिया जाये ना पिया । ऐसे गम पिया जाये ना । अक्सर आते पास मन के, लोग खेल के जाते है । मन भरने तक बात करते, मन को छिड़क छाते है । खैल अक्सर मुझको भाता, हारता मैं मुस्काता हूँ ।  बैठ अकेले अक्सर फिर, रोता हूँ गुनगुनाता हूँ ।। ऐसे जिया जाये ना पिया । गम पिया जाये ना ।  सबसे करता ना मन की बातें,  बातें होती आम बातें ।  मन लग जाता वहीं पास । मन लग जाना वो चाहता, बार-बार भाव जो खाता । खाता मन हिलोरे प्रेम की, प्रेम तरसाता जाता है ।। ऐसे जिया जाये ना पिया । गम जिया जाये ना ।। रोज दिया जलाता हूँ मैं,  अपने प्रेम को गाता हूँ मैं ।  गाती है प्यास पुरानी, मन में बसी वो सुहानी, सुहानी सुरत बन आती कोई,  रूठ पल - पल डराती कोई ।। ऐसे डर-डर जिया जाये ना पिया । ऐसे गम पिया जाये ना । आती मन भावन कोई पास तो, मन उसे चाहता नहीं जो । दुर करता समझाता है । मन दुखे ना किसी का, और अकेला मैं ही रहता ।। ऐसे जिया जाये ना पिया ।  ऐसे गम पिया जाये ना ।। दुर खड़े कोई मुस्काई, पल भर मेरे मन पर छाई । पास आई तो दूर गया मैं,  मुश्किल में फि...

तुम और मैं, Tum aor main

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You & Me - click here to listen & see तुम और मैं  मैं नासमझ बहुत, तुम होशियार बहुत ।  मैं नादान बहुत, तुम समझदार बहुत ।। तुम रूपवान बहुत, मैं औझा हूँ ।  तुम नव यौवन में बहुत, मैं बौझा हूँ ।। तुम भौर सुहानी, मैं धूप दिन की हूँ, तुम संध्या रानी, मैं चाँदनी रात सा हूँ ।। मैं जलता दीपक, तुम बाती नई हो । मैं फुल कल का, तुम कलि नई हो ।। मैं बहता दरिया, तुम निर्झर हो । मैं सागर अपार, तुम तड़ाग मनोरम हो ।। तुम किरण शरद ऋतु की, मैं धूप ग्रीष्म की हूँ ।  तुम शीतल पवन, मैं लहर मनमोहक हूँ ।। तुम नव कौयल, मैं पत्ता डाल का हूँ । तुम कोयल मधुर, मैं कौवा काल का हूँ ।। मैं अनपढ़ जग, तुम गुणवान जन हो । मैं अनजान मन, तुम सरस मन हो ।। मैं पथिक भ्रमित, तुम गीत मधुर हो । मैं छाँव कम, तुम पावन धम्म हो ।। तुम अन्तर्यामी बहुत, मैं अबोध बहुत हूँ ।  तुम सहज बहुत, मैं उलझता बहुत हूँ ।। तुम सार गर्भित तो, मैं पल्लवन हूँ । तुम टीकाकार तो, मैं मूल कर्म हूँ ।। मैं राही मन का, तुम ज्ञानी जन हो । मैं पथ भटका जो, तुम ठोर मन हो ।। मैं अधुरा एकान्त, तुम पूर्ण पाठ हो । मैं मन का मारा, तुम पू...

तुम छोड़ जाओगी, Tum chhod jaogi

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Click here to see video - तुम छोड़ जाओगी तुम छोड़ जाओगी  मुझे पता है तुम भी एक दिन मुझे छोड़ जाओगी ।  बातें कितनी ही कर लें हम पर तुम बेवजह रूठ जाओगी । कोई कस्में वादे नहीं की हमनें,  पर बातों से भी तुम अपने एक दिन मुकर जाओगी । मुझे पता है तुम भी मुझे सताओगी ।। मैं मिन्नतें करता रहुगाँ मनाने की,  और तुम नहीं मान पाओगी । जानता हूँ मैं गुनहगार नहीं रहूँगा । पर मेरी दोस्ती को तुम ठुकरा जाओगी । मुझे पता है तुम भी एक दिन अकेला कर जाओगी ।। मन भर जायेगा मुझसे तुम्हारा, या कहीं मन फिर लगाओगी । मेरी बातें पुरानी लगने लगेगी, या मेरे से ऊब जाओगी । कारण चाहिये होगा ना दुर जाने को, पर तुम बेवजह लड़ जाओगी ।। समझाना चाहुगाँ भी मैं जो, तुम नकारते जाओगी, एक दिन फिर आयेगा, और मुझे भी बुलाओगी । मैं समझता रहुगाँ सब, पर फिर भी तुम सब बहाने लेकर समझाओगी, और तुम फिर छोड़ जाओगी ।। मुझे पता है तुम मेरी कभी हो नहीं पाओगी । बना भी गई मेरी जिन्दगी तो तोङ भी जाओगी । वक्त बदलेगा मन बदलेगा, और आखिर तुम छोङ जाओगी ।। Kavitarani1  119

ऐसे तो | Aise To

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विडिओ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें ऐसे तो ऐसे तो जीया जायेगा ना, ना ही बुलन्दियाँ मिलेगी कहीं । रोज खुद को समझाना पड़ेगा, और खुद से लड़ना होगा फिर । सपना संजोया है मेहनत करनी पड़ेगी,  रुकावटों को दरकिनार करना होगा । जीना है शान से तो खुद को, और दुनिया को नाराज करना होगा । मन मारना पड़ेगा कई बार को, कई बार घूटना भी पड़ेगा । हार भी मिलेगी हर बार को, और चोट भी मिलेगी कई बार को । तभी अनुभव बताया जायेगा, कहानियाँ तभी बनेगी ना । ऐसे तो रह जायेगा किस्सा, गुमनाम पन्नों का बना हिस्सा । खाली तस्सली से तो पुछा जायेगा ना, ऐसी तो जीया जायेगा ना ।। Kavitarani1  64